जमेशदपुर: झारखंड सरकार इजराइल की तर्ज पर किसानों का संगठन बना सामूहिक खेती को बढ़ावा देने पर काम कर रही है. इसी को लेकर झारखंड के 26 किसान इजराइल गए थे और वहां से खेती की उन्नत तकनीक सीखकर लौटे, लेकिन जमीनी हकीकत क्या है और कितना सरकार के तरफ से इन किसानों को लाभ मिल रहा है, यह एक बड़ा सवाल है.
26 किसानों ने किया था इजराइल का दौरा
26 किसानों ने इजराइल का दौरा किया था. दूसरी बार भी 2 किसान इजराइल गए थे. बता दें कि पटमदा के राखडीह के रहने वाले श्रीमंत मिश्रा इजराइल गए थे और खेती की तकनीकों को बखूबी सीख भी लिए हैं. अब ये किसान झारखंड में पैदावार बढ़ाने में अपना योगदान देना चाहते तो हैं, लेकिन इनकी खेती तकनीकी रूप से विकसित नहीं पाई है और जमीनी हकीकत में किसानों को कोई लाभ नहीं मिल पाया है.
कैसे चुने गए 26 किसान
किसानों का चयन जिलास्तर पर खेती के अनुसार किया गया. वहीं, किसानों द्वारा कितने जमीनों पर खेती की जाती है. खेती के मुताबिक किसानों का अनुभव कैसा है. इसका चयन जिलास्तर पर एक कमिटी के अनुसार किया जाता है. बता दें कि एक किसान के इजराइल आने-जाने पर करीब चार लाख रुपए खर्च हुए.
कम पानी में इजराइल में होती है अच्छी खेती
इजराइल कम पानी में अच्छी खेती कर रहा है. इसी के तहत जिले के किसानों को कम पानी में खेती करने के गुर सीखाने का प्रयास किया जा रहा है. वहीं, 1400 हेक्टेयर में टपक सिंचाई पद्धति का इस्तेमाल किया जा रहा है.
जमेशदपुर के 5 किसान भी जा चुके इजराइल
इजराइल दौरे के लिए कई जिले से किसानों का चयन कर उन्हें उन्नत तकनीक सीखने के लिए भेजा गया था. इसी के तहत जमशेदपुर से भी पांच किसानों को चुना गया और खेती की तकनीकी को विकसित करने के लिए इजराइल भेजा गया था.
कम पानी में कर रहे हैं किसान बेहतर खेती
कृषि विज्ञान केंद्र से लिए गए प्रशिक्षण के अनुसार सामुदायिक स्तर पर खेती कर रहे हैं. पहले से स्थिति थोड़ी बेहतर हुई है. पहले पानी की बर्बादी किसान ज्यादा करते थे और पानी के बचत के लिए टपक सिंचाई योजना पर काम कर रहे हैं.
बूंद-बूंद सिचाई से फसलों में पानी की व्यवस्था की गई है. 90 फीसदी अनुदान पर टपक सिंचाई योजना का लाभ मिल रहा है. रासायनिक पदार्थों को मिश्रण करके खेती में डाल रहे हैं और मृदा परीक्षण के साथ खेती की जा रही है. सरकार के द्वारा योजनाओं में सहयोग मिल रहा है.