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नोटबंदी को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- 'क्या यह मुद्दा जिंदा है'?

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अब्दुल नजीर की संविधान पीठ ने कहा कि वह 500 और 1,000 रुपये के नोटों को बंद करने के केंद्र के 2016 के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 12 अक्टूबर को सुनवाई करेगी.

Hearing on demonetisation case
सुप्रीम कोर्ट में नोटबंदी मामले पर सुनवाई 12 को अक्टूबर
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Published : Sep 28, 2022, 11:05 AM IST

Updated : Sep 28, 2022, 1:07 PM IST

नई दिल्ली: नवंबर 2016 में 500, 1,000 रुपये के नोटों को बंद करने के केंद्र के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या यह मुद्दा अब भी जीवित है? जस्टिस एस अब्दुल नजीर, बी.आर. गवई, ए.एस. बोपन्ना, वी. रामसुब्रमण्यम और बी.वी. नागरत्न ने याचिकाकर्ताओं के वकील से पूछा कि क्या यह मुद्दा अब जीवित है? केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कोर्ट में यह मुद्दा नहीं टिकेगा और यह एक वाद विवाद का विषय बन कर रह जाएगा, जिस पर बहस करने के लिए वो तैयार हैं.

पीठ ने कहा कि पहले से ही लंबित मामलों का बोझ है. नवंबर 2016 में 500, 1,000 रुपये के नोटों को बंद करने के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली कुल 58 याचिकाएं दायर की गई हैं. न्यायमूर्ति गवई ने पूछा, कई याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने तर्क दिया कि मामला अभी भी जिंदा है और अदालत को इस पर सुनवाई करनी चाहिए. सवाल यह है कि क्या कुछ बचा हुआ है. पीठ ने कहा कि इस मामले में दो पहलू हैं, पहला कार्रवाई की वैधता और नोटबंदी के कार्यान्वयन से जुड़ी समस्या.

शीर्ष अदालत ने दलीलें सुनने के बाद मामले की अगली सुनवाई के लिए अगले महीने की तारीख तय की. पीठ ने स्पष्ट किया कि वह इस बात की जांच करेगी कि क्या याचिकाओं पर विचार करने की आवश्यकता है या यह एक वाद विवाद का विषय है. नवंबर 2016 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अर्थव्यवस्था में काले धन के संचलन को रोकने के उपाय के रूप में सभी 500 और 1,000 रुपये के नोटों को बंद करने की घोषणा की थी. बेंच ने कहा कि वह 500 और 1,000 रुपये के नोटों को बंद करने के केंद्र के 2016 के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 12 अक्टूबर को सुनवाई करेगी.

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को पांच न्यायाधीशों की एक और संविधान पीठ का गठन किया, जो पांच महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई करेगी. जिनमें नोटबंदी के फैसले को चुनौती संबंधी याचिकाएं भी शामिल हैं. चौथी संविधान पीठ की अध्यक्षता न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर करेंगे और इसमें न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना, न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम और न्यायमूर्ति बी .वी नागरत्ना शामिल हैं. इस संविधान पीठ बुधवार से पांच मामलों की सुनवाई शुरू की. यही संविधान पीठ 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने संबंधी केंद्र सरकार के आठ नवंबर, 2016 के फैसले को चुनौती देने वाली 58 याचिकाओं की सुनवाई कर रही है.

सोलह दिसंबर, 2016 को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर और न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार के निर्णय की वैधता और अन्य प्रश्नों को पांच न्यायाधीशों की एक बड़ी पीठ के पास भेज दिया था. नोटबंदी के बाद कई मामले देश भर की अदालतों में आ गए थे. तब तब सुप्रीम कोर्ट ने देश भर की अदालतों में पेंडिंग तमाम नोटबंदी मामले की सुनवाई पर रोक लगा दी थी.

