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झारखंड हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, 18 हजार हाई स्कूल शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया रद्द - झारखंड हाई कोर्ट का बड़ा फैसला

jharkhand high court verdict on high school recruitment case
झारखंड हाई कोर्ट
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Published : Sep 21, 2020, 12:12 PM IST

Updated : Sep 21, 2020, 3:13 PM IST

11:59 September 21

झारखंड हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, 18 हजार हाई स्कूल शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया रद्द

अधिवक्ता से खास बातचीत

रांचीः हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति मामले में झारखंड हाई कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश हरीश चंद्र मिश्रा, न्यायाधीश एस चंद्रशेखर और न्यायाधीश दीपक रोशन ने सहमति के आधार पर यह फैसला सुनाया है. अदालत ने यह माना कि राज्य सरकार की ओर से हाई स्कूल नियुक्ति प्रक्रिया में 13 जिले को 100% प्रतिशत आरक्षण किया जाना संविधान के अनुरूप नहीं है.  

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि 'एक सौ प्रतिशत आरक्षण नहीं किया जा सकता, राज्य सरकार के तरफ से निकाले गए विज्ञापन में 13 जिले को 100% आरक्षण कर दिया गया है जो कि गलत है. इसलिए विज्ञापन को खारिज कर दिया है', साथ ही नियुक्ति प्रक्रिया को भी रद्द कर दिया गया है. 11 जिले को जिसे गैर अनुसूचित जिला घोषित करते हुए, उसे अनारक्षित रखा गया था याचिका में इस जिले को चुनौती नहीं दी गई थी, इसलिए उस पर अदालत ने किसी तरह का कोई आदेश नहीं दिया है.

इसे भी पढे़ं:- राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों में क्लैट-2020 के तहत ही होंगे नामांकन : सुप्रीम कोर्ट

सोनी कुमारी ने दी थी चुनौती

सरकार के नियोजन नीति को सोनी कुमारी ने झारखंड हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. मामले की सुनवाई के दौरान पूर्व में न्यायाधीश एस चंद्रशेखर की अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सुनवाई के लिए डबल बेंच स्थानांतरित किया था, मामले की सुनवाई डबल बेंच ने करते हुए इसकी गंभीरता को देखते हुए इसे पूर्ण पीठ में सुनवाई के लिए स्थानांतरित कर दिया, उसके बाद पूर्ण पीठ ने मामले की सुनवाई कर आदेश सुरक्षित रख लिया गया था. उसी फैसले को सुनाया गया है.

क्या है मामला 

झारखंड में हाई स्कूल का 18,584 शिक्षकों की नियुक्ति के लिए वर्ष 2016 में विज्ञापन निकाला गया था, जिसमें पूर्व के रघुवर सरकार ने नियुक्ति के लिए नियोजन नीति बनाया. उस नियोजन नीति में 13 जिले को अनुसूचित जिला घोषित कर उस जिले में सिर्फ उसी जिले के निवासियों को नौकरी के लिए आवेदन देने की नीति बनाई गई. राज्य के 11 जिले को गैर अनुसूचित घोषित करते हुए उस जिले में सभी को आवेदन करने को कहा गया. राज्य सरकार के इसी नियोजन नीति से आहत होकर सोनी कुमारी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की याचिका के माध्यम से कहा कि अपने ही राज्य के निवासी अपने ही राज्य में नौकरी से वंचित हो गए, यह समानता के अधिकार का हनन है. इसी मामले पर सुनवाई के दौरान पूर्व में सुनवाई पूरी कर ली गई थी, आदेश सुरक्षित रखा था.

गैर अनुसूचित या गैर आरक्षण

हजारीबाग, रामगढ़, कोडरमा, गिरिडीह, बोकारो, पलामू, गढ़वा, चतरा, धनबाद, गोड्डा और देवघर को गैर अनुसूचित या गैर आरक्षित रखा गया है. इन जिलों में किसी भी जिले के अभ्यर्थी आवेदन दे सकते हैं और नौकरी कर सकते हैं.

अनुसूचित जिले जिसे आरक्षित किया गया 

रांची, दुमका, पूर्वी सिंहभूम, गुमला,  जामताड़ा, खूंटी, लातेहार, लोहरदगा, पाकुड़, साहिबगंज, सिमडेगा, पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला खरसावां इन जिलों को अनुसूचित रखते हुए आरक्षित किया गया है. इस जिले में सिर्फ इसी जिले के निवासी आवेदन कर सकते हैं और नौकरी कर सकते हैं.

