नई दिल्ली : कोर कमांडर वार्ता के दौरान हुए समझौते के अनुसार भारत-चीन ने चरणबद्ध, समन्वित और सत्यापित तरीके (verified manner) से पीपी-17 में अग्रिम तैनाती बंद कर दी. दोनों देशों के बीच विवादित स्थल 17ए को गोगरा के नाम से जाना जाता है. विघटन प्रक्रिया (disengagement process) 4-5 अगस्त'21 से शुरू हो गई. दोनों पक्ष अब अपने-अपने स्थायी ठिकानों में हैं.
इससे पहले भारत और चीन के बीच सीमा पर जारी गतिरोध को कम करने के लिए 31 जुलाई 2021 को पूर्वी लद्दाख चुशुल मोल्दो में कोर कमांडरों के बीच बारहवें दौर की वार्ता हुई थी. इस दौरान दोनों पक्षों ने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Control) पर विघटन से संबंधित शेष क्षेत्रों के समाधान पर विचारों का स्पष्ट और गहन आदान-प्रदान किया.
बैठक के परिणामस्वरूप दोनों पक्ष गोगरा के क्षेत्र में विघटन पर सहमत हुए. इस क्षेत्र में सैनिक पिछले साल मई से आमने-सामने की स्थिति में हैं.
समझौते के अनुसार दोनों पक्षों ने चरणबद्ध, समन्वित और सत्यापित तरीके से इस क्षेत्र में अग्रिम तैनाती बंद कर दी है. विघटन प्रक्रिया को दो दिनों यानी 04 और 05 अगस्त 2021 में अंजाम दिया गया था. दोनों पक्षों की सेना अब अपने-अपने स्थायी ठिकानों में है.
दोनों पक्षों द्वारा क्षेत्र में बनाए गए सभी अस्थायी ढांचे (temporary structures ) और अन्य संबद्ध बुनियादी ढांचे (allied infrastructure ) को ध्वस्त कर दिया गया है और पारस्परिक रूप से सत्यापित किया गया है. पूर्व गतिरोध अवधि के लिए दोनों पक्षों द्वारा क्षेत्र में भू-आकृति को बहाल कर दिया गया है.
यह समझौता सुनिश्चित करता है कि दोनों पक्षों द्वारा इस क्षेत्र में एलएसी का कड़ाई से पालन और सम्मान करें और यह कि यथास्थिति (status quo) में एकतरफा परिवर्तन नहीं होगा.
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इसके साथ आमने-सामने का एक और संवेदनशील क्षेत्र (sensitive area) का मामला सुलझ गया है. दोनों पक्षों ने वार्ता को आगे बढ़ाने और पश्चिमी क्षेत्र (Western Sector) में एलएसी के साथ शेष मुद्दों को हल करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है.
आईटीबीपी के साथ भारतीय सेना (Indian Army) देश की संप्रभुता (sovereignty of the nation ) सुनिश्चित करने और पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी के साथ शांति बनाए रखने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है.