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इजराइल से उन्नत खेती की सीखी तकनीकी, लेकिन सरकारी उदासीनता ने किसानों के तोड़े सपने

खेती ने इजराइल और झारखंड को नजदीक ला दिया है. दोनों ही जगह सिंचाई की समस्या है लेकिन इजराइल ने सिंचाई की समस्या का हल तलाश लिया और अब झारखंड भी इजराइल की इस तकनीक को सीखते हुए खेती को बढ़ावा देने और देश में सबसे बेहतर खेती करनेवाला प्रदेश बनने की तैयारी में है.

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Published : Jun 24, 2019, 9:42 PM IST

वीडियो में देखिए पूरी खबर

जमेशदपुर: झारखंड सरकार इजराइल की तर्ज पर किसानों का संगठन बना सामूहिक खेती को बढ़ावा देने पर काम कर रही है. इसी को लेकर झारखंड के 26 किसान इजराइल गए थे और वहां से खेती की उन्नत तकनीक सीखकर लौटे, लेकिन जमीनी हकीकत क्या है और कितना सरकार के तरफ से इन किसानों को लाभ मिल रहा है, यह एक बड़ा सवाल है.


26 किसानों ने किया था इजराइल का दौरा
26 किसानों ने इजराइल का दौरा किया था. दूसरी बार भी 2 किसान इजराइल गए थे. बता दें कि पटमदा के राखडीह के रहने वाले श्रीमंत मिश्रा इजराइल गए थे और खेती की तकनीकों को बखूबी सीख भी लिए हैं. अब ये किसान झारखंड में पैदावार बढ़ाने में अपना योगदान देना चाहते तो हैं, लेकिन इनकी खेती तकनीकी रूप से विकसित नहीं पाई है और जमीनी हकीकत में किसानों को कोई लाभ नहीं मिल पाया है.

वीडियो में देखिए पूरी खबर


कैसे चुने गए 26 किसान
किसानों का चयन जिलास्तर पर खेती के अनुसार किया गया. वहीं, किसानों द्वारा कितने जमीनों पर खेती की जाती है. खेती के मुताबिक किसानों का अनुभव कैसा है. इसका चयन जिलास्तर पर एक कमिटी के अनुसार किया जाता है. बता दें कि एक किसान के इजराइल आने-जाने पर करीब चार लाख रुपए खर्च हुए.


कम पानी में इजराइल में होती है अच्छी खेती
इजराइल कम पानी में अच्छी खेती कर रहा है. इसी के तहत जिले के किसानों को कम पानी में खेती करने के गुर सीखाने का प्रयास किया जा रहा है. वहीं, 1400 हेक्टेयर में टपक सिंचाई पद्धति का इस्तेमाल किया जा रहा है.


जमेशदपुर के 5 किसान भी जा चुके इजराइल
इजराइल दौरे के लिए कई जिले से किसानों का चयन कर उन्हें उन्नत तकनीक सीखने के लिए भेजा गया था. इसी के तहत जमशेदपुर से भी पांच किसानों को चुना गया और खेती की तकनीकी को विकसित करने के लिए इजराइल भेजा गया था.


कम पानी में कर रहे हैं किसान बेहतर खेती
कृषि विज्ञान केंद्र से लिए गए प्रशिक्षण के अनुसार सामुदायिक स्तर पर खेती कर रहे हैं. पहले से स्थिति थोड़ी बेहतर हुई है. पहले पानी की बर्बादी किसान ज्यादा करते थे और पानी के बचत के लिए टपक सिंचाई योजना पर काम कर रहे हैं.


बूंद-बूंद सिचाई से फसलों में पानी की व्यवस्था की गई है. 90 फीसदी अनुदान पर टपक सिंचाई योजना का लाभ मिल रहा है. रासायनिक पदार्थों को मिश्रण करके खेती में डाल रहे हैं और मृदा परीक्षण के साथ खेती की जा रही है. सरकार के द्वारा योजनाओं में सहयोग मिल रहा है.

जमेशदपुर: झारखंड सरकार इजराइल की तर्ज पर किसानों का संगठन बना सामूहिक खेती को बढ़ावा देने पर काम कर रही है. इसी को लेकर झारखंड के 26 किसान इजराइल गए थे और वहां से खेती की उन्नत तकनीक सीखकर लौटे, लेकिन जमीनी हकीकत क्या है और कितना सरकार के तरफ से इन किसानों को लाभ मिल रहा है, यह एक बड़ा सवाल है.


26 किसानों ने किया था इजराइल का दौरा
26 किसानों ने इजराइल का दौरा किया था. दूसरी बार भी 2 किसान इजराइल गए थे. बता दें कि पटमदा के राखडीह के रहने वाले श्रीमंत मिश्रा इजराइल गए थे और खेती की तकनीकों को बखूबी सीख भी लिए हैं. अब ये किसान झारखंड में पैदावार बढ़ाने में अपना योगदान देना चाहते तो हैं, लेकिन इनकी खेती तकनीकी रूप से विकसित नहीं पाई है और जमीनी हकीकत में किसानों को कोई लाभ नहीं मिल पाया है.

वीडियो में देखिए पूरी खबर


कैसे चुने गए 26 किसान
किसानों का चयन जिलास्तर पर खेती के अनुसार किया गया. वहीं, किसानों द्वारा कितने जमीनों पर खेती की जाती है. खेती के मुताबिक किसानों का अनुभव कैसा है. इसका चयन जिलास्तर पर एक कमिटी के अनुसार किया जाता है. बता दें कि एक किसान के इजराइल आने-जाने पर करीब चार लाख रुपए खर्च हुए.


