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Elephant Terror in Jharkhand: झारखंड के पांच जिलों में गजराज का आतंक, 14 लोगों की ले चुका है जान, रांची के इटकी में निषेधाज्ञा लागू

झारखंड में एक हाथी के कहर से 5 जिले के लोग परेशान है. परेशानी इस कदर बढ़ गई है कि प्रशासन को रांची के प्रभावित इलाके में धारा 144 लगानी पड़ गई है. प्रशासन की तरफ से हर संभव कोशिश की जा रही है इस परेशानी से निपटने के लिए.

Section 144 had to be imposed in Itki Jharkhand
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Published : Feb 21, 2023, 4:27 PM IST

Updated : Feb 21, 2023, 5:04 PM IST

शशिकर सामंता, पीसीसीएफ, वाइल्ड लाइफ

रांचीः झारखंड के पांच जिलों में जंगली हाथी ने कोहराम मचा रखा है. यह गजराज इस कदर गुस्से में है कि इंसान को देखते ही रौंदने के लिए दौड़ पड़ रहा है. मंगलवार यानी 21 फरवरी की दोपहर तक यह हाथी 14 लोगों की जान ले चुका है. राज्य के पीसीसीएफ, वाइल्ड लाइफ शशिकर सामंता ने ईटीवी भारत को बताया कि अभी तक की जानकारी के मुताबिक पिछले दिनों इसी हाथी ने हजारीबाग में तीन लोगों को रौंद दिया था. वहां से खदेड़ कर चतरा के जंगल में घुसाया गया. लेकिन चतरा में भी इसने एक इंसान को अपना निशाना बना लिया.

ये भी पढ़ेंः Seven Death in Jharkhand: झारखंड में हाथियों के टेरर से लोग परेशान, दो दिनों में 7 लोगों की ली जान

इसके बाद लातेहार चला गया. वहां भी एक शख्स की जान ले ली. लातेहार के बाद वह लोहरदगा जिले में प्रवेश कर गया. यहां उसने 48 घंटे के भीतर पांच लोगों को रौंद डाला. खास बात है कि यह हाथी अब लोहरदगा से रांची के इटकी थाना क्षेत्र में आ घुसा है. इटकी के अलग-अलग गांवों में अबतक चार लोगों की जान ले चुका है. जिनमें तीन पुरूष और महिला शामिल है. लिहाजा, इस हाथी ने हजारीबाग, चतरा, लातेहार, लोहरदगा और रांची में अब तक 14 लोगों को रौंद चुका है. इसकी वजह से तमाम इलाकों में दहशत है. यह हाथी बहुत ही एग्रेसिव है. इंसान को अपने करीब देखते ही उसके पीछे दौड़ पड़ रहा है.

रांची के एसडीओ ने बताया कि वन विभाग के आग्रह को ध्यान में रखते हुए पूरे इटकी प्रखंड क्षेत्र में धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है. अब इस इलाके में चार या उससे ज्यादा लोग एक जगह जमा नहीं हो सकते. अगर लोग जमा होते हैं तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

आखिर क्यों कोहराम मचा रहा है हाथीः पीसीसीएफ, वाइल्ड लाइफ, शशिकर सामंता ने बताया कि उस हाथी को लगातार ट्रैक किया जा रहा है. आम तौर पर तीन वजहों से ही हाथी घातक रूख अख्तियार कर लेते हैं. एक तो अपने झुंड से बिछड़ने पर या मस्त होने पर. लेकिन कई बार हाथी को देखते ही लोग उस पर पत्थर फेंकने लगते हैं. उसे तंग करने लगते हैं. इस वजह से भी हाथी गुस्से में आ जाता है. हालाकि अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है कि जो हाथी लोगों की जान ले रहा है, वह मस्त अवस्था में है या नहीं. फिलहाल इस बात पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है कि उस हाथी को उसके झुंड से कैसे मिला दिया जाए.

