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हर घर में शुद्ध दूध पहुंचाने की इच्छा से दो इंजीनियरों ने छोड़ा विदेश, करोड़ों में पहुंचा टर्न ओवर

झारखंड को दो युवा इंजीनियरों ने हर घर में शुद्ध दूध पहुंचाने की इच्छा में विदेश की नौकरी छोड़ दी. इसके बाद रांची में स्टार्ट अप शुरू किया. कुछ ही साल में टर्न ओवर करोड़ों में पहुंच गया है.

झारखंड को दो युवा इंजीनियर
झारखंड को दो युवा इंजीनियर
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Published : Oct 21, 2021, 1:01 AM IST

Updated : Oct 21, 2021, 1:26 AM IST

रांची: सेहत के लिए दूध बहुत जरूरी है लेकिन अगर दूध शुद्ध न हो तो सेहत खराब भी हो सकता है. हर घर में शुद्ध दूध पहुंचे, इसके लिए राजधानी के दो युवा इंजीनियर मनीष और आदित्य विदेश की नौकरी छोड़कर राजधानी रांची में दूध व्यवसाय में स्टार्टअप की शुरुआत की है. कृषि गोपालन और संचार क्रांति की नई तकनीक के जरिए दोनों युवा इंजीनियर राजधानी सहित दूसरे जिलों में घर-घर शुद्ध दूध और उससे निर्मित अन्य व्यंजन पहुंचा रहे हैं. रांची से मात्र 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ओरमांझी के चकला में मनीष और आदित्य का यह स्टार्टअप बेहतरीन तरीके से चल रहा है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट.

हर घर में शुद्ध दूध पहुचाने की योजना
झारखंड के बेहतरीन संस्थानों में से एक बीआईटी मेसरा और आईआईएम इंदौर से एमबीए कर चुके मनीष और आदित्य वर्तमान समय में वैसे युवाओं के लिए एक रोल मॉडल बन चुके हैं जो पैसे कमाने के लिए अपने शहर के साथ-साथ देश छोड़ दे रहे हैं. देश की बेहतरीन और नामी कंपनी टाटा के साथ जुड़कर मनीष और आदित्य 14 देशों में नौकरी कर चुके हैं. वहां उन्हें सालाना 1 करोड़ से अधिक वेतन के रूप में मिल रहे थे. लेकिन देश वापस लौटने और अपने ही शहर में काम करने की हसरत में दोनों विदेश की नौकरी छोड़कर रांची लौट आए और मात्र दो गाय से अपना स्टार्टअप शुरू किया. सपना था कि हर घर में शुद्ध दूध और उससे बने व्यंजन पहुंचाया जाए.

जनवरी 2019 में अपनी बचत के 10 लाख रुपये से रांची में डेयरी स्टार्टअप प्योरेश डेली की शुरुआत की. मनीष और आदित्य का यह स्टार्टअप उनके 1500 से अधिक ग्राहकों को उनके दरवाजे पर गाय का ऑर्गेनिक दूध और 35 तरह के केमिकल मुक्त डेयरी प्रोडक्ट्स उपलब्ध कराता है. आज उनकी कंपनी का वैल्युएशन 15 करोड़ रुपये के आसपास है और उनका एनुअल टर्नओवर तीन करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है.

मोमेंटम झारखंड ने बदल दी राह
ईटीवी भारत से बात करते हुए मनीष बताते हैं कि करीब 14 देशों में काम किया. 2017 में जब वे रांची लौटे, उस समय मोमेंटम झारखंड नाम का एक कार्यक्रम चल रहा था. मोमेंटम झारखंड कार्यक्रम में वह भी भाग लेने के लिए पहुंचे थे लेकिन कार्यक्रम में भाग लेने के बाद जब वह बाहर निकले तब कुछ लोगों की बातें उन्हें काफी चुभी.

