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वेद-उपनिषद का ज्ञान फैला रही गुजरात की संस्था, विदेशी भी दिखा रहे रुचि

अगर आप वेदों, उपनिषदों, कौटिल्य के अर्थशास्त्र और प्राचीन भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी द्वारा हासिल की गयी उपलब्धियों के बारे में जानने की इच्छा रखते हैं तो यह खबर आपके लिए है. गुजरात की एक संस्था द्वारा ऑनलाइन पाठ्यक्रम का विकल्प दिया जा रहा है, जिनसे हाल ही में कई देशों के लोग बड़ी संख्या में जुड़े हैं. पढ़िए खबर

गुजरात टेक्निकल यूनिवर्सिटी
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Published : Oct 25, 2021, 9:29 AM IST

अहमदाबाद : वेद विद्या को कई मायनों में आधुनिक शिक्षा प्रणाली भी मान्यता देती है. प्राचीन भारतीय विज्ञान के बारे में जानने के लिए पश्चिमी दुनिया के लोग भी बड़ी संख्या में लालायित रहते हैं. गुजरात के एक राजकीय विश्वविद्यालय में वेद, उपनिषद और अर्थशास्त्र से जुड़ी जानकारी दी जा रही है. प्राचीन भारतीय विद्या से जुड़ी अधिकाधिक बातें जानने के लिए सऊदी अरब, कुवैत, तंजानिया और आस्ट्रेलिया जैसे देशों से लोग गुजरात की इस संस्था से जुड़ रहे हैं.

दरअसल, गुजरात के राजकीय विश्वविद्यालय ने हाल ही में ऑनलाइन पाठ्यक्रम शुरू किए हैं. अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी. गुजरात प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (जीटीयू) ने प्राचीन भारतीय ज्ञान प्रणालियों से जुड़े तीन महीने के 12 ऑनलाइन प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम शुरू किए गए हैं. इनमें पंजीकरण कराने के लिए 889 विद्यार्थियों ने आवेदन किया है.

जीटीयू गुजरात सरकार का विश्वविद्यालय है जो अभियांत्रिकी, वास्तुशिल्प, प्रबंधन, फार्मेसी और कंप्यूटर साइंस जैसे विविध विषयों का अध्ययन कराता है. अधिकारियों ने बताया कि भारत के 21 राज्यों के अलावा सउदी अरब, कुवैत, तंजानियां और आस्ट्रेलिया के विद्यार्थियों ने इन पाठ्यक्रमों में दाखिला लिया है जिन्हें 'धरोहर' नामक जीटीयू सेंटर फोर इंडियन नॉलेज सिस्टम और भीष्म स्कूल ऑफ इंडिक स्टडीज ने शुरू किया है.

भीष्म स्कूल ऑफ इंडिक स्टडीज 'प्राचीन भारतीय ज्ञान' के प्रचार के लिए काम करने वाला एक संगठन है. ये ऑनलाइन पाठ्यक्रम वेदों, उपनिषदों, पुराणों, प्राचीन भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, वास्तुशिल्प, कला, संस्कृति एवं परंपरा, कौटिल्य के अर्थशास्त्र एवं राजनीतिक विज्ञान, भारतीय नरेश एवं सम्राट, धर्म, क्लासिक साहित्य एवं भारतीय प्रवासियों के वैश्विक पदचिह्न जैसे विषयों से जुड़े हैं.

इन पाठ्यक्रमों से संबद्ध अधिकारियों के अनुसार 'वेद अध्ययन' विषय छात्रों की पहली पसंद है तथा 238 लोगों ने उसमें प्रवेश लिया है. उन्होंने कहा कि प्रवेश पाने वाले विद्यार्थियों की संख्या के आधार पर लोकप्रियता के लिहाज से 'कौटिल्य के अर्थशास्त्र एवं राजनीतिक विज्ञान' तथा 'प्राचीन भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी' क्रमश: दूसरी एवं तीसरी पसंद हैं.