ट्रैंकोलाइज करेंगे या 'कुनकी' की पड़ेगी जरूरतः पीसीसीएफ, वाइल्ड लाइफ ने कहा कि हाथी को ट्रैंकोलाइज यानी बेहोश कर कब्जे में लेना अंतिम विकल्प होगा. क्योंकि हाथी एक बड़ा जानवर है. बेहोश करने के बाद वह कुछ घंटों में ही होश में आ जाएगा. इसके बाद उसे बांध कर रखना भी बड़ी चुनौती होगी. वन विभाग के पास ऐसे हालात से निपटने के लिए ट्रेंड मैन पावर की भी कमी है. अगर जरूरत पड़ी तो दूसरे राज्य से भी एक्सपर्ट को बुलाया जा सकता है. जहां तक कुनकी हाथी के इस्तेमाल की बात है तो यह सुविधा झारखंड में नहीं है. उन्होंने कहा कि कुनकी हाथी को असम से मंगवाना पड़ेगा. इसमें काफी वक्त लग जाएगा. इसलिए कोशिश हो रही है कि हाथी को जंगल की तरफ खदेड़ा जाए. आपको बता दें कि कुनकी हाथी एक ट्रेंड हाथी होती है जो अनियंत्रित हो चुके जंगली हाथियों को ट्रैप करने में मदद करती है. फिलहाल तमाम बिंदुओं पर विचार विमर्श चल रहा है.

सावधानी और बचाव के क्या हैं उपायः अगर आपके गांव के आसपास हाथी दिखे तो फौरन वन विभाग को सूचित करें. किसी भी हाल में हाथी के करीब न जाएं. हाथियों को लगातार न खदेड़ें. इससे वो हिंसक हो जाते हैं. जंगल से लगे जगहों पर खलिहान न बनाएं. हाथी की गतिविधि वाले इलाकों में खलिहान में रात को न सोयें. खलिहान में या घर में रखे अनाज को अगर हाथी खाने लगे तो उसे न छेड़ें. नुकसान की जानकारी पदाधिकारी को दें. उस आधार पर मुआवजा मिल जाएगा.

हाथी पर पत्थर फेंकना, गुलेल से मारना, जलता टायर फेंकना घातक हो सकता है. अगर किसी क्षेत्र में हाथी या हाथी का झुंड हो तो उस इलाके में शाम से सुबह तक आना-जाना न करें. अगर आपके गांव के आसपास हाथी हो तो हड़िया या देसी शराब न बनाएं. क्योंकि हाथी शराब की गंध से आकर्षित होते हैं. वह गांव में घुस सकते हैं. गांवों में मौजूद बिजली के खंभों पर तेज रौशनी वाले बल्ब लगाएं. हाथी को भगाने के दौरान हवा की दिशा का ध्यान रखें. हवा की दिशा में हाथी हो तो मिर्च का मशाल बनाकर धुआं करें. घर के बाहर शाम के वक्त सूखे गोबर में मिर्च पाउडर मिलाकर जलाया जा सकता है. इसकी गंध से हाथी बचते हैं. जिस रास्ते से हाथी गांव में घुसते हैं, उस रास्ते में जले मोबिल या ग्रीस लगी मोटी रस्सी में मिर्च पाउडर लेपकर घेरा बना दें. रस्सी के साथ सफेद या लाल रंग के कपड़े की पट्टी बांधकर लटका दें. क्योंकि हाथी लाल और सफेद रंग को नापसंद करते हैं. यह प्रक्रिया 20-25 दिन में फिर दोहराएं.

रांची के डीएफओ कर रहे हैं को-ऑर्डिनेटः रांची के डीएफओ श्रीकांत ने बताया कि हाथी से जान माल की रक्षा के लिए तमाम उपाए किए जा रहे हैं. सिल्ली से मशाल टीम को बुलाया गया है. प्रभावित इलाकों में बचाव के लिए मोटरसाइकिल से अनाउंसमेंट की तैयारी की जा रही है. रांची के एसडीओ से को-ऑर्डिनेट कर संबंधित इलाकों में धारा - 144 लागू कर कर दी गई है. एक डीएसपी स्तर के पदाधिकारी के नेतृत्व में पुलिस फोर्स मांगा गया है ताकि जमा भीड़ को हटाया जा सके. डीएफओ ने बताया कि जो हाथी कोहराम मचा रहा है. वह पूरी तरह से व्यस्क है. वह 25 किलो मीटर से स्पीड से मूव करता है. फिलहाल कोशिश है कि उसे लापुंग के जंगल की ओर शिफ्ट किया जाए.