मनीष ने कहा-कार्यक्रम में जब मैं टी ब्रेक के दौरान कॉन्फ्रेंस हॉल के बाहर खड़ा था, तो मैंने कुछ लोगों को बात करते सुना कि इस तरह के कॉन्फ्रेंस सिर्फ दो दिनों के लिए होते हैं, लेकिन झारखंड वहीं का वहीं रहता है. उन्हें यह लगा कि उन्हें कुछ ऐसा करना चाहिए ताकि लोगों की यह मानसिकता बदले. इसके बाद उन्होंने अपने बचपन के दोस्त आदित्य को फोन करके पूछा कि क्या वह रांची लौटकर उनके साथ कोई नया स्टार्टअप शुरू करने में उनकी मदद करेंगे. आदित्य की हामी भरने के बाद दोनों ने अपनी-अपनी कंपनी से रिजाइन किया और रांची वापस लौट आए.

मनीष के अनुसार-हमें पता था कि टेक्नोलॉजी किसी भी व्यवसाय के लिए जरूरी होगी. चूंकि आदित्य सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी में एक्सपर्ट था, तो हमने सभी तरह की बिजनेस ऑर्गनाइजेशन के लिए कस्टमाइज सॉफ्टवेयर बनाकर बेचने का काम शुरू किया. हम सॉफ्टवेयर डेवलप करके अलग-अलग बिजनेस को समझने की कोशिश कर रहे थे. इसी बीच मनीष और आदित्य को झारखंड में एक दूध प्रोसेसिंग कंपनी के लिए सॉफ्टवेयर डेवलप करने का प्रोजेक्ट मिला. जब वो पूरे प्रोसेस को समझने प्लांट पर गए, तो ये देखकर चौंक गए कि हम जो दूध पी रहे थे, उसकी प्रक्रिया में काफी रसायन का इस्तेमाल होता है जो लॉन्ग टर्म में हमारी सेहत के लिए खतरनाक है. इसके बाद ही अच्छी गुणवत्ता वाले दूध का बिजनेस शुरू करने का आइडिया आया.

पहले किया रिसर्च फिर शुरू हुआ स्टार्टअप
मनीष और आदित्य के अनुसार उन्होंने दूध के सेक्टर में अपने स्टार्टअप की शुरुआत करने से पहले लगभग 200 घरों में जाकर रिसर्च किया. एक-एक व्यक्ति से रूबरू होकर उनसे यह जानना चाहा कि क्या उन्हें शुद्ध दूध मिलता है. हर जगह से उन्हें इसका जवाब नहीं मिला जिसके बाद उन्होंने यह प्रण ले लिया कि दूध को ही अपना नया स्टार्टअप बनाएंगे.

दो महीने तक गाय के साथ बिताया
आमतौर पर यह माना जाता है कि दूध का बिजनेस कच्चा बिजनेस होता है. इसमें नुकसान की संभावनाएं बहुत अधिक होती है. खासकर जब पशुओं में बीमारी फैलती है तब नुकसान बहुत ज्यादा होता है. इस स्थिति से निपटने के लिए दोनों युवा इंजीनियरों ने 2 महीने तक रात में और दिन में 6 से 7 घंटे गायों के बीच रहकर अपना समय बिताया और देखा कि गाय कब किस तरह का व्यवहार करती है. उन्हें कब किस चीज की जरूरत होती है.

जड़ी बूटियों का प्रयोग
प्राचीनकाल में गायें जड़ी-बूटियां खाती थीं और दूध का उत्पादन करती थीं. उनका दूध औषधि की तरह काम करता था. मनीष और आदित्य ने गायों के भोजन में बदलाव किया और रिजल्ट चौंकाने वाला मिला. कुछ फेमस ब्रांड के दूध में प्रोटीन की मात्रा 2.9 प्रतिशत थी. जबकि आदित्य और मनीष के डेयरी में बने दूध में प्रोटीन 3.6 से 4 प्रतिशत के बीच मिला. इसके बाद जनवरी 2019 में दोनों ने मिलकर रांची में लोगों के बीच अच्छी गुणवत्ता वाले गाय के दूध की डिलीवरी सर्विस के साथ डेयरी की शुरुआत की. बाद में इस कड़ी को आगे बढ़ाते हुए दोनों ने रसायन मुक्त मिठाई, पनीर, गाय का घी, दही को भी शामिल किया.

