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मतदाता सूची में हेराफेरी के प्रयास को लेकर जम्मू-कश्मीर में चिंता की लहर: पीएजीडी

पीपुल्स अलायंस फॉर गुप्कर डिक्लेरेशन (PAGD) की बैठक आज (शनिवार) सुबह पार्टी सदस्य डॉ. फारूक अब्दुल्ला के आवास पर संपन्न हो गई है. बैठक में जम्मू-कश्मीर के मौजूदा मुद्दों सहित मतदाताओं के पंजीकरण पर चर्चा की गई.

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Published : Oct 15, 2022, 12:55 PM IST

Updated : Oct 15, 2022, 7:03 PM IST

श्रीनगर : पीपुल्स अलायंस फॉर गुप्कर डिक्लेरेशन की बैठक आज (शनिवार) सुबह पार्टी सदस्य डॉ. फारूक अब्दुल्ला के आवास पर संपन्न हो गई है. बैठक में जम्मू-कश्मीर के मौजूदा मुद्दों सहित मतदाताओं के पंजीकरण पर चर्चा की गई. बैठक में पीएजीडी के सदस्य यानी नेकां, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, माकपा और अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता शामिल थे. अवामी नेशनल कांफ्रेंस के नेता मुजफ्फर शाह ने कहा, 'बैठक में कई मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई. मतदान के अधिकार और अन्य मुद्दों पर भी चर्चा हुई.'

गुपकर घोषणापत्र गठबंधन (पीएजीडी) ने मतदाता सूची में संशोधन के नाम पर हेरफेर का आरोप लगाते हुए शनिवार को कहा कि इसने पूरे जम्मू-कश्मीर में चिंता की लहर पैदा कर दी है और लोगों तथा राजनीतिक दलों को इसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए. गठबंधन की बैठक के बाद यहां पत्रकारों से बातचीत में पीएजीडी के प्रवक्ता और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता एम वाई तारिगामी ने एक वर्ष से अधिक समय से निवास करने वालों को निवास प्रमाण पत्र जारी करने के लिए तहसीलदारों को अधिकृत करने और उन्हें मतदाता सूची के चल रहे विशेष सारांश संशोधन में शामिल करने के अब वापस लिए जा चुके जम्मू प्रशासन के आदेश का हवाला दिया और पूछा, "क्या जरूरत थी?"

उन्होंने कहा, "परिसीमन के नाम पर प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन मतदाता सूची में संशोधन के नाम पर हेराफेरी की कोशिश ने जम्मू और कश्मीर के लोगों में चिंता की लहर पैदा कर दी है." तारिगामी ने कहा कि सबसे पहले, जम्मू कश्मीर के मुख्य चुनाव अधिकारी ने कहा कि लगभग 25 लाख नए मतदाता जोड़े जाएंगे और यहां तक ​​कि गैर-स्थानीय लोग भी केंद्रशासित प्रदेश में मतदाता के रूप में अपना पंजीकरण करा सकते हैं, लेकिन कुछ दिन बाद सरकार ने स्पष्ट किया कि यह मीडिया द्वारा पैदा की गई एक गलत सूचना थी.

उन्होंने कहा, "फिर, एक सर्वदलीय बैठक में, उपराज्यपाल ने कहा कि यह एक गलत धारणा है. अगर यह गलत धारणा थी, तो अब क्या है? जम्मू से एक उपायुक्त एक आदेश के साथ आता है." यह आदेश बाद में वापस ले लिया गया. हालांकि, आदेश को वापस लेने का कोई कारण नहीं बताया गया, लेकिन इस आदेश पर जम्मू-कश्मीर में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को छोड़कर लगभग सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने नाराजगी जताई. गुरुवार को एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था, "आदेश वापस ले लिया गया है."

मंगलवार को, जिला चुनाव अधिकारी और उपायुक्त, जम्मू, अवनी लवासा ने आवश्यक दस्तावेजों की अनुपलब्धता के चलते मतदाताओं के रूप में पंजीकरण में कठिनाइयों का सामना करने वाले कुछ पात्र मतदाताओं की समस्या को गंभीरता से लेने के बाद मतदाता सूची पर आदेश जारी किया. पीएजीडी के प्रवक्ता ने लोगों और निर्वाचन आयोग से आदेश को पढ़ने और इसकी जटिलताओं को समझने की अपील की.

उन्होंने कहा, "हम नहीं जानते कि कौन चुनावी प्रक्रिया का उल्लंघन कर रहा है और कौन निर्वाचन आयोग के अधिकार को रौंद रहा है? हम नहीं जानते कि यह किसके निर्देश पर किया जा रहा है? हमें नहीं बताया जा रहा है कि ऐसा क्यों किया जा रहा है? लेकिन, अगले दिन, प्रेस को मौखिक रूप से बताया जाता है कि इसे रद्द कर दिया गया है..भाजपा को छोड़कर, सभी दलों ने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों की हत्या करार दिया है."

