नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत गिरफ्तारी के ईडी के अधिकार को बरकरार रखा है. अदालत ने कहा ईडी की गिरफ्तारी की प्रक्रिया मनमानी नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के कई प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ये फैसला सुनाया. हालांकि, कोर्ट ने कानून में फाइनेंस बिल के जरिए किए गए बदलाव के मामले को 7 जजों की बेंच में भेज दिया है. याचिका में जमानत की मौजूदा शर्तों पर भी सवाल उठाया गया था.
साथ ही अदालत ने कहा है कि जांच के दौरान ईडी, एसएफआईओ, डीआरआई अधिकारियों के सामने दर्ज बयान भी वैध सबूत हैं. इसके साथ ही बेंच ने कहा, आरोपी को शिकायत की कॉपी देना भी जरूरी नहीं है. यह काफी है कि आरोपी को यह बता दिया जाए कि उसे किन आरोपों के तहत गिरफ्तार किया जा रहा है.
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प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत ईडी द्वारा की जाने वाली गिरफ्तारी, जब्ती और जांच की प्रक्रिया कितनी सही है. इस संबंध में कुल 242 याचिकाएं लगी थीं. पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री अनिल देशमुख भी याचिकाकर्ताओं में शामिल हैं. याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि पीएमएलए के प्रावधान मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं. बहस के दौरान वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और मुकुल रोहतगी ने अपने-अपने पक्षों का प्रतिनिधित्व किया था.