बेहतर भोजन ,उचित रख रखाव
आदित्य और मनीष के डेयरी में जो पशुधन हैं उन्हें बेहद पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जाता है. जिसमें हल्दी, हरा चारा और खुद से निर्मित पौष्टिक आहार शामिल होता है. इसके अलावा गायों को रहने की व्यवस्था भी बेहतरीन है. गायों को रखने के लिए शेड का निर्माण कराया गया है जिसमें पंखे भी लगाए गए हैं. नियमित साफ-सफाई के लिए अलग से कई स्टाफ रखे गए हैं.

यह भी पढ़ें- तेजस्वी ने जो मछली पकड़ी है, सियासत में कौन सा रंग दिखाएगी वह?

90 कर्मचारी सीधे तौर पर काम करते हैं
वर्तमान समय में डेयरी में 90 कर्मचारी काम करते हैं और वे सभी लोकल हैं. कई ऐसे भी कर्मचारी हैं जो पहले दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में काम करते थे, लेकिन अब वे घर लौट आए हैं और अपने ही शहर में काम कर रहे हैं. स्थानीय लोगों को भी डेयरी में नौकरी दी गई है. मनीष के अनुसार कोविड संक्रमण के समय भी ऐसा नहीं हुआ कि जब वे समय पर किसी की सैलरी न दे पाए हों. कठिन परिस्थितियों के बावजूद वह अपने कर्मचारियों को सही समय पर सैलरी देते हैं. आदित्य के अनुसार हम उन डिलीवरी बॉयज को हायर करते हैं जिनके पास अपनी बाइक होती है. अधिकांश डिलीवरी बॉयज कॉलेज गोइंग स्टूडेंट हैं क्योंकि किसी भी घर में दूध पहुंचाने का समय सुबह का होता है. ऐसे में पढ़ाई कर रहे हैं स्टूडेंट भी उनके यहां काम करते हैं और अपनी पढ़ाई भी बेहतर तरीके से कर पाते हैं.

स्थानीय दूध उत्पादकों को भी अपने साथ जोड़ा
दोनों युवा इंजीनियर बेहतरीन काम कर रहे हैं. साथ ही आसपास के लोगों को भी रोजगार उपलब्ध करा रहे हैं. वैसे लोग जो हाइजीन तरीके से दूध का उत्पादन करते हैं, उन्हें भी अपने साथ जोड़कर वे उनकी आय बढ़ा रहे हैं. रांची के आसपास के जिलों के बड़े फॉर्म्स जो 400-500 लीटर दूध का उत्पादन करते हैं और हाइजीन का ध्यान रखते हैं, उन्हें भी अपने साथ जोड़ा है. आदित्य का कहना है कि हमने सभी को साफ कह रखा है आप हमारे हिसाब से दूध प्रोड्यूस करो, गायों की खुराक हमारे हिसाब से रखो. हम आपका सारा दूध मार्केट से 5 रुपये ज्यादा रेट पर लेंगे.

ऑनलाइन बुक करवा सकते हैं दूध
दूध और दूसरे दूध से बने व्यंजन की बिक्री करने के लिए बकायदा आदित्य और मनीष ने एक ऐप डेवलप किया है. इस ऐप के माध्यम से ग्राहक हर रोज अपनी जरूरत के हिसाब से दूध की मात्रा कम या ज्यादा कर सकते हैं. इससे दूध की बर्बादी नहीं होती है और ग्राहकों का पैसा भी बच जाता है. साथ ही वे अपने दूध का हिसाब किताब भी रख सकते हैं. दूध की गुणवत्ता बनी रहे और रास्ते में दूध में मिलावट न हो सके इसके लिए दूध को शीशे के बोतल में सील पैक किया जाता है. इसके साथ ही कॉल सेंटर के माध्यम से ग्राहक इसके बारे में कभी भी जानकारी ले सकते हैं. ग्राहकों से फीडबैक भी लिया जाता है. दूध डिलीवर करने के बाद जब बोतलें लौटती हैं तब 5 तरीके से उन्हें साफ किया जाता है ताकि किसी भी तरह से कीटाणु उसमें न रहे.