शशिकर सामंता, पीसीसीएफ, वाइल्ड लाइफ

रांचीः झारखंड के पांच जिलों में जंगली हाथी ने कोहराम मचा रखा है. यह गजराज इस कदर गुस्से में है कि इंसान को देखते ही रौंदने के लिए दौड़ पड़ रहा है. मंगलवार यानी 21 फरवरी की दोपहर तक यह हाथी 14 लोगों की जान ले चुका है. राज्य के पीसीसीएफ, वाइल्ड लाइफ शशिकर सामंता ने ईटीवी भारत को बताया कि अभी तक की जानकारी के मुताबिक पिछले दिनों इसी हाथी ने हजारीबाग में तीन लोगों को रौंद दिया था. वहां से खदेड़ कर चतरा के जंगल में घुसाया गया. लेकिन चतरा में भी इसने एक इंसान को अपना निशाना बना लिया.

ये भी पढ़ेंः Seven Death in Jharkhand: झारखंड में हाथियों के टेरर से लोग परेशान, दो दिनों में 7 लोगों की ली जान

इसके बाद लातेहार चला गया. वहां भी एक शख्स की जान ले ली. लातेहार के बाद वह लोहरदगा जिले में प्रवेश कर गया. यहां उसने 48 घंटे के भीतर पांच लोगों को रौंद डाला. खास बात है कि यह हाथी अब लोहरदगा से रांची के इटकी थाना क्षेत्र में आ घुसा है. इटकी के अलग-अलग गांवों में अबतक चार लोगों की जान ले चुका है. जिनमें तीन पुरूष और महिला शामिल है. लिहाजा, इस हाथी ने हजारीबाग, चतरा, लातेहार, लोहरदगा और रांची में अब तक 14 लोगों को रौंद चुका है. इसकी वजह से तमाम इलाकों में दहशत है. यह हाथी बहुत ही एग्रेसिव है. इंसान को अपने करीब देखते ही उसके पीछे दौड़ पड़ रहा है.

रांची के एसडीओ ने बताया कि वन विभाग के आग्रह को ध्यान में रखते हुए पूरे इटकी प्रखंड क्षेत्र में धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है. अब इस इलाके में चार या उससे ज्यादा लोग एक जगह जमा नहीं हो सकते. अगर लोग जमा होते हैं तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

आखिर क्यों कोहराम मचा रहा है हाथीः पीसीसीएफ, वाइल्ड लाइफ, शशिकर सामंता ने बताया कि उस हाथी को लगातार ट्रैक किया जा रहा है. आम तौर पर तीन वजहों से ही हाथी घातक रूख अख्तियार कर लेते हैं. एक तो अपने झुंड से बिछड़ने पर या मस्त होने पर. लेकिन कई बार हाथी को देखते ही लोग उस पर पत्थर फेंकने लगते हैं. उसे तंग करने लगते हैं. इस वजह से भी हाथी गुस्से में आ जाता है. हालाकि अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है कि जो हाथी लोगों की जान ले रहा है, वह मस्त अवस्था में है या नहीं. फिलहाल इस बात पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है कि उस हाथी को उसके झुंड से कैसे मिला दिया जाए.