कम पानी में इजराइल में होती है अच्छी खेती
इजराइल कम पानी में अच्छी खेती कर रहा है. इसी के तहत जिले के किसानों को कम पानी में खेती करने के गुर सीखाने का प्रयास किया जा रहा है. वहीं, 1400 हेक्टेयर में टपक सिंचाई पद्धति का इस्तेमाल किया जा रहा है.


जमेशदपुर के 5 किसान भी जा चुके इजराइल
इजराइल दौरे के लिए कई जिले से किसानों का चयन कर उन्हें उन्नत तकनीक सीखने के लिए भेजा गया था. इसी के तहत जमशेदपुर से भी पांच किसानों को चुना गया और खेती की तकनीकी को विकसित करने के लिए इजराइल भेजा गया था.


कम पानी में कर रहे हैं किसान बेहतर खेती
कृषि विज्ञान केंद्र से लिए गए प्रशिक्षण के अनुसार सामुदायिक स्तर पर खेती कर रहे हैं. पहले से स्थिति थोड़ी बेहतर हुई है. पहले पानी की बर्बादी किसान ज्यादा करते थे और पानी के बचत के लिए टपक सिंचाई योजना पर काम कर रहे हैं.


बूंद-बूंद सिचाई से फसलों में पानी की व्यवस्था की गई है. 90 फीसदी अनुदान पर टपक सिंचाई योजना का लाभ मिल रहा है. रासायनिक पदार्थों को मिश्रण करके खेती में डाल रहे हैं और मृदा परीक्षण के साथ खेती की जा रही है. सरकार के द्वारा योजनाओं में सहयोग मिल रहा है.

Intro:एंकर--पूर्वी सिंहभूम के किसान इजरायल से उन्नत खेती की तकनीक सीखने के एक साल बीत चुके हैं.क्या वाकई बदल रही है पूर्वी सिंहभूम के किसानों की तस्वीर।


Body:वीओ1-- झारखंड की धरती से पहली बार 26 किसानों ने इजरायल के दौरा किया था.दूसरी बार 2 किसान इज़रायल गए थें.पटमदा के राखडीह के रहने वाले श्रीमंत मिश्रा इजराइल गए
थे.इजरायल से लौटने के बाद इनकी खेती में तकनीकी रूप से विकसित नहीं कि गई है.तकनीकी ज्ञान होने के बाद से जमीनी हकीकत में किसानों को कोई लाभ नहीं मिल पाया है।
कैसे होता है चयन--जिला स्तर पर खेती के अनुसार.कितने जमीन पर खेती की जाती है.खेती के मुताबिक किसानों का अनुभव कैसा है.जिला स्तर पर एक कमिटी के अनुसार इसका चयन किया जाता है.
सरकार के कितने खर्च हुए---एक किसान के आने- जाने के साथ इजरायल दौरे पर चार लाख रुपए ख़र्च हुए.
इजरायल कम पानी में अच्छी खेती कर रहा है.जिले के किसानों को कम पानी में खेती करने के गुर सीखाने का प्रयास किया जा रहा है.1400 हेक्टेयर में टपक सिंचाई का अधिष्ठापन कर चुके हैं.
इजरायल से लौट रहे किसानों का प्रयोग सहयोगी के रूप में किया जा रहा है.संरक्षित खेती की जा रही है।
बाइट--मिथलेश कालिंदी(जिला कृषि पदाधिकारी)
पूर्वी सिंहभूम से पाँच किसान इजरायल का दौरा कर चुके हैं.
वीओ2--32 एकड़ में श्रीमंत खेती करते हैं.सबसे ज्यादा धान के साथ सब्जी की खेती करते हैं.दलहनी फसलों की भी खेती करते हैं.
किसान संगठित होने के साथ मोटिवेट हुए हैं. कृषि विज्ञान केंद्र से लिए गए प्रशिक्षण के अनुसार सामुदायिक स्तर पर खेती कर रहे हैं। पहले से स्थिति बेहतर हुई है पहले पानी बर्बाद करते थे पानी के बचत के लिए टपक सिंचाई योजना पर काम कर रहे हैं। बूंद-बूंद सिचाई से फ़सलों में पानी की व्यवस्था की गई है.90 फ़ीसदी अनुदान पर टपक सिंचाई योजना का लाभ मिल रहा है। बूंद- बूंद सिंचाई से फसलों में पानी की व्यवस्था की गई है तकनीकी को लेकर खेती अच्छे से की जा रही है 25 से 30 फीसदी भी बदलाव आ रहा है। रासायनिक पदार्थों को मिश्रण करके खेती में डाल रहे हैं मृदा परीक्षण के साथ खेती की जा रही है ।सरकार के द्वारा योजनाओं में सहयोग मिल रहा है।
बाइट--श्रीमंत मिश्रा( इजरायल से लौटे किसान)



Conclusion:बहरहाल एक साल बीतने के बाद भी इन किसानों की तस्वीर अब तक नहीं बदली है.सिर्फ कागजों में ही इनके लाभ का अंश सीमित है.तकनीकी रूप से सरकार के द्वारा अब तक इन्हें कोई विशेष सुविधा नहीं मिली है.
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