रांची: सेहत के लिए दूध बहुत जरूरी है लेकिन अगर दूध शुद्ध न हो तो सेहत खराब भी हो सकता है. हर घर में शुद्ध दूध पहुंचे, इसके लिए राजधानी के दो युवा इंजीनियर मनीष और आदित्य विदेश की नौकरी छोड़कर राजधानी रांची में दूध व्यवसाय में स्टार्टअप की शुरुआत की है. कृषि गोपालन और संचार क्रांति की नई तकनीक के जरिए दोनों युवा इंजीनियर राजधानी सहित दूसरे जिलों में घर-घर शुद्ध दूध और उससे निर्मित अन्य व्यंजन पहुंचा रहे हैं. रांची से मात्र 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ओरमांझी के चकला में मनीष और आदित्य का यह स्टार्टअप बेहतरीन तरीके से चल रहा है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट.

हर घर में शुद्ध दूध पहुचाने की योजना
झारखंड के बेहतरीन संस्थानों में से एक बीआईटी मेसरा और आईआईएम इंदौर से एमबीए कर चुके मनीष और आदित्य वर्तमान समय में वैसे युवाओं के लिए एक रोल मॉडल बन चुके हैं जो पैसे कमाने के लिए अपने शहर के साथ-साथ देश छोड़ दे रहे हैं. देश की बेहतरीन और नामी कंपनी टाटा के साथ जुड़कर मनीष और आदित्य 14 देशों में नौकरी कर चुके हैं. वहां उन्हें सालाना 1 करोड़ से अधिक वेतन के रूप में मिल रहे थे. लेकिन देश वापस लौटने और अपने ही शहर में काम करने की हसरत में दोनों विदेश की नौकरी छोड़कर रांची लौट आए और मात्र दो गाय से अपना स्टार्टअप शुरू किया. सपना था कि हर घर में शुद्ध दूध और उससे बने व्यंजन पहुंचाया जाए.

जनवरी 2019 में अपनी बचत के 10 लाख रुपये से रांची में डेयरी स्टार्टअप प्योरेश डेली की शुरुआत की. मनीष और आदित्य का यह स्टार्टअप उनके 1500 से अधिक ग्राहकों को उनके दरवाजे पर गाय का ऑर्गेनिक दूध और 35 तरह के केमिकल मुक्त डेयरी प्रोडक्ट्स उपलब्ध कराता है. आज उनकी कंपनी का वैल्युएशन 15 करोड़ रुपये के आसपास है और उनका एनुअल टर्नओवर तीन करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है.

मोमेंटम झारखंड ने बदल दी राह
ईटीवी भारत से बात करते हुए मनीष बताते हैं कि करीब 14 देशों में काम किया. 2017 में जब वे रांची लौटे, उस समय मोमेंटम झारखंड नाम का एक कार्यक्रम चल रहा था. मोमेंटम झारखंड कार्यक्रम में वह भी भाग लेने के लिए पहुंचे थे लेकिन कार्यक्रम में भाग लेने के बाद जब वह बाहर निकले तब कुछ लोगों की बातें उन्हें काफी चुभी.

मनीष ने कहा-कार्यक्रम में जब मैं टी ब्रेक के दौरान कॉन्फ्रेंस हॉल के बाहर खड़ा था, तो मैंने कुछ लोगों को बात करते सुना कि इस तरह के कॉन्फ्रेंस सिर्फ दो दिनों के लिए होते हैं, लेकिन झारखंड वहीं का वहीं रहता है. उन्हें यह लगा कि उन्हें कुछ ऐसा करना चाहिए ताकि लोगों की यह मानसिकता बदले. इसके बाद उन्होंने अपने बचपन के दोस्त आदित्य को फोन करके पूछा कि क्या वह रांची लौटकर उनके साथ कोई नया स्टार्टअप शुरू करने में उनकी मदद करेंगे. आदित्य की हामी भरने के बाद दोनों ने अपनी-अपनी कंपनी से रिजाइन किया और रांची वापस लौट आए.