यह भी पढ़ें- जम्मू-कश्मीर की छात्रा का NASA के कार्यक्रम के लिए हुआ चयन

वैसे इस बात का आंकड़ा नहीं उपलब्ध कराया गया है कि विदेश से कितने विद्यार्थियों ने दाखिला लिया है लेकिन अधिकारियों का कहना है कि सऊदी अरब से अधिकतर विद्यार्थियों ने 'कौटिल्य के अर्थशास्त्र एवं राजनीतिक विज्ञान' तथा 'वेद अध्ययन' को चुना है जबकि आस्ट्रेलिया के ज्यादातर अभ्यर्थियों ने 'वेद अध्ययन' एवं 'प्राचीन भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्यागिकी' का चयन किया है.

(पीटीआई-भाषा)

अहमदाबाद : वेद विद्या को कई मायनों में आधुनिक शिक्षा प्रणाली भी मान्यता देती है. प्राचीन भारतीय विज्ञान के बारे में जानने के लिए पश्चिमी दुनिया के लोग भी बड़ी संख्या में लालायित रहते हैं. गुजरात के एक राजकीय विश्वविद्यालय में वेद, उपनिषद और अर्थशास्त्र से जुड़ी जानकारी दी जा रही है. प्राचीन भारतीय विद्या से जुड़ी अधिकाधिक बातें जानने के लिए सऊदी अरब, कुवैत, तंजानिया और आस्ट्रेलिया जैसे देशों से लोग गुजरात की इस संस्था से जुड़ रहे हैं.

दरअसल, गुजरात के राजकीय विश्वविद्यालय ने हाल ही में ऑनलाइन पाठ्यक्रम शुरू किए हैं. अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी. गुजरात प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (जीटीयू) ने प्राचीन भारतीय ज्ञान प्रणालियों से जुड़े तीन महीने के 12 ऑनलाइन प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम शुरू किए गए हैं. इनमें पंजीकरण कराने के लिए 889 विद्यार्थियों ने आवेदन किया है.

जीटीयू गुजरात सरकार का विश्वविद्यालय है जो अभियांत्रिकी, वास्तुशिल्प, प्रबंधन, फार्मेसी और कंप्यूटर साइंस जैसे विविध विषयों का अध्ययन कराता है. अधिकारियों ने बताया कि भारत के 21 राज्यों के अलावा सउदी अरब, कुवैत, तंजानियां और आस्ट्रेलिया के विद्यार्थियों ने इन पाठ्यक्रमों में दाखिला लिया है जिन्हें 'धरोहर' नामक जीटीयू सेंटर फोर इंडियन नॉलेज सिस्टम और भीष्म स्कूल ऑफ इंडिक स्टडीज ने शुरू किया है.

भीष्म स्कूल ऑफ इंडिक स्टडीज 'प्राचीन भारतीय ज्ञान' के प्रचार के लिए काम करने वाला एक संगठन है. ये ऑनलाइन पाठ्यक्रम वेदों, उपनिषदों, पुराणों, प्राचीन भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, वास्तुशिल्प, कला, संस्कृति एवं परंपरा, कौटिल्य के अर्थशास्त्र एवं राजनीतिक विज्ञान, भारतीय नरेश एवं सम्राट, धर्म, क्लासिक साहित्य एवं भारतीय प्रवासियों के वैश्विक पदचिह्न जैसे विषयों से जुड़े हैं.

इन पाठ्यक्रमों से संबद्ध अधिकारियों के अनुसार 'वेद अध्ययन' विषय छात्रों की पहली पसंद है तथा 238 लोगों ने उसमें प्रवेश लिया है. उन्होंने कहा कि प्रवेश पाने वाले विद्यार्थियों की संख्या के आधार पर लोकप्रियता के लिहाज से 'कौटिल्य के अर्थशास्त्र एवं राजनीतिक विज्ञान' तथा 'प्राचीन भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी' क्रमश: दूसरी एवं तीसरी पसंद हैं.

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वैसे इस बात का आंकड़ा नहीं उपलब्ध कराया गया है कि विदेश से कितने विद्यार्थियों ने दाखिला लिया है लेकिन अधिकारियों का कहना है कि सऊदी अरब से अधिकतर विद्यार्थियों ने 'कौटिल्य के अर्थशास्त्र एवं राजनीतिक विज्ञान' तथा 'वेद अध्ययन' को चुना है जबकि आस्ट्रेलिया के ज्यादातर अभ्यर्थियों ने 'वेद अध्ययन' एवं 'प्राचीन भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्यागिकी' का चयन किया है.

(पीटीआई-भाषा)

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