नई दिल्ली : बीजेपी 2024 के संसदीय चुनावों की तैयारी में जोर-शोर से लग गई है, ऐसे में ये खबर पंजाब के मद्देनज़र उसके लिए राहत भरी हो सकती है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह जल्द ही अपनी पार्टी का विलय करने वाले हैं. पूर्व कांग्रेस नेता नटवर सिंह ने कहा कि इस बारे में उनकी बात कैप्टन से हुई है. उन्होंने कहा कि कैप्टन का साथ पाकर बीजेपी को पंजाब में बहुत फायदा हो सकता है. नटवर सिंह और कैप्टन आपस में रिश्तेदार हैं और बीजेपी में विलय को लेकर दोनों के बीच सलाह-मशविरा हो चुका है.
कैप्टन के साथ कांग्रेस ने बुरा सुलूक किया : कैप्टन के बीजेपी में आने की खबर पर नटवर सिंह ने कहा, 'कांग्रेस की लीडरशिप ने कैप्टन के साथ बहुत बुरा सुलूक किया है. उनको तो खबर भी नहीं थी कि उन्हें हटाया जा रहा है. रात में 11 बजे फैसला किया और सुबह पीसीसी की मीटिंग हो गई. मुख्यमंत्री को बताया तक नहीं. भई वो चीफ मिनिस्टर हैं, अलग हो गए. मुझे लगता है पंजाब में बीजेपी को संभाल लिया उन्होंने, तो बीजेपी को फायदा होगा. इसमें कोई दो राय नहीं है.'
कांग्रेस पार्टी के हालात बहुत खराब : इस सवाल के जवाब में कि कांग्रेस के कई बड़े नेता अब बीजेपी में शामिल हो गए हैं और गांधी परिवार के बड़े नजदीकी रहे नेताओं का मोहभंग आलाकमान से आखिर क्यों हो जाता है, नटवर सिंह ने कहा कि दरअसल पार्टी के हालात बहुत खराब हैं- 'पार्टी की साख दिन पर दिन गिरती जा रही है. भारत को एक पुख्ता कांग्रेस पार्टी की ज़रूरत है. केवल वही एक ऑल इंडिया पार्टी है. उनके वर्कर्स हिंदुस्तान के हर स्टेट में हैं. ज़रूरी है कि कांग्रेस पार्टी में जान डाली जाए, लेकिन इस वक्त जो उनके नेता हैं, उनसे तो होगा नहीं कुछ, ये ज़ाहिर हो गया है.' जिस तरह राहुल गांधी के करीबियों, ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद और आरपीएन सिंह ने कांग्रेस छोड़ दी, वह उस वक्त की याद दिलाता है, जब राजीव गांधी के करीबी दोस्तों अरुण सिंह और वीपी सिंह ने उनका साथ छोड़ा था. ये पूछने पर कि इतने करीबी मित्र इस परिवार का साथ क्यों छोड़ देते हैं, पूर्व विदेशमंत्री नटवर सिंह ने कहा, 'लोगों के साथ छोड़ने का भी तो कोई फर्क नहीं पड़ा ना. अमेठी में चुनाव हार गए तो केरल चले गए. जीत गए. और कोई होता तो यूपी चुनाव में 403 सीटों में से सिर्फ दो सीटें आतीं तो दूसरे दिन उसे हटा दिया जाता. कुछ नहीं कहा किसी ने, किसी की हिम्मत नहीं है.'
सिर्फ दो राज्यों में है कांग्रेस की सरकार : ये पूछने पर कि वे गांधी परिवार के बहुत करीबियों में से एक रहे हैं, गांधी परिवार का प्रभुत्व आखिर कैसे धीरे-धीरे कम होता चला गया, उन्होंने कहा- 'प्रभुत्व कम होते मैंने ही नहीं, सारे हिंदुस्तान ने देखा है. एक वक्त ऐसा था कि एक दो राज्यों को छोड़ कर कांग्रेस पार्टी हर राज्य में सरकार बनाती थी. अब सिर्फ दो राज्यों राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सरकार है. कह नहीं सकते कि इन दोनों राज्यों में भी अगला चुनाव हुआ तो कांग्रेस की सरकार रहेगी या नहीं. 1885 में बनी जिस पार्टी में गांधी जी, नेहरू, पटेल और राजा जी जैसे नेता थे, उसका ये हाल है.'
24 साल से नहीं हुआ कांग्रेस में अध्यक्ष का चुनाव : नटवर सिंह ने पार्टी की दुर्गति के लिए संगठन में लोकतांत्रिक मूल्यों के कमजोर होने की ओर भी इशारा करते हुए कहा, 'अब सोनिया गांधी को 24 साल हो गए प्रेसीडेंट हुए, कोई चुनाव ही नहीं हुआ प्रेसीडेंट का. चुनाव होता भी है तो सब हाथ उठा देते हैं कि इन्हीं को बनाइए. तो इससे लाभ नहीं हो रहा है पार्टी को. मान लीजिए ये तय होता है कि ये नहीं होंगे, कोई भी दूसरा होगा. तो चुनेंगे तो यही कि कौन बनेगा अध्यक्ष. अपने आप तो कोई खड़ा नहीं होगा. क्योंकि किसी की हिम्मत ही नहीं है. उसे चुन भी लिया, तो शाम को वो अध्यक्ष नोट्स लेने उनके पास पहुंच जाएगा कि कल क्या करूं. इसलिए जब तक ये रहेंगे, कोई इन्हें रीप्लेस नहीं करेगा.'