मनीष के अनुसार-हमें पता था कि टेक्नोलॉजी किसी भी व्यवसाय के लिए जरूरी होगी. चूंकि आदित्य सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी में एक्सपर्ट था, तो हमने सभी तरह की बिजनेस ऑर्गनाइजेशन के लिए कस्टमाइज सॉफ्टवेयर बनाकर बेचने का काम शुरू किया. हम सॉफ्टवेयर डेवलप करके अलग-अलग बिजनेस को समझने की कोशिश कर रहे थे. इसी बीच मनीष और आदित्य को झारखंड में एक दूध प्रोसेसिंग कंपनी के लिए सॉफ्टवेयर डेवलप करने का प्रोजेक्ट मिला. जब वो पूरे प्रोसेस को समझने प्लांट पर गए, तो ये देखकर चौंक गए कि हम जो दूध पी रहे थे, उसकी प्रक्रिया में काफी रसायन का इस्तेमाल होता है जो लॉन्ग टर्म में हमारी सेहत के लिए खतरनाक है. इसके बाद ही अच्छी गुणवत्ता वाले दूध का बिजनेस शुरू करने का आइडिया आया.

पहले किया रिसर्च फिर शुरू हुआ स्टार्टअप
मनीष और आदित्य के अनुसार उन्होंने दूध के सेक्टर में अपने स्टार्टअप की शुरुआत करने से पहले लगभग 200 घरों में जाकर रिसर्च किया. एक-एक व्यक्ति से रूबरू होकर उनसे यह जानना चाहा कि क्या उन्हें शुद्ध दूध मिलता है. हर जगह से उन्हें इसका जवाब नहीं मिला जिसके बाद उन्होंने यह प्रण ले लिया कि दूध को ही अपना नया स्टार्टअप बनाएंगे.

दो महीने तक गाय के साथ बिताया
आमतौर पर यह माना जाता है कि दूध का बिजनेस कच्चा बिजनेस होता है. इसमें नुकसान की संभावनाएं बहुत अधिक होती है. खासकर जब पशुओं में बीमारी फैलती है तब नुकसान बहुत ज्यादा होता है. इस स्थिति से निपटने के लिए दोनों युवा इंजीनियरों ने 2 महीने तक रात में और दिन में 6 से 7 घंटे गायों के बीच रहकर अपना समय बिताया और देखा कि गाय कब किस तरह का व्यवहार करती है. उन्हें कब किस चीज की जरूरत होती है.

जड़ी बूटियों का प्रयोग
प्राचीनकाल में गायें जड़ी-बूटियां खाती थीं और दूध का उत्पादन करती थीं. उनका दूध औषधि की तरह काम करता था. मनीष और आदित्य ने गायों के भोजन में बदलाव किया और रिजल्ट चौंकाने वाला मिला. कुछ फेमस ब्रांड के दूध में प्रोटीन की मात्रा 2.9 प्रतिशत थी. जबकि आदित्य और मनीष के डेयरी में बने दूध में प्रोटीन 3.6 से 4 प्रतिशत के बीच मिला. इसके बाद जनवरी 2019 में दोनों ने मिलकर रांची में लोगों के बीच अच्छी गुणवत्ता वाले गाय के दूध की डिलीवरी सर्विस के साथ डेयरी की शुरुआत की. बाद में इस कड़ी को आगे बढ़ाते हुए दोनों ने रसायन मुक्त मिठाई, पनीर, गाय का घी, दही को भी शामिल किया.

