जींद: हरियाणवी पहलवान अंशु मलिक ने अपने जन्मदिन के दिन बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स (Birmingham Common Wealth Games) के 57 किलोग्राम वेट कैटेगरी में सिल्वर मेडल हासिल कर इतिहास रच दिया (wrestler Anshu Malik Win Silver Medal) है. हालांकि वह दो अंक से स्वर्ण पदक से चूक गईं लेकिन पहली ही बार में रजत पदक जीतकर देश की झोली में डाल दिया. अंशु ने सीडब्ल्यूजी (CWG 2022) के तीन में से दो मुकाबले सिर्फ 64 सेकेंड में जीत लिए. वहीं जब अंशु अपना मैच खेल रही थी तो उनकी मां बेटी की जीत के लिए पूजा कर रही थी. अब अंशु के सिल्वर मेडल जीतने पर उनके गांव में खुशी का माहौल है और मिठाईया बांटी जा रही है.
दादी से मिली खेलने की प्रेरणा- जींद के निडानी गांव की रहने वाली (Nidani Village Of Jind) अंशु मलिक को खेल की प्रेरणा उनकी दादी से मिली है. दादी से प्रेरणा मिलने के बाद अंशु ने 2013 से खेल शुरू कर दिया था. इसके बाद उन्होंने लगातार मेडल हासिल किए. परिवार के सभी लोग अंशु को बेटे की तरह ही ध्यान रखते हैं और खूब लाड करते हैं.
पहलवानी विरासत में मिली- अंशु गांव में ही रहती हैं और चार घंटे सुबह शाम को प्रेक्टिस करती हैं. इस बार सभी को उम्मीद थी कि अंशु कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 (Common Wealth Games 2022) में मेडल लेकर आएगी और देश का नाम रोशन करेगीं. एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड और विश्व कप में सिल्वर जीतने वाली अंशु मलिक को पहलवानी विरासत में मिली है. उनके ताऊ नेशनल लेवल के पहलवान थे और पिता भी पहलवान हैं. उन्होंने ही अंशु मलिक को शुरुआती दांव-पेंच सिखाए थे.
अंशु की दादी बोली पोती ने पूरा किया सपना- अंशु मलिक इस कामयाबी पर उनकी दादी वेदवंती का कहना है कि उनका पूरा परिवार पहलवानी से जुड़ा हुआ है अंशु ने 13 वर्ष की आयु में ही पहलवानी शुरू कर दी थी. दादी का ये भी कहना है कि अंशु की मां चाहती थी की अंशु पढ़े और मैं चाहती थी कि अंशु खेले.
वेदवंती ने कहा कि अब पोती अंशु ने मेरा सपना पूरा किया है. पोती ने साल 2013 से खेल शुरू कर दिया था. इसके बाद उसने लगातार मेडल हासिल किए. परिवार के सभी लोग अंशु को बेटे की तरह ही ध्यान रखते हैं और खूब लाड़ करते हैं. उन्होंने कहा कि मुझे बहुत खुशी है कि पोती ने देश और प्रदेश का मान बढ़ाया है.
पिता बोले- सिल्वर भी कोई छोटा मेडल नहीं अपने घर पर लैपटॉप पर अपनी 21 वर्षीय बेटी अंशु मलिक का मैच देख रहे अंशु मालिक के पिता का कहना है कि बेटी 2013 से तैयारी कर रही है. बेटी से गोल्ड की उम्मीद थी लेकिन कोहनी की चोट की वजह से अच्छा नहीं कर पायी. सिल्वर भी कोई छोटा मेडल नहीं होता. आज उनकी बेटी का जन्मदिन है, जन्मदिन के मौके पर उनकी बेटी ने देश को यह बहुत बड़ा तोहफा दिया है. अब हमारा अगला टारगेट 2024 का ओलंपिक है.
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