धनबाद: कोयलांचल धनबाद में सरकारी अस्पतालों का हाल बेहाल है. किसी अस्पताल में डॉक्टर नहीं तो किसी में होम्योपैथिक डॉक्टर एलोपैथिक का इलाज करते नजर आते हैं. ऐसे में मरीजों की सुरक्षा भगवान भरोसे ही है. क्योंकि होम्योपैथिक डॉक्टर जब एलोपैथिक इलाज करते हैं तो कुछ भी हो सकता है.
स्वास्थ्य विभाग का सख्त आदेश है कि आयुष चिकित्सकों से ओपीडी और इमरजेंसी सेवा नहीं ली जा सकती है. इलाज के तीन पद्धतियां हैं एलोपैथिक, आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक. तीनों पद्धति अलग-अलग है और तीनों की दवाई भी अलग होती है. ऐसे में अति नक्सल प्रभावित प्रखंड टुंडी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ओपीडी में होम्योपैथिक डॉक्टर बैठकर मरीजों का एलोपैथिक इलाज कैसे करते हैं यह स्वास्थ्य विभाग ही जान सकता है.
प्रभारी समय पर अस्पताल नहीं पहुंचते
बता दें कि जब ईटीवी भारत की टीम टुंडी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पहुंचे तो वहां पर मरीज के परिजनों ने जो खुलासे किए हैं वह बहुत ही चौंकाने वाले हैं. परिजनों ने कहा कि प्रभारी डॉक्टर रोहित गौतम कभी भी समय पर अस्पताल में नहीं आते. एक मरीज के परिजन ने कहा कि प्रभारी को आज तक देखा भी नहीं है. अपनी ओपीडी में वे कभी भी नहीं बैठते हैं.
होम्योपैथिक डॉक्टर करते हैं इलाज
अस्पताल में पहुंचने पर होम्योपैथिक डॉक्टर अभिषेक मुखर्जी ओपीडी में बैठकर मरीजों का इलाज कर रहे थे. उनसे पूछने पर उन्होंने बताया कि ओपीडी प्रभारी महोदय की ही है, लेकिन जिला में मीटिंग रहने के कारण प्रभारी के आदेशानुसार वो ओपीडी में बैठे हैं. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह सही है कि वो एलोपैथी का इलाज नहीं कर सकते, लेकिन प्रभारी सर का आदेश है और बहुत दूर-दूर से मरीज आते हैं, मरीजों को घूमकर ना जाना पड़े जिसके कारण वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर उन्हें इलाज करना पड़ रहा है.
सवाल यह उठता है कि जिन्हें एलोपैथिक दवा के बारे में कोई जानकारी ही न हो वह ओपीडी में बैठकर मरीजों का इलाज कैसे कर सकते हैं और अगर किसी प्रकार की अनहोनी हो जाती है तो इसकी जवाबदेही कौन लेगा? बता दें कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत इन होम्योपैथिक चिकित्सकों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में रखा जाता है, जिनका मुख्य काम आंगनबाड़ी और स्कूलों में जाकर बच्चों की देखरेख करनी होती है.
डॉक्टर बच्चों को देते हैं धमकी
एक मरीज के परिजन परमेश्वर मंडल ने डॉक्टर सोनी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि एक बार अपने बच्चे को लेकर अस्पताल में इलाज कराने गए थे, लेकिन बच्चे ने गलती से डॉक्टर साहब का दरवाजा खटखटा दिया, फिर डॉक्टर साहब का पारा गर्म हो गया और उन्होंने छत के ऊपर से बच्चे को फेंक देने की बात कह डाली. डॉक्टर ने इलाज भी नहीं किया थक हार कर परिजन मेडिकल गए और मेडिकल से दवा लेकर अपने बच्चे को लेकर घर चले गए.
इस पूरे मामले में प्रभारी रोहित गौतम से बात की गई तो उन्होंने कहा कि जिला में मीटिंग रहने के कारण उन्हें जाना पड़ा. उन्होंने अपनी जगह ओपीडी में दूसरे डॉक्टर को बिठा दिया है. वहीं जिले के सिविल सर्जन प्रदीप बासकी ने बताया कि यह बात सही है कि होम्योपैथिक डॉक्टर एलोपैथिक इलाज नहीं कर सकते, लेकिन कुछ विशेष ट्रेनिंग के तहत होम्योपैथिक डॉक्टर एलोपैथी का इलाज कर सकते हैं.