बेहतर भोजन ,उचित रख रखाव
आदित्य और मनीष के डेयरी में जो पशुधन हैं उन्हें बेहद पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जाता है. जिसमें हल्दी, हरा चारा और खुद से निर्मित पौष्टिक आहार शामिल होता है. इसके अलावा गायों को रहने की व्यवस्था भी बेहतरीन है. गायों को रखने के लिए शेड का निर्माण कराया गया है जिसमें पंखे भी लगाए गए हैं. नियमित साफ-सफाई के लिए अलग से कई स्टाफ रखे गए हैं.

यह भी पढ़ें- तेजस्वी ने जो मछली पकड़ी है, सियासत में कौन सा रंग दिखाएगी वह?

90 कर्मचारी सीधे तौर पर काम करते हैं
वर्तमान समय में डेयरी में 90 कर्मचारी काम करते हैं और वे सभी लोकल हैं. कई ऐसे भी कर्मचारी हैं जो पहले दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में काम करते थे, लेकिन अब वे घर लौट आए हैं और अपने ही शहर में काम कर रहे हैं. स्थानीय लोगों को भी डेयरी में नौकरी दी गई है. मनीष के अनुसार कोविड संक्रमण के समय भी ऐसा नहीं हुआ कि जब वे समय पर किसी की सैलरी न दे पाए हों. कठिन परिस्थितियों के बावजूद वह अपने कर्मचारियों को सही समय पर सैलरी देते हैं. आदित्य के अनुसार हम उन डिलीवरी बॉयज को हायर करते हैं जिनके पास अपनी बाइक होती है. अधिकांश डिलीवरी बॉयज कॉलेज गोइंग स्टूडेंट हैं क्योंकि किसी भी घर में दूध पहुंचाने का समय सुबह का होता है. ऐसे में पढ़ाई कर रहे हैं स्टूडेंट भी उनके यहां काम करते हैं और अपनी पढ़ाई भी बेहतर तरीके से कर पाते हैं.

स्थानीय दूध उत्पादकों को भी अपने साथ जोड़ा
दोनों युवा इंजीनियर बेहतरीन काम कर रहे हैं. साथ ही आसपास के लोगों को भी रोजगार उपलब्ध करा रहे हैं. वैसे लोग जो हाइजीन तरीके से दूध का उत्पादन करते हैं, उन्हें भी अपने साथ जोड़कर वे उनकी आय बढ़ा रहे हैं. रांची के आसपास के जिलों के बड़े फॉर्म्स जो 400-500 लीटर दूध का उत्पादन करते हैं और हाइजीन का ध्यान रखते हैं, उन्हें भी अपने साथ जोड़ा है. आदित्य का कहना है कि हमने सभी को साफ कह रखा है आप हमारे हिसाब से दूध प्रोड्यूस करो, गायों की खुराक हमारे हिसाब से रखो. हम आपका सारा दूध मार्केट से 5 रुपये ज्यादा रेट पर लेंगे.

ऑनलाइन बुक करवा सकते हैं दूध
दूध और दूसरे दूध से बने व्यंजन की बिक्री करने के लिए बकायदा आदित्य और मनीष ने एक ऐप डेवलप किया है. इस ऐप के माध्यम से ग्राहक हर रोज अपनी जरूरत के हिसाब से दूध की मात्रा कम या ज्यादा कर सकते हैं. इससे दूध की बर्बादी नहीं होती है और ग्राहकों का पैसा भी बच जाता है. साथ ही वे अपने दूध का हिसाब किताब भी रख सकते हैं. दूध की गुणवत्ता बनी रहे और रास्ते में दूध में मिलावट न हो सके इसके लिए दूध को शीशे के बोतल में सील पैक किया जाता है. इसके साथ ही कॉल सेंटर के माध्यम से ग्राहक इसके बारे में कभी भी जानकारी ले सकते हैं. ग्राहकों से फीडबैक भी लिया जाता है. दूध डिलीवर करने के बाद जब बोतलें लौटती हैं तब 5 तरीके से उन्हें साफ किया जाता है ताकि किसी भी तरह से कीटाणु उसमें न रहे.

Last Updated : Oct 21, 2021, 1:26 AM IST
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