रांची: राष्ट्रपित द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड हाईकोर्ट के नए भवन का उद्घाटन किया. इस मौके पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि सालों तक जो लोग न्याय का इंतजार करते हैं, रात में उस न्याय के इंतजार में सो नहीं पाते हैं, उन्हें 10-15-20 साल बाद न्याय तो दे दिया जाता है लेकिन न्याय उन्हें मिलता नहीं है. कई लोग मेरे पास आते हैं और यह कहते हैं कि मैडम न्याय तो हमें मिल गया है लेकिन जमीन पर काम नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि हमें न्याय का पालन करवाना है जो नहीं हो रहा है. यह एक बड़ा विषय है और इस पर विचार करना होगा.
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झारखंड हाईकोर्ट के नए भवन के उद्घाटन अवसर पर रांची में आयोजित कार्यक्रम में लोगों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि इसका कोई रास्ता निकालना चाहिए और अगर रास्ता नहीं है तो बनाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस मंच से मैं बोल रही हूं, यहां भारत के मुख्य न्यायाधीश बैठे हुए हैं, यहां पर झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस हैं, सुप्रीम कोर्ट के तमाम जस्टिस हैं, दूसरे न्यायालयों के न्यायविद् हैं साथ ही भारत सरकार के कानून मंत्री भी हैं, एक बार इस विषय पर विचार करना होगा कि कई लोग कहते हैं कि न्याय नहीं अगर मिल रहा है तो कोर्ट ऑफ कंटेम्प्ट का केस कर दो लेकिन इसके बाद भी हालात वही होंगे. 7 से 10 साल तक इंतजार करना होगा. आदेश फिर वही आएगा और न्याय नहीं मिलेगा, आखिर इसका इसका रास्ता क्या है?
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि भारत सरकार के कानून मंत्री के साथ ही चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया, चीफ जस्टिस ऑफ झारखंड, जस्टिस ऑफ हाई कोर्ट, जस्टिस ऑफ सुप्रीम कोर्ट, सिविल कोर्ट के जस्टिस यहां बैठे हुए हैं. आप सभी लोगों को मिलकर यह सोचना होगा कि जिन लोगों को यह न्याय मिल रहा है, अगर उन्हें उनका असली हक नहीं मिल रहा है तो वह कहां जाएं? मैं चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया से पूछ रही हूं क्या सुप्रीम कोर्ट के बाद भी कोई कोर्ट है? इस पर आप सभी लोग विचार करिए और साथ ही इसके लिए कोई रास्ता निकालिए अगर कानून है तो उसका पालन करवाइए और अगर कानून नहीं है तो यह कानून बनना चाहिए.
झारखंड में नए हाईकोर्ट भवन के उद्घाटन के अवसर पर महामहिम ने कहा कि मैं इस बात का धन्यवाद देती हूं कि आज इस मंच से चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने हिंदी में अपना स्पीच दिया है. मैं यह निवेदन करना चाहती हूं जब इस तरह के मंच से हिंदी बोला जाएगा तो भाषा की गरिमा लोगों के समझ में आएगी और भाषा का विस्तार भी होगा. इस पर भी काम करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि महिला हिंसा में जल्द न्याय की बात हो रही है जो एक बेहतर कदम कहा जा सकता है, लेकिन इस बात पर भी विचार करना होगा कि जो क्षमता है उससे कहीं ज्यादा लोग जेल में रखे गए हैं, जिस पर विचार करने की जरूरत है. झारखंड हाईकर्ट के नए भवन के बनने से निश्चित तौर पर न्याय व्यवस्था और झारखंड के लोगों को न्याय मिलने में आसानी होगी, इसके लिए झारखंड के लोगों को बधाई देती हूं. साथ ही न्यायपालिका से अनुरोध करती हूं कि जो मामले जल्दी निपटाए जा सकते हैं उस पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है.