ट्रैंकोलाइज करेंगे या 'कुनकी' की पड़ेगी जरूरतः पीसीसीएफ, वाइल्ड लाइफ ने कहा कि हाथी को ट्रैंकोलाइज यानी बेहोश कर कब्जे में लेना अंतिम विकल्प होगा. क्योंकि हाथी एक बड़ा जानवर है. बेहोश करने के बाद वह कुछ घंटों में ही होश में आ जाएगा. इसके बाद उसे बांध कर रखना भी बड़ी चुनौती होगी. वन विभाग के पास ऐसे हालात से निपटने के लिए ट्रेंड मैन पावर की भी कमी है. अगर जरूरत पड़ी तो दूसरे राज्य से भी एक्सपर्ट को बुलाया जा सकता है. जहां तक कुनकी हाथी के इस्तेमाल की बात है तो यह सुविधा झारखंड में नहीं है. उन्होंने कहा कि कुनकी हाथी को असम से मंगवाना पड़ेगा. इसमें काफी वक्त लग जाएगा. इसलिए कोशिश हो रही है कि हाथी को जंगल की तरफ खदेड़ा जाए. आपको बता दें कि कुनकी हाथी एक ट्रेंड हाथी होती है जो अनियंत्रित हो चुके जंगली हाथियों को ट्रैप करने में मदद करती है. फिलहाल तमाम बिंदुओं पर विचार विमर्श चल रहा है.

सावधानी और बचाव के क्या हैं उपायः अगर आपके गांव के आसपास हाथी दिखे तो फौरन वन विभाग को सूचित करें. किसी भी हाल में हाथी के करीब न जाएं. हाथियों को लगातार न खदेड़ें. इससे वो हिंसक हो जाते हैं. जंगल से लगे जगहों पर खलिहान न बनाएं. हाथी की गतिविधि वाले इलाकों में खलिहान में रात को न सोयें. खलिहान में या घर में रखे अनाज को अगर हाथी खाने लगे तो उसे न छेड़ें. नुकसान की जानकारी पदाधिकारी को दें. उस आधार पर मुआवजा मिल जाएगा.

हाथी पर पत्थर फेंकना, गुलेल से मारना, जलता टायर फेंकना घातक हो सकता है. अगर किसी क्षेत्र में हाथी या हाथी का झुंड हो तो उस इलाके में शाम से सुबह तक आना-जाना न करें. अगर आपके गांव के आसपास हाथी हो तो हड़िया या देसी शराब न बनाएं. क्योंकि हाथी शराब की गंध से आकर्षित होते हैं. वह गांव में घुस सकते हैं. गांवों में मौजूद बिजली के खंभों पर तेज रौशनी वाले बल्ब लगाएं. हाथी को भगाने के दौरान हवा की दिशा का ध्यान रखें. हवा की दिशा में हाथी हो तो मिर्च का मशाल बनाकर धुआं करें. घर के बाहर शाम के वक्त सूखे गोबर में मिर्च पाउडर मिलाकर जलाया जा सकता है. इसकी गंध से हाथी बचते हैं. जिस रास्ते से हाथी गांव में घुसते हैं, उस रास्ते में जले मोबिल या ग्रीस लगी मोटी रस्सी में मिर्च पाउडर लेपकर घेरा बना दें. रस्सी के साथ सफेद या लाल रंग के कपड़े की पट्टी बांधकर लटका दें. क्योंकि हाथी लाल और सफेद रंग को नापसंद करते हैं. यह प्रक्रिया 20-25 दिन में फिर दोहराएं.

रांची के डीएफओ कर रहे हैं को-ऑर्डिनेटः रांची के डीएफओ श्रीकांत ने बताया कि हाथी से जान माल की रक्षा के लिए तमाम उपाए किए जा रहे हैं. सिल्ली से मशाल टीम को बुलाया गया है. प्रभावित इलाकों में बचाव के लिए मोटरसाइकिल से अनाउंसमेंट की तैयारी की जा रही है. रांची के एसडीओ से को-ऑर्डिनेट कर संबंधित इलाकों में धारा - 144 लागू कर कर दी गई है. एक डीएसपी स्तर के पदाधिकारी के नेतृत्व में पुलिस फोर्स मांगा गया है ताकि जमा भीड़ को हटाया जा सके. डीएफओ ने बताया कि जो हाथी कोहराम मचा रहा है. वह पूरी तरह से व्यस्क है. वह 25 किलो मीटर से स्पीड से मूव करता है. फिलहाल कोशिश है कि उसे लापुंग के जंगल की ओर शिफ्ट किया जाए.

Last Updated : Feb 21, 2023, 5:04 PM IST
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