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हजारीबाग: कमर्शियल माइनिंग के खिलाफ मजदूरों की हड़ताल, उत्खनन का कार्य ठप

हजारीबाग जिले में कमर्शियल माइनिंग और अन्य नीतियों के विरोध में कोल मजदूर संगठनों ने सरकार के खिलाफ हड़ताल की. हड़ताल के कारण तापीन कोल माइंस में कॉल उत्खनन का काम नहीं हो रहा है. इसी के चलते कोल इंडिया को करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है.

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कोल मजदूर
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Published : Jul 2, 2020, 4:50 PM IST

हजारीबाग: देशभर में कोल ब्लॉक की नीलामी को लेकर 8 लाख से अधिक कोल मजदूर हड़ताल पर चले गए हैं. विभिन्न ट्रेड यूनियन का भी इन्हें समर्थन प्राप्त है. यूनियन के नेताओं ने कोयला मजदूरों से आवाह्नन किया है कि हड़ताल को सफल बनाने के लिए एकजुटता का परिचय दें. ऐसे में हजारीबाग के चरही स्थित सीसीएल के तापीन कोल माइंस में भी हड़ताल का असर देखने को मिल रहा है.

हड़ताल के चलते कॉल उत्खनन में व्यापक असर देखने को मिल रहा है. हजारीबाग के चरही ही स्थित तापीन कोल माइंस में भी कॉल उत्खनन नहीं हुआ, जहां दिनभर कोयला की गाड़ी दिखती थी, वहां गुरुवार को एक भी गाड़ी नहीं दिखी और पूरे परिसर में सन्नाटा पसरा रहा.

कोल उद्योग से जुड़े भारतीय मजदूर संघ के जिला मंत्री ने इस हड़ताल को सफल बताया है. उन्होंने कहा कि संयुक्त मोर्चा ने पूरे कोल इंडिया में 5 सूत्री मांग को लेकर हड़ताल की है. केंद्र सरकार ने कोल ब्लॉक को कमशिर्यल करने का फैसला ले लिया है और 18 जून को थी नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर दिया है. यह फैसला मजदूर विरोधी है और इससे कोल इंडिया को बुरा असर पड़ने वाला है. उनका कहना है कि हजारीबाग में बरसात के दिनों में भी 5000 टन प्रतिदिन कोयला का उत्पादन होता था और अब 3 दिनों तक एक इंच भी कोयला खदान से नहीं निकलेगा, जिसका व्यापक असर देखने को मिलेगा.

इसे भी पढ़ें-बोकारो जिले के लिए खुशखबरी, बुधवार को 7 कोरोना मरीज ठीक होकर पहुंचे अपने घर



5 सेंट्रल ट्रेड यूनियन और क्षेत्रीय ट्रेड यूनियन
वहीं राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर संघ इंटक के शाखा सचिव देवनारायण कुमार यादव का कहना है कि यह फैसला सरकार का मजदूरों को गर्त में ले जाने का काम करेगा और कोल इंडिया का भट्ठा बढ़ जाएगा. आज के वक्त 5 सेंट्रल ट्रेड यूनियन और क्षेत्रीय ट्रेड यूनियन ने मिलकर हड़ताल बुलाया है. इसका व्यापक असर देखने को आप लोगों को मिलेगा. उनका यह भी कहना है कि जो मजदूर कोल उत्पादन में लगे हैं वे होम क्वारंटाइन हो गए हैं. जब तीसरे दिन के बाद मजबूर होम क्वारंटाइन से बाहर निकलेंगे तब सरकार को पता चलेगा कि हमारा महत्व कितना है.

बताते चलें कि 41 माइंस का ऑनलाइन बिडिंग किया जाना है और इनमें से 9 झारखंड में है और 1 गोंलपुरा हजारीबाग जिले में है. इस हड़ताल से करोड़ों रुपये का नुकसान होगा. ऐसे में हजारीबाग में हड़ताल के कई मायने निकाले जा रहे हैं.

हजारीबाग: देशभर में कोल ब्लॉक की नीलामी को लेकर 8 लाख से अधिक कोल मजदूर हड़ताल पर चले गए हैं. विभिन्न ट्रेड यूनियन का भी इन्हें समर्थन प्राप्त है. यूनियन के नेताओं ने कोयला मजदूरों से आवाह्नन किया है कि हड़ताल को सफल बनाने के लिए एकजुटता का परिचय दें. ऐसे में हजारीबाग के चरही स्थित सीसीएल के तापीन कोल माइंस में भी हड़ताल का असर देखने को मिल रहा है.

हड़ताल के चलते कॉल उत्खनन में व्यापक असर देखने को मिल रहा है. हजारीबाग के चरही ही स्थित तापीन कोल माइंस में भी कॉल उत्खनन नहीं हुआ, जहां दिनभर कोयला की गाड़ी दिखती थी, वहां गुरुवार को एक भी गाड़ी नहीं दिखी और पूरे परिसर में सन्नाटा पसरा रहा.

कोल उद्योग से जुड़े भारतीय मजदूर संघ के जिला मंत्री ने इस हड़ताल को सफल बताया है. उन्होंने कहा कि संयुक्त मोर्चा ने पूरे कोल इंडिया में 5 सूत्री मांग को लेकर हड़ताल की है. केंद्र सरकार ने कोल ब्लॉक को कमशिर्यल करने का फैसला ले लिया है और 18 जून को थी नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर दिया है. यह फैसला मजदूर विरोधी है और इससे कोल इंडिया को बुरा असर पड़ने वाला है. उनका कहना है कि हजारीबाग में बरसात के दिनों में भी 5000 टन प्रतिदिन कोयला का उत्पादन होता था और अब 3 दिनों तक एक इंच भी कोयला खदान से नहीं निकलेगा, जिसका व्यापक असर देखने को मिलेगा.

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5 सेंट्रल ट्रेड यूनियन और क्षेत्रीय ट्रेड यूनियन
वहीं राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर संघ इंटक के शाखा सचिव देवनारायण कुमार यादव का कहना है कि यह फैसला सरकार का मजदूरों को गर्त में ले जाने का काम करेगा और कोल इंडिया का भट्ठा बढ़ जाएगा. आज के वक्त 5 सेंट्रल ट्रेड यूनियन और क्षेत्रीय ट्रेड यूनियन ने मिलकर हड़ताल बुलाया है. इसका व्यापक असर देखने को आप लोगों को मिलेगा. उनका यह भी कहना है कि जो मजदूर कोल उत्पादन में लगे हैं वे होम क्वारंटाइन हो गए हैं. जब तीसरे दिन के बाद मजबूर होम क्वारंटाइन से बाहर निकलेंगे तब सरकार को पता चलेगा कि हमारा महत्व कितना है.

बताते चलें कि 41 माइंस का ऑनलाइन बिडिंग किया जाना है और इनमें से 9 झारखंड में है और 1 गोंलपुरा हजारीबाग जिले में है. इस हड़ताल से करोड़ों रुपये का नुकसान होगा. ऐसे में हजारीबाग में हड़ताल के कई मायने निकाले जा रहे हैं.

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