तारिगामी ने कहा कि लोगों और राजनीतिक दल संविधान के दायरे में रहकर अपनी आवाज उठाएं. उन्होंने कहा कि पीएजीडी के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला की अध्यक्षता में हुई बैठक में वर्तमान राजनीतिक स्थिति की समीक्षा की गई. तारिगामी ने केंद्र के पांच अगस्त, 2019 के अनुच्छेद 370 को रद्द करने के फैसले का जिक्र करते हुए आरोप लगाया, "चूंकि हमारे संवैधानिक अधिकारों पर हमला किया गया और उन्हें छीन लिया गया, इसलिए स्थिति दयनीय है." हालांकि, गठबंधन प्रवक्ता ने उम्मीद जताई कि जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के लोग अपने अधिकारों के लिए एकजुट होंगे.

तारिगामी ने कहा कि चार अगस्त, 2019 तक जम्मू-कश्मीर की संवैधानिक स्थिति न केवल कश्मीर के लोगों के लिए थी, बल्कि जम्मू, लेह और कारगिल के लोगों के लिए भी थी. उन्होंने कहा, “यह सिर्फ मुसलमानों के लिए नहीं थी, बल्कि सभी समुदायों के लिए थी, चाहे वह हिंदू, सिख, ईसाई या बौद्ध हों. वह रिश्ते का बंधन छिन गया. यह हमारा नुकसान है, हमारी आने वाली पीढ़ियों का नुकसान है. यह सिर्फ एक चुनाव प्रक्रिया नहीं है, बल्कि हमारे भविष्य का सवाल है.” तारिगामी ने कहा कि अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए उपहार नहीं था, बल्कि उनका संवैधानिक अधिकार था. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार इतिहास को विकृत कर रही है. उन्होंने कहा, "अफसोस की बात है कि प्रधानमंत्री ने हाल में इतिहास को इस तरह से पेश किया जो न केवल अनुचित है, बल्कि तथ्यों के विपरीत भी है."

लोगों से एकजुट रहने की अपील करते हुए तारिगामी ने कहा, "हम चाहते हैं कि हमारे संविधान में दी गई गारंटी (बहाल की जाए) और पांच अगस्त, 2019 के फैसलों को रद्द कर दिया जाए." डिपार्टमेंटल स्टोर में बीयर और अन्य तैयार पेय पदार्थों की बिक्री की अनुमति देने के सरकार के फैसले पर माकपा नेता ने पूछा कि यदि जम्मू-कश्मीर को गुजरात मॉडल में परिवर्तित किया जा रहा है, तो शराब की बिक्री की खुली छूट क्यों दी जा रही है. उन्होंने कहा, "आप देश में गुजरात मॉडल की बात कर रहे हैं, लेकिन वहां इसकी (शराब) अनुमति नहीं है. आपने इस बुराई के लिए जम्मू-कश्मीर को ही क्यों चुना?" तारिगामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से जेल में बंद कश्मीरी युवकों के मामलों की समीक्षा के अपने आश्वासन पर कायम रहने की अपील की.

श्रीनगर : पीपुल्स अलायंस फॉर गुप्कर डिक्लेरेशन की बैठक आज (शनिवार) सुबह पार्टी सदस्य डॉ. फारूक अब्दुल्ला के आवास पर संपन्न हो गई है. बैठक में जम्मू-कश्मीर के मौजूदा मुद्दों सहित मतदाताओं के पंजीकरण पर चर्चा की गई. बैठक में पीएजीडी के सदस्य यानी नेकां, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, माकपा और अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता शामिल थे. अवामी नेशनल कांफ्रेंस के नेता मुजफ्फर शाह ने कहा, 'बैठक में कई मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई. मतदान के अधिकार और अन्य मुद्दों पर भी चर्चा हुई.'

गुपकर घोषणापत्र गठबंधन (पीएजीडी) ने मतदाता सूची में संशोधन के नाम पर हेरफेर का आरोप लगाते हुए शनिवार को कहा कि इसने पूरे जम्मू-कश्मीर में चिंता की लहर पैदा कर दी है और लोगों तथा राजनीतिक दलों को इसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए. गठबंधन की बैठक के बाद यहां पत्रकारों से बातचीत में पीएजीडी के प्रवक्ता और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता एम वाई तारिगामी ने एक वर्ष से अधिक समय से निवास करने वालों को निवास प्रमाण पत्र जारी करने के लिए तहसीलदारों को अधिकृत करने और उन्हें मतदाता सूची के चल रहे विशेष सारांश संशोधन में शामिल करने के अब वापस लिए जा चुके जम्मू प्रशासन के आदेश का हवाला दिया और पूछा, "क्या जरूरत थी?"

उन्होंने कहा, "परिसीमन के नाम पर प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन मतदाता सूची में संशोधन के नाम पर हेराफेरी की कोशिश ने जम्मू और कश्मीर के लोगों में चिंता की लहर पैदा कर दी है." तारिगामी ने कहा कि सबसे पहले, जम्मू कश्मीर के मुख्य चुनाव अधिकारी ने कहा कि लगभग 25 लाख नए मतदाता जोड़े जाएंगे और यहां तक ​​कि गैर-स्थानीय लोग भी केंद्रशासित प्रदेश में मतदाता के रूप में अपना पंजीकरण करा सकते हैं, लेकिन कुछ दिन बाद सरकार ने स्पष्ट किया कि यह मीडिया द्वारा पैदा की गई एक गलत सूचना थी.

