रांची: साइबर अपराधी अब देशद्रोही गतिविधियों में भी शामिल हो गए हैं. ठगी के पैसे अब आतंकी संगठनों के खातों में भेजे जा रहे हैं. झारखंड सीआईडी की प्रारंभिक जांच में इस बात का खुलासा हुआ है. पता चला है कि क्रिप्टो करेंसी के जरिए जो पैसे साइबर अपराधी उठा रहे हैं, उन्हें वे आतंकी संगठनों के खातों में डाल रहे हैं. रांची के धुर्वा में हुए 1.33 करोड़ रुपए की ठगी की जांच कर रही साइबर क्राइम ब्रांच को चौंकाने वाली जानकारियां मिली हैं. जिसके बाद झारखंड सीआईडी की टीम इस मामले को लेकर इंडियन साइबर क्राइम सेंटर के संपर्क में है.
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कैसे सामने आया आतंकी कनेक्शन: झारखंड सीआईडी के डीजी अनुराग गुप्ता ने बताया कि धुर्वा के रहने वाले नवीन कुमार शर्मा से क्रिप्टो करेंसी में जमा राशि को बढ़ाने के नाम पर साइबर क्रिमिनल्स ने 1.33 करोड़ रुपए की ठगी को अंजाम दिया था. इससे संबंधित प्राथमिकी साइबर क्राइम ब्रांच में दर्ज की गई थी. साइबर क्राइम ब्रांच की टीम जब इस मामले की तफ्तीश में जुटी तो चौंकाने वाले खुलासे हुए. मनी ट्रेल की जांच के दौरान यह बात सामने आई है कि ठगी के पैसे आतंकी संगठन के खातों में गए हैं. सीआईडी जांच में यह बात सामने आ रही है कि ईरान समर्थित लेबनान के एक आतंकी संगठन के खाते में पैसे ट्रांसफर किए गए हैं. संगठन का नाम हिज्बुल्लाह बताया जा रहा है, जो कई देशों में प्रतिबंधित है.
इंडियन साइबर क्राइम सेंटर से मांगी गई मदद: झारखंड सीआईडी के डीजी अनुराग गुप्ता ने बताया कि मामला काफी गंभीर है. इसलिए इसमें सीआईडी की टीम इंडियन साइबर क्राइम सेंटर की मदद ले रही है. इस मामले की उच्चस्तरीय जांच बेहद आवश्यक है, जो सिर्फ और सिर्फ इंडियन साइबर क्राइम सेंटर की मदद से ही पूरी की जा सकती है. ऐसे में सीआईडी जांच के दौरान उपलब्ध सभी डाटा इंडियन साइबर क्राइम सेंटर को उपलब्ध करवाया गया है.
अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क होने का शक: जिस तरह से क्रिप्टो करेंसी के पैसे आतंकी संगठनों के खाते में भेजे जा रहे हैं, वह अपने आप में बेहद खतरनाक संकेत है. झारखंड में साइबर ठगी के बड़े मामलों में जो पैसे ठगे गए हैं. उनकी पड़ताल भी सीआईडी के द्वारा शुरू कर दी गई है कि कहीं वह पैसे भी आतंकी संगठनों के खाते में तो नहीं गए हैं. सीआईडी की पड़ताल में यह बात भी सामने आ रही है कि झारखंड के साइबर अपराधियों का अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क बन गया है. जिसका इस्तेमाल वे ठगी के पैसों को खपाने के लिए कर रहे हैं. चूंकि देश में होने वाले ट्रांजैक्शन को साइबर क्राइम ब्रांच के द्वारा फ्रीज कर पैसे के लेनदेन को बंद कर दिया जाता है. ऐसे में अब साइबर अपराधी विदेशी कनेक्शन को स्थापित करने में लगे हैं. ताकि पैसे आसानी से खातों से निकाला जा सके. लेकिन सबसे खतरनाक बात यह है कि इसके लिए वे आतंकी संगठनों के खातों का भी प्रयोग करने लगे हैं.