पढ़ें: Demonetisation : नोटबंदी के पांच साल, जानें डिजिटल और कैश ट्रांजैक्शन में कितना हुआ बदलाव

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की ओर से ये भी दलील दी गई थी कि सरकार ने नोटिफिकेशन जारी करके प्रति हफ्ते 24 हजार रुपये निकाले जाने की इजाजत दी है लेकिन, ग्राउंड रियलिटी ये है कि ये भी नोट नहीं निकाले जा सकते क्योंकि नोट की कमी है. अटॉर्नी जनरल ने कहा था कि 5 लाख करोड़ नई करंसी बैंकों के जरिये रिलीज की जा चुकी है और 50 दिनों तक मामला स्मूद हो जाएगा. सरकार की दलील थी कि टेरर फंडिंग और ब्लैक मनी पर लगाम के लिए ये कदम उठाए गए हैं.

अब सिर्फ कुछ दिनों की बात है चीजें स्मूद हो जाएंगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि संबंधित अथॉरिटी 24 हजार प्रति हफ्ते निकासी को सुनिश्चित कराए और समय-समय पर इस अमाउंट को रिव्यू करे. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के लिए 9 सवाल तैयार किए थे जिन पर लार्जर बेंच सुनवाई करेगी. कोर्ट ने कहा कि ये मामला आम आदमी से जुड़ा है और ऐसे में लार्जर बेंच को मामला सौंपा जाता है.

सुप्रीम कोर्ट में जिन 9 सवालों पर होनी है सुनवाई

  • क्या नोटबंदी का 8 नवंबर का नोटिफिकेशन और उसके बाद का नोटिफिकेशन असंवैधानिक है?
  • क्या नोटबंदी संविधान के अनुच्छेद-300 (ए ) यानी संपत्ति के अधिकार का उल्लंघन है.
  • नोटबंदी का फैसला क्या आरबीआई की धारा-26 (2) के तहत अधिकार से बाहर का फैसला है.
  • क्या नोटबंदी मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. मसलन संविधानके अनुच्छेद-14 यानी समानता के अधिकार और अनुच्छेद-19 यानी आजादी के अधिकारों का उल्लंघन है?
  • क्या नोटबंदी के फैसले को बिना तैयारी के लागू किया गया. करंसी का इंतजाम नहीं था और कैश लोगों तक पहुंचाने का इंतजाम नहीं है?
  • क्या सरकार की इकोनॉमिक पॉलिसी के खिलाफ अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट दखल दे सकता है.
  • बैंकों और एटीएम में पैसा निकासी का लिमिट तय करना लोगों के अधिकारों का उल्लंघन है.
  • डिस्ट्रिक्ट सहकारी बैंकों में पुराने नोट जमा करने और नए नोट निकालने पर रोक सही नहीं है?

नई दिल्ली: नवंबर 2016 में 500, 1,000 रुपये के नोटों को बंद करने के केंद्र के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या यह मुद्दा अब भी जीवित है? जस्टिस एस अब्दुल नजीर, बी.आर. गवई, ए.एस. बोपन्ना, वी. रामसुब्रमण्यम और बी.वी. नागरत्न ने याचिकाकर्ताओं के वकील से पूछा कि क्या यह मुद्दा अब जीवित है? केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कोर्ट में यह मुद्दा नहीं टिकेगा और यह एक वाद विवाद का विषय बन कर रह जाएगा, जिस पर बहस करने के लिए वो तैयार हैं.

पीठ ने कहा कि पहले से ही लंबित मामलों का बोझ है. नवंबर 2016 में 500, 1,000 रुपये के नोटों को बंद करने के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली कुल 58 याचिकाएं दायर की गई हैं. न्यायमूर्ति गवई ने पूछा, कई याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने तर्क दिया कि मामला अभी भी जिंदा है और अदालत को इस पर सुनवाई करनी चाहिए. सवाल यह है कि क्या कुछ बचा हुआ है. पीठ ने कहा कि इस मामले में दो पहलू हैं, पहला कार्रवाई की वैधता और नोटबंदी के कार्यान्वयन से जुड़ी समस्या.

शीर्ष अदालत ने दलीलें सुनने के बाद मामले की अगली सुनवाई के लिए अगले महीने की तारीख तय की. पीठ ने स्पष्ट किया कि वह इस बात की जांच करेगी कि क्या याचिकाओं पर विचार करने की आवश्यकता है या यह एक वाद विवाद का विषय है. नवंबर 2016 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अर्थव्यवस्था में काले धन के संचलन को रोकने के उपाय के रूप में सभी 500 और 1,000 रुपये के नोटों को बंद करने की घोषणा की थी. बेंच ने कहा कि वह 500 और 1,000 रुपये के नोटों को बंद करने के केंद्र के 2016 के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 12 अक्टूबर को सुनवाई करेगी.

