नई दिल्ली : कोरोना महामारी के दौरान 10वीं व 12वीं के छात्रों की बोर्ड परीक्षा ऑफलाइन कराने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. बाल अधिकार कार्यकर्ता अनुभा श्रीवास्तव सहाय (Child rights activist Anubha Srivastava Sahay) द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि देश में कोविड-19 मामलों की बढ़े स्तर व तीसरी लहर की संभावना के कारण सभी राज्यों में 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा आयोजित करने को लेकर छात्र बहुत चिंता में हैं.
यदि परीक्षा ऑफलाइन आयोजित की जाती है तो यह छात्रों को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है. अधिकांश राज्यों में जून-दिसंबर 2020 की लॉकडाउन अवधि के दौरान छात्रों की कक्षाएं बंद थीं. सभी राज्यों के लगभग 98% कॉलेजों/स्कूलों ने कोई भी ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित नहीं की. इस मामले के बाद अधिकांश राज्य सरकार और शिक्षा विभाग ने छात्रों के लिए 100 दिनों की ऑफलाइन कक्षाएं घोषित की हैं और 100 दिनों के बाद परीक्षा आयोजित करने का ऐलान किया है.
अनुभा श्रीवास्तव सहाय कहती हैं कि सरकार ने यह भी फरमान सुनाया है कि ऑफलाइन कक्षाओं में शामिल होने के लिए छात्रों को अपने माता-पिता द्वारा हस्ताक्षरित अनापत्ति प्रमाण पत्र भी लाना होगा. लेकिन अधिकांश माता-पिता अपने बच्चे को महामारी में ऑफलाइन कक्षाओं में जाने की अनुमति देने में असमर्थ रहे. हालांकि शिक्षा महत्वपूर्ण है लेकिन बच्चों, शिक्षकों, पैरेंट्स का जीवन और मानसिक स्वास्थ्य अधिक महत्वपूर्ण है, जो कि ऑफलाइन परीक्षा में शामिल होने पर प्रभावित होगा.
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याचिका में कहा गया है कि विशेषज्ञ भविष्यवाणी कर रहे हैं कि इस बार बच्चे अधिक प्रभावित होंगे. इसलिए यदि उन्हें ऑफलाइन परीक्षा में बैठने के लिए कहा जाता है तो यह जीवन के अधिकार के खिलाफ होगा. याचिका में राज्य बोर्डों, सीबीएसई, आईसीएसई को छात्रों के प्रदर्शन का आकलन करने के लिए वैकल्पिक तंत्र बनाने के निर्देश की मांग की गई है. ज्ञात हो कि हाल ही में गेट परीक्षा को एक महीने के लिए स्थगित करने का मामला शीर्ष अदालत के सामने आया था. जिसे अदालत ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि अब स्थिति बेहतर है.