चतरा: जिले में मातृत्व को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है. यहां एक मां ने चंद रुपयों के लिए अपनी ममता का सौदा किया है. चतरा सदर अस्पताल में सोमवार दोपहर एक महिला ने बच्चे को जन्म दिया. बच्चे के जन्म के कुछ देर बाद ही देर रात वहां मौजूद एक स्वास्थ्य सहिया ने एक लाख रुपए में सौदा पक्का करवाया. इसके बाद अस्पताल में लगे कैमरे से बचने के लिए उसने नवजात की मां को अस्पताल से बाहर बुलाया और एक लाख रुपए दे दिए.
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सदर अस्पताल में नवजात के सौदे की बात जैसे ही सामने आई पूरे महकमे में हड़कंप मच गया. मामले की गंभीरता को देखते हुए उपायुक्त अबु इमरान ने सिविल सर्जन के नेतृत्व में एसडीओ और एसडीपीओ की संयुक्त टीम का गठन किया और जांच के आदेश दिए. जिसके बाद त्वरित कार्रवाई करते हुए टीम ने आरोपी सहिया और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों से पूछताछ करते हुए बेचे गए नवजात को बरामद करने में जुट गई.
जांच में ये बात समाने आई की आशा देवी को सोमवार दोपहर प्रसव पीड़ा के बाद उसके परिजनों उसे सदर अस्पताल लेकर पहुंचे. जहां चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों की देखरेख में देर शाम महिला का प्रसव कराया गया. आरोप है कि प्रसव के चंद घंटे बाद ही देर रात मौके पर मौजूद सहिया डिंपल देवी ने एक लाख रुपये में नवजात का सौदा उसकी मां से करवा दिया. मामले का खुलासा तब हुआ जब ड्यूटी पर तैनात दूसरे स्वास्थ्यकर्मी ने बच्चे को नहीं देखा. बच्चे के गायब होने की बात जैसे ही पता चली हंगामा मच गया. हालांकि जैसे ही पूछताछ की गई नवजात की मां आशा देवी ने बच्चे को बेचने की बात स्वीकार कर ली और अस्पताल में किसी को कुछ बताएं वहां से भागकर घर आ गई.
इधर, जिसके बाद डीसी के निर्देश पर सदर थाना पुलिस तत्परता से कार्रवाई करते हुए महिला के घर पहुंची. घर की तलाशी में पुलिस को एक लाख रुपये मिल गए. इसके बाद महिला को हिरासत में ले लिया गया. इसके साथ ही आरोपी सहिया को भी पुलिस ने पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया. पूछताछ में नवजात की मां ने बताया कि सहिया ने उससे कहा था कि उसके भाई के बच्चे नहीं हैं, इसलिए पैसे लेकर नवजात को उन्हें दे दिया. वहीं, सहिया ने महिला पर फंसाने का आरोप लगाया है. उसका कहना है कि जब वह अस्पताल में थी ही नहीं तो फिर बच्चे का सौदा कैसे करवा सकती है. इस पूरे मामले में अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं. उनका कहना है कि जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है. फिलहाल बच्चे को रिकवर करना प्रशासन की पहली जिम्मेदारी है.