नई दिल्ली : सरकार ने अखिल भारतीय आरक्षण योजना के अंतर्गत मौजूदा शैक्षणिक सत्र 2021-22 से स्नातक एवं स्नातकोत्तर चिकित्सा एवं दंत पाठ्यक्रमों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 27 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमजोर तबके (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा की.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को हुई एक बैठक में लंबे समय से लंबित इस मुद्दे के प्रभावी समाधान का संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों को निर्देश दिया था.
इसमें कहा गया कि इस निर्णय से एमबीबीएस में लगभग 1,500 ओबीसी छात्रों एवं स्नातकोत्तर में 2,500 ओबीसी छात्रों तथा एमबीबीएस में लगभग 550 ईडब्ल्यूएस छात्रों एवं स्नातकोत्तर में लगभग 1,000 ईडब्ल्यूएस छात्रों को लाभ मिलेगा.
मंत्रालय ने कहा, 'वर्तमान सरकार पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर तबके दोनों को उचित आरक्षण उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है. केंद्र सरकार ने अब अखिल भारतीय आरक्षण योजना के अंतर्गत ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत और ईडब्ल्यूएस के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण उपलब्ध कराने का ऐतिहासिक निर्णय किया है.'
देशभर के ओबीसी छात्र अब किसी भी राज्य में सीटों के लिए प्रतिस्पर्धा करने के वास्ते अखिल भारतीय आरक्षण योजना के अंतर्गत इस आरक्षण का लाभ प्राप्त सकेंगे. केंद्रीय योजना होने की वजह से इस आरक्षण के लिए ओबीसी से संबंधित केंद्रीय सूची का इस्तेमाल किया जाएगा.
पीएम मोदी ने ट्वीट कर दी जानकारी
पहले की व्यवस्था और अब की व्यवस्था में क्या है अंतर
आपको बता दें कि 2007 तक ऑल इंडिया कोटा के तहत कोई कोटा नहीं था. 2007 में सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति को 15 फीसदी और अनुसूचित जनजाति के लिए 7.5 फीसदी आरक्षण का निर्देश दिया था.
इसी साल यानी 2007 में केंद्र सरकार ने केंद्रीय शैक्षणिक संस्थान अधिनियम लागू किया. इसके तहत ओबीसी 27 फीसदी लाभ के हकदार हो गए.
इसका फायदा उन्हें सेंट्रल एजुकेशन इंस्टीट्यूट में मिल रहा था. लेकिन राज्य मेडिकल और डेंटल कॉलेज में आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा था.
आज के सरकार के फैसले के बाद छात्रों को यहां भी रिजर्वेशन का फायदा मिल सकेगा.
सरकार ने अखिल भारतीय कोटा योजना 1986 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के तहत ही शुरू की थी.
कब से सामान्य वर्ग के गरीब छात्रों का मिल रहा है रिजर्वेशन
2019 में लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ने सामान्य वर्ग के गरीब छात्रों को आरक्षण देने का ऐतिहासिक फैसला किया था. केंद्र ने संवैधानिक संशोधन किया.
सरकार द्बारा जारी बयान में कहा गया ईडब्ल्यूएस को दिए गए 10 प्रतिशत आरक्षण को समायोजित करने के लिए तदनुसार अगले दो वर्षों (2019-20 और 2020-21) में मेडिकल और दंत कॉलेजों में सीटों की संख्या बढ़ाई गई, जिससे कि अनारक्षित श्रेणी के लिए उपलब्ध कुल सीटों की संख्या में कोई कमी न आए.
हालांकि, अखिल भारतीय आरक्षण से जुड़ी सीटों के मामले में यह लाभ अब तक विस्तारित नहीं किया गया था.
बयान में कहा गया कि इसलिए अब मौजूदा शैक्षणिक सत्र से ओबीसी और ईडब्यूएस के लिए भी यह लाभ विस्तारित किया जा रहा है.
इसमें कहा गया कि यह निर्णय पिछड़ा और ईडब्ल्यूएस वर्गों के छात्रों को उचित आरक्षण उपलब्ध कराने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
एमबीबीएस और पीजी में सीटों की संख्या बढ़ी
पिछले छह साल में देश में एमबीबीएस सीटों की संख्या में 56 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 2014 में इन सीटों की संख्या 54,348 थी, जो 2020 तक बढ़कर 84,649 हो गई. वहीं, इस अवधि में स्नातकोत्तर सीटों की संख्या में 80 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 2014 में इन सीटों की संख्या 30,191 थी, जो 2020 तक बढ़कर 54,275 हो गई.
देश में कुल कितने मेडिकल कॉलेज हैं
देश में इस अवधि में 179 नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना हुई है और इस समय कुल 558 मेडिकल कॉलेज हैं, जिनमें से 289 सरकारी और 269 निजी कॉलेज हैं.