ये पूछने पर कि ऐसे में आखिर रास्ता क्या है कांग्रेस को वापस पटरी पर लाने के लिए, वे कहते हैं- 'ये हालत अभी चलेगी. और एकाध जगह जीत भी जाते हैं छोटे मोटे चुनावों में, तो उससे कोई फर्क नहीं पड़ता. किसी स्टेट में जीत कर आएं तो थोड़ा सुधार हो सकता है. लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा. ये तब तक चलेगा, जब तक ये परिवार है. भगवान करे लंबी उम्र हो उनकी. कांग्रेस में और कोई नेता नहीं आ सकता. सवाल ही पैदा नहीं होता.'
नेतृत्वविहीन कांग्रेस की कल्पना किसी ने नहीं की थी : नेतृत्वविहीन कांग्रेस में गांधी परिवार के विकल्प के बारे में पूछे जाने पर नटवर सिंह का कहना था- 'मैंने तो क्या, ऐसी नेतृत्वविहीन कांग्रेस की कल्पना किसी ने नहीं की थी. मगर देखो, सोनिया ने कहा मैं नहीं बनूंगी प्रेसीडेंट, राहुल बनेंगे. उन्होंने ये नहीं कहा कि कोई और बन जाए. अगर वो किसी को कह देतीं कि तुम्हारे कंधे पर मेरा हाथ है, तुम बन जाओ, तो मंजूर हो जाता पार्टी को. लेकिन उन्होंने ये नहीं कहा. उन्होंने कहा राहुल बनेंगे. और अभी भी योजना यही है कि राहुल ही बनेंगे.'
इस सवाल पर कि क्या सोनिया गांधी ने पार्टी के बारे में उनसे कभी कोई सलाह मशविरा किया, नटवर सिंह ने कहा, 'मुझे तो सोनिया से मिले हुए नौ साल हो गए, मैं मिला ही नहीं. मैं नहीं करता उनसे मुलाकात. वो आई थीं यहां एक दफा, मेरे घर. मैंने उनसे ये कहा था कि मुझे मालूम है कि आप यहां क्यों आई हैं. जो आपको फिक्र है, वो छोड़ दीजिए, अपनी किताब में मैं आपके परिवार के बारे में नहीं लिखूंगा. मैं कोई घटिया इंसान नहीं हूं. और मैंने लिखा भी नहीं.'
कांग्रेस में मोदी के बराबर कद का कोई नेता नहीं : ये पूछने पर कि क्या गांधी परिवार में या कांग्रेस में मोदी के बराबर कद का कोई नेता है, पूर्व विदेशमंत्री नटवर सिंह कहते हैं- 'सवाल ही पैदा नहीं होता. देखिए मोदी ओरेटर हैं. राहुल गांधी बोलते हैं, लेकिन ओरेटर नहीं हैं. जनता देखती है कि कितना फर्क है. जनता देखती है कि ये तो दबंग प्राइम मिनिस्टर है, इतनी बढ़िया स्पीच देता है. उधर से कोई नहीं है ऐसा जो मोदी साहब के नजदीक भी आए. टीवी पर ही मोदी को भाषण से ये इंप्रेशन चला जाता है कि भाई ये तो लीडर है.'
इस सवाल के जवाब में कि क्या हिंदुत्व के मुद्दे पर कांग्रेस को अपनी रणनीति बदलनी चाहिए, पूर्व कांग्रेस नेता कहते हैं- 'उससे कोई फायदा नहीं है. कांग्रेस की सिर्फ दो ही राज्यों में सरकार है. तो ये रणनीति बदलेंगे कहां. अगर कुछ और राज्यों में होते तो चैलेंज भी करते कि भई हमारी पॉलिसी सेक्युलर है, आप की नहीं है. हम आप की मुखालफत संसद में भी और बाहर भी करेंगे. मगर जो हालत है कांग्रेस की, उसमें वो मोदी साहब की बराबरी नहीं कर सकते. मोदी तो 2024 में फिर आएंगे वापस.'
91 बरस के कुंवर नटवर सिंह कांग्रेस की हालत से मायूस हैं- उन्होंने कहा, 'निराशा होती है, बहुत निराशा होती है. महात्मा गांधी की जो पार्टी है, जिसने आपको आज़ादी दिलाई है, नेता जेल गए हैं इसके लिए. नेहरू 9 साल जेल में रहे, क्यों गए भई. अच्छे घर के थे, गवर्नर बन सकते थे, सर जवाहर लाल नेहरू बन जाते. लेकिन उन्होंने त्याग किया. गांधी, पटेल जेल गए. लाखों वर्कर जेल में गए. किसके लिए, इन्हीं के लिए तो.'
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