नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने बृहस्पतिवार को एक गैर सरकारी संगठन को दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) के एक आदेश के विरुद्ध अपील दायर करने की अनुमति दे दी. इस आदेश में उच्च न्यायालय ने आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना को सेवानिवृत्ति की तारीख 31 जुलाई से चार दिन पहले दिल्ली पुलिस आयुक्त बनाने के केन्द्र के फैसले को बरकरार रखा था.
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि गैर सरकारी संगठन की याचिका और अपील पर 26 नवंबर को सुनवाई होगी. गैर सरकारी संगठन सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने पीठ से कहा कि अस्थाना की नियुक्ति के विरोध में दायर याचिका न्यायालय ने 25 अगस्त को लंबित रखी थी और उच्च न्यायालय से इसी प्रकार की एक याचिका पर जल्दी फैसला लेने का आग्रह किया था.
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भूषण ने कहा कि अब जब उच्च न्यायालय ने याचिका पर फैसला दे दिया है तो शीर्ष अदालत को इसका लाभ लेना चाहिए. मैं न्यायालय से अनुरोध करता हूं कि वह हमारी याचिका पर फैसला दे जो अस्थाना की नियुक्ति को चुनौती देती है. केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तकनीकी आधार पर प्रारंभिक आपत्ति दर्ज कराई कि यह एक रिट याचिका है और अगर भूषण उच्च न्यायालय के आदेश से असंतुष्ट हैं तो उन्हें शीर्ष अदालत की अनुमति से एक अपील दायर करनी चाहिए.
पीठ ने कहा कि पूर्व में ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें यदि कोई पक्ष उच्च न्यायालय से असंतुष्ट है तो वह न्यायालय की अनुमति से अपील दायर कर सकता है. पीठ ने कहा, हम आपको अपील दायर करने की छूट प्रदान करते हैं और रिट याचिका तथा अपील दोनों पर एक साथ विचार करके फैसला करेंगे क्योंकि हमने ही 25 अगस्त के आदेश में आपको हस्तक्षेप करने वाले के रूप में उच्च न्यायालय जाने के लिए कहा था.
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अस्थाना की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि अगर न्यायालय गैर सरकारी संगठन को अपील दायर करने की अनुमति दे रहा है तो उसे रिट याचिका लंबित नहीं रखनी चाहिए. पीठ ने कहा कि वह 26 नवंबर को इस पहलू पर गौर करेगी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने 12 अक्टूबर को अपने फैसले में अस्थाना को दिल्ली का पुलिस आयुक्त नियुक्त करने के केन्द्र सरकार के फैसले को सही ठहराते हुए कहा था कि उनके चयन मे कोई भी अवैधता या अनियमित्ता नहीं है.
उच्च न्यायालय ने अस्थाना के चयन को चुनौती देने वाली जनहित खारिज करते हुए कहा था कि इस नियुक्ति के बारे में केन्द्र द्वारा बताये गये कारण ठीक हैं और इसमें न्यायिक समीक्षा की आवश्यकता नहीं है. उच्च न्यायालय ने यह भी कहा था कि प्रकाश सिंह मामले में शीर्ष अदालत का फैसला दिल्ली के पुलिस आयुक्त की नियुक्ति के मामले में लागू नहीं होता है और उसका उद्देश्य राज्यों में पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति के संबंध में है.
(पीटीआई-भाषा)