उन्होंने कहा, "फिर, एक सर्वदलीय बैठक में, उपराज्यपाल ने कहा कि यह एक गलत धारणा है. अगर यह गलत धारणा थी, तो अब क्या है? जम्मू से एक उपायुक्त एक आदेश के साथ आता है." यह आदेश बाद में वापस ले लिया गया. हालांकि, आदेश को वापस लेने का कोई कारण नहीं बताया गया, लेकिन इस आदेश पर जम्मू-कश्मीर में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को छोड़कर लगभग सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने नाराजगी जताई. गुरुवार को एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था, "आदेश वापस ले लिया गया है."

मंगलवार को, जिला चुनाव अधिकारी और उपायुक्त, जम्मू, अवनी लवासा ने आवश्यक दस्तावेजों की अनुपलब्धता के चलते मतदाताओं के रूप में पंजीकरण में कठिनाइयों का सामना करने वाले कुछ पात्र मतदाताओं की समस्या को गंभीरता से लेने के बाद मतदाता सूची पर आदेश जारी किया. पीएजीडी के प्रवक्ता ने लोगों और निर्वाचन आयोग से आदेश को पढ़ने और इसकी जटिलताओं को समझने की अपील की.

उन्होंने कहा, "हम नहीं जानते कि कौन चुनावी प्रक्रिया का उल्लंघन कर रहा है और कौन निर्वाचन आयोग के अधिकार को रौंद रहा है? हम नहीं जानते कि यह किसके निर्देश पर किया जा रहा है? हमें नहीं बताया जा रहा है कि ऐसा क्यों किया जा रहा है? लेकिन, अगले दिन, प्रेस को मौखिक रूप से बताया जाता है कि इसे रद्द कर दिया गया है..भाजपा को छोड़कर, सभी दलों ने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों की हत्या करार दिया है."

तारिगामी ने कहा कि लोगों और राजनीतिक दल संविधान के दायरे में रहकर अपनी आवाज उठाएं. उन्होंने कहा कि पीएजीडी के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला की अध्यक्षता में हुई बैठक में वर्तमान राजनीतिक स्थिति की समीक्षा की गई. तारिगामी ने केंद्र के पांच अगस्त, 2019 के अनुच्छेद 370 को रद्द करने के फैसले का जिक्र करते हुए आरोप लगाया, "चूंकि हमारे संवैधानिक अधिकारों पर हमला किया गया और उन्हें छीन लिया गया, इसलिए स्थिति दयनीय है." हालांकि, गठबंधन प्रवक्ता ने उम्मीद जताई कि जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के लोग अपने अधिकारों के लिए एकजुट होंगे.

तारिगामी ने कहा कि चार अगस्त, 2019 तक जम्मू-कश्मीर की संवैधानिक स्थिति न केवल कश्मीर के लोगों के लिए थी, बल्कि जम्मू, लेह और कारगिल के लोगों के लिए भी थी. उन्होंने कहा, “यह सिर्फ मुसलमानों के लिए नहीं थी, बल्कि सभी समुदायों के लिए थी, चाहे वह हिंदू, सिख, ईसाई या बौद्ध हों. वह रिश्ते का बंधन छिन गया. यह हमारा नुकसान है, हमारी आने वाली पीढ़ियों का नुकसान है. यह सिर्फ एक चुनाव प्रक्रिया नहीं है, बल्कि हमारे भविष्य का सवाल है.” तारिगामी ने कहा कि अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए उपहार नहीं था, बल्कि उनका संवैधानिक अधिकार था. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार इतिहास को विकृत कर रही है. उन्होंने कहा, "अफसोस की बात है कि प्रधानमंत्री ने हाल में इतिहास को इस तरह से पेश किया जो न केवल अनुचित है, बल्कि तथ्यों के विपरीत भी है."

लोगों से एकजुट रहने की अपील करते हुए तारिगामी ने कहा, "हम चाहते हैं कि हमारे संविधान में दी गई गारंटी (बहाल की जाए) और पांच अगस्त, 2019 के फैसलों को रद्द कर दिया जाए." डिपार्टमेंटल स्टोर में बीयर और अन्य तैयार पेय पदार्थों की बिक्री की अनुमति देने के सरकार के फैसले पर माकपा नेता ने पूछा कि यदि जम्मू-कश्मीर को गुजरात मॉडल में परिवर्तित किया जा रहा है, तो शराब की बिक्री की खुली छूट क्यों दी जा रही है. उन्होंने कहा, "आप देश में गुजरात मॉडल की बात कर रहे हैं, लेकिन वहां इसकी (शराब) अनुमति नहीं है. आपने इस बुराई के लिए जम्मू-कश्मीर को ही क्यों चुना?" तारिगामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से जेल में बंद कश्मीरी युवकों के मामलों की समीक्षा के अपने आश्वासन पर कायम रहने की अपील की.

Last Updated : Oct 15, 2022, 7:03 PM IST
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