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यहां होलिका दहन की खास है मान्यता, 1300 सालों से चली आ रही है परंपरा - झारखंड

झारखंड में सबसे पहले होलिका दहन राजधानी रांची के चुटिया में होती है. यह परंपरा करीब 1300 साल पुराना है. यहां नागवंशी राजाओं का शासन था और चुटिया छोटानागपुर की राजधानी हुआ करती थी, तब से यहां पर होलिका दहन की जाती रही है.

होलिका
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Published : Mar 20, 2019, 12:30 PM IST

रांची: झारखंड में सबसे पहले होलिका दहन राजधानी रांची के चुटिया में होती है. यह परंपरा करीब 1300 साल पुराना है. यहां नागवंशी राजाओं का शासन था और चुटिया छोटानागपुर की राजधानी हुआ करती थी, तब से यहां पर होलिका दहन की जाती रही है.

देखिए स्पेशल स्टोरी

एक जमाने में मान्यता थी कि किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत राजधानी से होना चाहिए, इसलिए यह परंपरा शुरू की गई थी. साल1685 में यहां राम मंदिर का भी निर्माण करवाया गया.होलिका दहन के साथ ही नए साल का आगमन मान लिया जाता है. इसलिए राजधानी रांची की चुटिया इलाके में एक दिन पहले ही होलिका दहन की जाती है. लोग अपने मन के अंदर के पाप को इस होलिका दहन में जलाकर भस्म करते हैं. होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक माना जाता है.

चुटिया के प्राचीन श्री राम मंदिर में ऐतिहासिक होलिका दहन वर्षों से चला आ रहा है. होलिका दहन के इस कार्यक्रम में भारी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया. होलिका को दहन होते देखने पद्म श्री मुकुंद नायक के अलावा कई गणमान्य लोग मौजूद रहे.

रांची: झारखंड में सबसे पहले होलिका दहन राजधानी रांची के चुटिया में होती है. यह परंपरा करीब 1300 साल पुराना है. यहां नागवंशी राजाओं का शासन था और चुटिया छोटानागपुर की राजधानी हुआ करती थी, तब से यहां पर होलिका दहन की जाती रही है.

देखिए स्पेशल स्टोरी

एक जमाने में मान्यता थी कि किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत राजधानी से होना चाहिए, इसलिए यह परंपरा शुरू की गई थी. साल1685 में यहां राम मंदिर का भी निर्माण करवाया गया.होलिका दहन के साथ ही नए साल का आगमन मान लिया जाता है. इसलिए राजधानी रांची की चुटिया इलाके में एक दिन पहले ही होलिका दहन की जाती है. लोग अपने मन के अंदर के पाप को इस होलिका दहन में जलाकर भस्म करते हैं. होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक माना जाता है.

चुटिया के प्राचीन श्री राम मंदिर में ऐतिहासिक होलिका दहन वर्षों से चला आ रहा है. होलिका दहन के इस कार्यक्रम में भारी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया. होलिका को दहन होते देखने पद्म श्री मुकुंद नायक के अलावा कई गणमान्य लोग मौजूद रहे.

Intro:रांची

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झारखंड में सबसे पहले होलिका दहन राजधानी रांची के चुटिया में होती है या परंपरा करीब 1300साल पुराना है। यहां नागवंशी राजाओं का शासन था और चुटिया छोटानागपुर की राजधानी हुआ करती थी तब से यहां पर होलिका दहन की जाती रही है मान्यता थी कि किसी भी शुभ कार्य करने की शुरुआत राजधानी से हो इसलिए परंपरा शुरू हुई बाद में 1685 में यहां राम मंदिर बनाया गया और यह परंपरा लगातार जारी रहे


Body:होलिका दहन के साथ ही नया साल का आगमन मान लिया जाता है इसलिए राजधानी रांची की इस चुटिया इलाके में एक दिन पहले ही होलिका दहन की जाती है और लोग अपने मन के अंदर के पाप को इस होलिका दहन में जलाकर भस्म कर देते हैं और इसके बाद से नए साल का शुरुआत कर लेते हैं यह होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक माना जाता है और लोग अपने घर की बुरी शक्तियों को लाकर इस होलिका दहन में भस्म कर देते हैं


Conclusion:खुशियों का रंग में सरोवर होने का त्यौहार होली आ गया है बस एक दिन बाद ही हर घर मोहल्ला शहर रिश्ते और प्यार के अनगिनत रंगों में रंगा नजर आएगा होली में रंग गुलाल अबीर के साथ एक दूसरे को शुभकामनाएं देते नजर आते हैं प्राचीन श्री राम मंदिर चुटिया में ऐतिहासिक होलिका दहन वर्षों से किया जाता रहा है होलिका दहन कार्यक्रम में विशाल संख्या में चुटिया वासियों के अलावा अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे मुख्य रूप से पद्म श्री मुकुंद नायक श्री विजय साहू इंस्पेक्टर सा थाना प्रभारी रवि ठाकुर सहित कई लोग उपस्थित रहे
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