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को पांच न्यायाधीशों की एक और संविधान पीठ का गठन किया, जो पांच महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई करेगी. जिनमें नोटबंदी के फैसले को चुनौती संबंधी याचिकाएं भी शामिल हैं. चौथी संविधान पीठ की अध्यक्षता न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर करेंगे और इसमें न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना, न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम और न्यायमूर्ति बी .वी नागरत्ना शामिल हैं. इस संविधान पीठ बुधवार से पांच मामलों की सुनवाई शुरू की. यही संविधान पीठ 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने संबंधी केंद्र सरकार के आठ नवंबर, 2016 के फैसले को चुनौती देने वाली 58 याचिकाओं की सुनवाई कर रही है.

सोलह दिसंबर, 2016 को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर और न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार के निर्णय की वैधता और अन्य प्रश्नों को पांच न्यायाधीशों की एक बड़ी पीठ के पास भेज दिया था. नोटबंदी के बाद कई मामले देश भर की अदालतों में आ गए थे. तब तब सुप्रीम कोर्ट ने देश भर की अदालतों में पेंडिंग तमाम नोटबंदी मामले की सुनवाई पर रोक लगा दी थी.

पढ़ें: Demonetisation : नोटबंदी के पांच साल, जानें डिजिटल और कैश ट्रांजैक्शन में कितना हुआ बदलाव

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की ओर से ये भी दलील दी गई थी कि सरकार ने नोटिफिकेशन जारी करके प्रति हफ्ते 24 हजार रुपये निकाले जाने की इजाजत दी है लेकिन, ग्राउंड रियलिटी ये है कि ये भी नोट नहीं निकाले जा सकते क्योंकि नोट की कमी है. अटॉर्नी जनरल ने कहा था कि 5 लाख करोड़ नई करंसी बैंकों के जरिये रिलीज की जा चुकी है और 50 दिनों तक मामला स्मूद हो जाएगा. सरकार की दलील थी कि टेरर फंडिंग और ब्लैक मनी पर लगाम के लिए ये कदम उठाए गए हैं.

अब सिर्फ कुछ दिनों की बात है चीजें स्मूद हो जाएंगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि संबंधित अथॉरिटी 24 हजार प्रति हफ्ते निकासी को सुनिश्चित कराए और समय-समय पर इस अमाउंट को रिव्यू करे. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के लिए 9 सवाल तैयार किए थे जिन पर लार्जर बेंच सुनवाई करेगी. कोर्ट ने कहा कि ये मामला आम आदमी से जुड़ा है और ऐसे में लार्जर बेंच को मामला सौंपा जाता है.

सुप्रीम कोर्ट में जिन 9 सवालों पर होनी है सुनवाई

  • क्या नोटबंदी का 8 नवंबर का नोटिफिकेशन और उसके बाद का नोटिफिकेशन असंवैधानिक है?
  • क्या नोटबंदी संविधान के अनुच्छेद-300 (ए ) यानी संपत्ति के अधिकार का उल्लंघन है.
  • नोटबंदी का फैसला क्या आरबीआई की धारा-26 (2) के तहत अधिकार से बाहर का फैसला है.
  • क्या नोटबंदी मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. मसलन संविधानके अनुच्छेद-14 यानी समानता के अधिकार और अनुच्छेद-19 यानी आजादी के अधिकारों का उल्लंघन है?
  • क्या नोटबंदी के फैसले को बिना तैयारी के लागू किया गया. करंसी का इंतजाम नहीं था और कैश लोगों तक पहुंचाने का इंतजाम नहीं है?
  • क्या सरकार की इकोनॉमिक पॉलिसी के खिलाफ अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट दखल दे सकता है.
  • बैंकों और एटीएम में पैसा निकासी का लिमिट तय करना लोगों के अधिकारों का उल्लंघन है.
  • डिस्ट्रिक्ट सहकारी बैंकों में पुराने नोट जमा करने और नए नोट निकालने पर रोक सही नहीं है?
Last Updated : Sep 28, 2022, 1:07 PM IST
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