11:59 September 21

झारखंड हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, 18 हजार हाई स्कूल शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया रद्द

अधिवक्ता से खास बातचीत

रांचीः हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति मामले में झारखंड हाई कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश हरीश चंद्र मिश्रा, न्यायाधीश एस चंद्रशेखर और न्यायाधीश दीपक रोशन ने सहमति के आधार पर यह फैसला सुनाया है. अदालत ने यह माना कि राज्य सरकार की ओर से हाई स्कूल नियुक्ति प्रक्रिया में 13 जिले को 100% प्रतिशत आरक्षण किया जाना संविधान के अनुरूप नहीं है.  

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि 'एक सौ प्रतिशत आरक्षण नहीं किया जा सकता, राज्य सरकार के तरफ से निकाले गए विज्ञापन में 13 जिले को 100% आरक्षण कर दिया गया है जो कि गलत है. इसलिए विज्ञापन को खारिज कर दिया है', साथ ही नियुक्ति प्रक्रिया को भी रद्द कर दिया गया है. 11 जिले को जिसे गैर अनुसूचित जिला घोषित करते हुए, उसे अनारक्षित रखा गया था याचिका में इस जिले को चुनौती नहीं दी गई थी, इसलिए उस पर अदालत ने किसी तरह का कोई आदेश नहीं दिया है.

इसे भी पढे़ं:- राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों में क्लैट-2020 के तहत ही होंगे नामांकन : सुप्रीम कोर्ट

सोनी कुमारी ने दी थी चुनौती

सरकार के नियोजन नीति को सोनी कुमारी ने झारखंड हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. मामले की सुनवाई के दौरान पूर्व में न्यायाधीश एस चंद्रशेखर की अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सुनवाई के लिए डबल बेंच स्थानांतरित किया था, मामले की सुनवाई डबल बेंच ने करते हुए इसकी गंभीरता को देखते हुए इसे पूर्ण पीठ में सुनवाई के लिए स्थानांतरित कर दिया, उसके बाद पूर्ण पीठ ने मामले की सुनवाई कर आदेश सुरक्षित रख लिया गया था. उसी फैसले को सुनाया गया है.

क्या है मामला 

झारखंड में हाई स्कूल का 18,584 शिक्षकों की नियुक्ति के लिए वर्ष 2016 में विज्ञापन निकाला गया था, जिसमें पूर्व के रघुवर सरकार ने नियुक्ति के लिए नियोजन नीति बनाया. उस नियोजन नीति में 13 जिले को अनुसूचित जिला घोषित कर उस जिले में सिर्फ उसी जिले के निवासियों को नौकरी के लिए आवेदन देने की नीति बनाई गई. राज्य के 11 जिले को गैर अनुसूचित घोषित करते हुए उस जिले में सभी को आवेदन करने को कहा गया. राज्य सरकार के इसी नियोजन नीति से आहत होकर सोनी कुमारी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की याचिका के माध्यम से कहा कि अपने ही राज्य के निवासी अपने ही राज्य में नौकरी से वंचित हो गए, यह समानता के अधिकार का हनन है. इसी मामले पर सुनवाई के दौरान पूर्व में सुनवाई पूरी कर ली गई थी, आदेश सुरक्षित रखा था.

गैर अनुसूचित या गैर आरक्षण

हजारीबाग, रामगढ़, कोडरमा, गिरिडीह, बोकारो, पलामू, गढ़वा, चतरा, धनबाद, गोड्डा और देवघर को गैर अनुसूचित या गैर आरक्षित रखा गया है. इन जिलों में किसी भी जिले के अभ्यर्थी आवेदन दे सकते हैं और नौकरी कर सकते हैं.

अनुसूचित जिले जिसे आरक्षित किया गया 

रांची, दुमका, पूर्वी सिंहभूम, गुमला,  जामताड़ा, खूंटी, लातेहार, लोहरदगा, पाकुड़, साहिबगंज, सिमडेगा, पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला खरसावां इन जिलों को अनुसूचित रखते हुए आरक्षित किया गया है. इस जिले में सिर्फ इसी जिले के निवासी आवेदन कर सकते हैं और नौकरी कर सकते हैं.

Last Updated : Sep 21, 2020, 3:13 PM IST
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