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Dussehra 2021 : जानें तिथि, महत्व और पूजा का शुभ मुहूर्त

दशहरा या विजय दशमी का पर्व पंचांग के अनुसार आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है. इस साल दशहरा 15 अक्टूबर 2021 को मनाया जाएगा.

Dussehra 2021
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Published : Oct 9, 2021, 6:34 PM IST

हैदराबाद : दशहरे का त्योहार हिन्दू धर्म का प्रमुख त्योहार है. इस पर्व को विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम ने इसी दिन अहंकारी रावण का वध किया था.

एक दूसरी कथा के अनुसार त्रिदेवों सहित सभी देवताओं ने अपनी शक्तियों से देवी दुर्गा की उत्पत्ति की. इसके बाद देवी ने बहुत ही शक्तिशाली असुरों के राजा महिषासुर का वध कर उसके आंतक से सम्पूर्ण जगत को मुक्त कराया. मां दुर्गा की इस विजय को ही विजयादशमी के नाम से मनाया जाता है.

इस त्योहार को बुराई पर अच्छाई की जीत और असत्य पर सत्य की विजय का सबसे बड़ा प्रतीक माना जाता है. हर साल ये पर्व आश्विन मास शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन मनाया जाता है.

दशहरे पर होती है विशेष पूजा

शत्रुओं पर विजय की कामना लिए इस दिन शस्त्र पूजा का विधान है. पूर्व की भांति आज भी शस्त्र, मशीनों, कारखानों आदि की पूजन की परंपरा कायम है और देश की तमाम रियासतों और शासकीय शस्त्रागारों में आज भी शस्त्र पूजा बड़ी धूमधाम के साथ की जाती है. इस दिन शस्त्र पूजा के साथ ही अपराजिता, शमी के पेड़ के पूजन का भी महत्व है.

वैसे तो दशहरे के दिन पूरी दशमी तिथि ही शुभ मानी जाती है, लेकिन शस्त्र, अपराजिता, शमी पूजा के लिए विजय मुहूर्त उत्तम माना जाता है. इस मुहूर्त में किए गए कार्य में सफलता अवश्य प्राप्त होती है. विजयादशमी के दिन विजय मुहूर्त- दोपहर 02:09 बजे से 02:53 बजे तक है. इस समय काल में ही आपको अपने शस्त्रों आदि की पूजा करने का प्रयास करना चाहिए.

विजयादशमी के दिन विजय मुहूर्त
विजयादशमी के दिन विजय मुहूर्त

दशहरे के रीति-रिवाज और मान्यताएं

दहशरा के दिन शाम को रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतलों का दहन किया जाता है. 10 दिनों तक चलने वाली रामलीलाओं का समापन रावण दहन के साथ ही होता है. हर वर्ष दशहरा के दिन रावण के पुतले का दहन इसलिए किया जाता है कि व्यक्ति अपनी बुराइयों को नष्ट करके अपने अंदर अच्छी आदतों और व्यवहार का विकास करे. साथ ही उसे यह बात याद रहे कि विजय हमेशा सत्य की होती है, अच्छाई की होती है. नवरात्रि के दौरान जो लोग मां दुर्गा की मूर्तियां स्थापित करते हैं, वे दशहरे के दिन उनका विसर्जन कर देते हैं.

दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी का दिखना बड़ा ही शुभ माना जाता है. दशहरे पर इसका दिखना अच्छे समय की शुरुआत होने का संकेत माना जाता है. नीलकंठ पक्षी को भगवान शिव का रूप माना जाता है. दशहरे के दिन पान खाने का भी विशेष महत्व होता है. इस दिन श्री राम भक्त हनुमान को पान चढ़ाने से मन की मुरादें पूरी होती हैं.

पढ़ेंः जानें क्यों मनाया जाता है दशहरा का पर्व

हैदराबाद : दशहरे का त्योहार हिन्दू धर्म का प्रमुख त्योहार है. इस पर्व को विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम ने इसी दिन अहंकारी रावण का वध किया था.

एक दूसरी कथा के अनुसार त्रिदेवों सहित सभी देवताओं ने अपनी शक्तियों से देवी दुर्गा की उत्पत्ति की. इसके बाद देवी ने बहुत ही शक्तिशाली असुरों के राजा महिषासुर का वध कर उसके आंतक से सम्पूर्ण जगत को मुक्त कराया. मां दुर्गा की इस विजय को ही विजयादशमी के नाम से मनाया जाता है.

इस त्योहार को बुराई पर अच्छाई की जीत और असत्य पर सत्य की विजय का सबसे बड़ा प्रतीक माना जाता है. हर साल ये पर्व आश्विन मास शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन मनाया जाता है.

दशहरे पर होती है विशेष पूजा

शत्रुओं पर विजय की कामना लिए इस दिन शस्त्र पूजा का विधान है. पूर्व की भांति आज भी शस्त्र, मशीनों, कारखानों आदि की पूजन की परंपरा कायम है और देश की तमाम रियासतों और शासकीय शस्त्रागारों में आज भी शस्त्र पूजा बड़ी धूमधाम के साथ की जाती है. इस दिन शस्त्र पूजा के साथ ही अपराजिता, शमी के पेड़ के पूजन का भी महत्व है.

वैसे तो दशहरे के दिन पूरी दशमी तिथि ही शुभ मानी जाती है, लेकिन शस्त्र, अपराजिता, शमी पूजा के लिए विजय मुहूर्त उत्तम माना जाता है. इस मुहूर्त में किए गए कार्य में सफलता अवश्य प्राप्त होती है. विजयादशमी के दिन विजय मुहूर्त- दोपहर 02:09 बजे से 02:53 बजे तक है. इस समय काल में ही आपको अपने शस्त्रों आदि की पूजा करने का प्रयास करना चाहिए.

विजयादशमी के दिन विजय मुहूर्त
विजयादशमी के दिन विजय मुहूर्त

दशहरे के रीति-रिवाज और मान्यताएं

दहशरा के दिन शाम को रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतलों का दहन किया जाता है. 10 दिनों तक चलने वाली रामलीलाओं का समापन रावण दहन के साथ ही होता है. हर वर्ष दशहरा के दिन रावण के पुतले का दहन इसलिए किया जाता है कि व्यक्ति अपनी बुराइयों को नष्ट करके अपने अंदर अच्छी आदतों और व्यवहार का विकास करे. साथ ही उसे यह बात याद रहे कि विजय हमेशा सत्य की होती है, अच्छाई की होती है. नवरात्रि के दौरान जो लोग मां दुर्गा की मूर्तियां स्थापित करते हैं, वे दशहरे के दिन उनका विसर्जन कर देते हैं.

दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी का दिखना बड़ा ही शुभ माना जाता है. दशहरे पर इसका दिखना अच्छे समय की शुरुआत होने का संकेत माना जाता है. नीलकंठ पक्षी को भगवान शिव का रूप माना जाता है. दशहरे के दिन पान खाने का भी विशेष महत्व होता है. इस दिन श्री राम भक्त हनुमान को पान चढ़ाने से मन की मुरादें पूरी होती हैं.

पढ़ेंः जानें क्यों मनाया जाता है दशहरा का पर्व

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