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सावधानः अब सोशल मीडिया अपग्रेडेशन का इस्तेमाल कर अपराधी बना रहे साइबर ठगी के शिकार - fake application

लोगों के टेक्नोलॉजी इस्तेमाल (technology use) के साथ ही साइबर अपराधियों (cyber criminals) ने जालसाजी (forgery) का हाईटेक (Hitech) हथकंडा अपनाना शुरू कर दिया है. हाल के दिनों में साइबर क्राइम के मामले बढ़ें हैं. अपराधी सोशल मीडिया अपग्रेडेशन (criminal social media upgrade) के माध्यम से अब लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं. छत्तीसगढ़ के रायपुर में साइबर एक्सपर्ट (cyber expert) ने पब्लिक को कुछ इस तरीके से सतर्क किया है.

सोशल मीडिया अपग्रेडेशन का इस्तेमाल कर अपराधी बना रहे साइबर ठगी के शिकार
सोशल मीडिया अपग्रेडेशन का इस्तेमाल कर अपराधी बना रहे साइबर ठगी के शिकार
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Published : Sep 18, 2021, 5:14 AM IST

रायपुरः प्रदेश में साइबर क्राइम के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. जिस रफ्तार से दुनिया आधुनिकता (Modernity) की ओर बढ़ रही है, उसी तेजी के साथ साइबर अपराधी (cyber criminals) भी लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं. ऐसे ठगी नित-नए मामले सामने आ रहे हैं.

प्रदेश में ज्यादेतर फाइनैंशल फ्रॉड (financial fraud) देखने को मिल रहे हैं. इसमें एटीएम कार्ड क्लोनिंग (atm card cloning), ओटीपी (OTP) के माध्यम से कस्टमर केयर (Customer Care) बता कर लोगों को अपराधी अपने ठगी का शिकार बना. वहीं, अब ठग सोशल मीडिया अपग्रेडेशन (social media upgrade) के माध्यम से लोगों को अपना शिकार बनाने लगे हैं.

खास रिपोर्ट

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपडेट होते रहते हैं एप्लीकेशन
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म व्हाट्सएप (WhatsApp), फेसबुक (Facebook), इंस्टाग्राम (Instagram), फेसबुक मैसेंजर (Facebook Messenger), गेमिंग एप्लीकेशन (Gaming Application) कुछ महीनों में अपने एप्लीकेशन को अपडेट (Update) करते हैं ताकि लोगों को सुविधाएं मिल सकें.

इसी तरह का अपडेट अभी सोशल मीडिया पर देखने को मिला है, जिसमें मोबाइल में मैसेज का नोटिफिकेशन (message notification) आने पर बिना एप्लीकेशन खोले डायरेक्ट नोटिफिकेशन (direct notification) के माध्यम से ही आप सामने वाले व्यक्ति को मैसेज कर सकते हैं लेकिन साइबर ठग अब इसी का इस्तेमाल कर लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं.

मैसेज में रहता है फर्जी लिंक

अपराधी मोबाइल में ऐसा एप्लीकेशन डाउनलोड (Application download) करवाते हैं जिससे वह डायरेक्ट नोटिफिकेशन (direct notification) से ही ऑटो मैसेज फॉरवर्ड (auto message forward) कर देते हैं. इस मैसेज में फर्जी लिंक (fake link) रहता है, जिससे मोबाइल हैक (mobile hack) हो सकता है. इसके अलावा फर्जी लिंक से फर्जी एप्लीकेशन (fake application) को दूसरे यूजर (user) के मोबाइल में डाउनलोड (download in mobile) करवाते हैं, जिससे यूजर के मोबाइल को कंट्रोल (control the mobile) कर सकें और यूजर को पता चले बिना वह फ्रॉड कर सके.
आपके मोबाइल से नोटिफिकेशन हाईजैक करता है फर्जी एप्लीकेशन
साइबर एक्सपर्ट मोहित साहू ने बताया कि जो फर्जी एप्लीकेशन इंस्टॉल हो रहे हैं, इस पर बहुत से केसेज देखने को मिले हैं. लोग मूवी देखने, वेब सीरीज देखने के नाम पर बहुत सारे फर्जी ओटीटी एप्लीकेशन अपने मोबाइल पर इंस्टॉल कर लेते हैं. आपके सोशल मीडिया (social media) पर जो नोटिफिकेशन (Notification) आते हैं उस नोटिफिकेशन को फर्जी एप्लीकेशन हाईजैक (fake application hijack) कर लेता है.

उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया तो सिक्योर है, अगर उसमें अपने टू स्टेप वेरिफिकेशन (two step verification) किया है तो, लेकिन जो नोटिफिकेशन आपके मोबाइल पर आता है, वह सिक्योर नहीं है. जब भी सामने वाला किसी अन्य को मैसेज करता है तो उसकी जानकारी के बगैर यानी बिना पता चले उस फर्जी एप्लीकेशन के सहारे सामने वाले को डायरेक्ट मैसेज (direct message) चल जाता है.

फर्जी लिंक या फर्जी एप्लीकेशन मेलिसियस एप्लीकेशन (melicious application) के माध्यम से होती है. और सामने वाला व्यक्ति जैसे ही उस मैसेज के लिंक को ओपेन करता है, सामने वाले के मोबाइल में भी फर्जी एप्लीकेशन अपने आप डाउनलोड हो जाता है. इससे साइबर अपराधी उसे आसानी से ठगी का शिकार बना लेते हैं.

पढ़ें- USSD CODE बन रहा साइबर ठगी का नया हथियार, ऐसे रहे सावधान
इन फर्जी एप्लीकेशन का ठग करते हैं इस्तेमाल
• एनीडेस्क (AnyDesk)
• टीम व्यूअर (team viewer)
• टीम व्यूअर क्विक सपोर्ट (team viewer quick support)
• वीएनसी एक्स्ट्रा (VNC Extra)
• डे फॉरएवर फ्रेंडशिप (day forever friendship)
• क्यूएस एप्लीकेशन (QS Application)

एप्लीकेशन को डाउनलोड करने से बचें
• कोई भी अनजान के कहने पर एप्लीकेशन डाउनलोड ना करें.
• अपना मोबाइल किसी को ना दें.
• अनजान एप्लीकेशन और लिंक पर कभी क्लिक ना करें.
• ऐसा होने पर तुरंत पुलिस को संपर्क करें या ऑनलाइन कंप्लेंट करें, ताकि पुलिस जल्द से जल्द उन्हें ट्रेस कर सके.

रायपुरः प्रदेश में साइबर क्राइम के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. जिस रफ्तार से दुनिया आधुनिकता (Modernity) की ओर बढ़ रही है, उसी तेजी के साथ साइबर अपराधी (cyber criminals) भी लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं. ऐसे ठगी नित-नए मामले सामने आ रहे हैं.

प्रदेश में ज्यादेतर फाइनैंशल फ्रॉड (financial fraud) देखने को मिल रहे हैं. इसमें एटीएम कार्ड क्लोनिंग (atm card cloning), ओटीपी (OTP) के माध्यम से कस्टमर केयर (Customer Care) बता कर लोगों को अपराधी अपने ठगी का शिकार बना. वहीं, अब ठग सोशल मीडिया अपग्रेडेशन (social media upgrade) के माध्यम से लोगों को अपना शिकार बनाने लगे हैं.

खास रिपोर्ट

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपडेट होते रहते हैं एप्लीकेशन
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म व्हाट्सएप (WhatsApp), फेसबुक (Facebook), इंस्टाग्राम (Instagram), फेसबुक मैसेंजर (Facebook Messenger), गेमिंग एप्लीकेशन (Gaming Application) कुछ महीनों में अपने एप्लीकेशन को अपडेट (Update) करते हैं ताकि लोगों को सुविधाएं मिल सकें.

इसी तरह का अपडेट अभी सोशल मीडिया पर देखने को मिला है, जिसमें मोबाइल में मैसेज का नोटिफिकेशन (message notification) आने पर बिना एप्लीकेशन खोले डायरेक्ट नोटिफिकेशन (direct notification) के माध्यम से ही आप सामने वाले व्यक्ति को मैसेज कर सकते हैं लेकिन साइबर ठग अब इसी का इस्तेमाल कर लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं.

मैसेज में रहता है फर्जी लिंक

अपराधी मोबाइल में ऐसा एप्लीकेशन डाउनलोड (Application download) करवाते हैं जिससे वह डायरेक्ट नोटिफिकेशन (direct notification) से ही ऑटो मैसेज फॉरवर्ड (auto message forward) कर देते हैं. इस मैसेज में फर्जी लिंक (fake link) रहता है, जिससे मोबाइल हैक (mobile hack) हो सकता है. इसके अलावा फर्जी लिंक से फर्जी एप्लीकेशन (fake application) को दूसरे यूजर (user) के मोबाइल में डाउनलोड (download in mobile) करवाते हैं, जिससे यूजर के मोबाइल को कंट्रोल (control the mobile) कर सकें और यूजर को पता चले बिना वह फ्रॉड कर सके.
आपके मोबाइल से नोटिफिकेशन हाईजैक करता है फर्जी एप्लीकेशन
साइबर एक्सपर्ट मोहित साहू ने बताया कि जो फर्जी एप्लीकेशन इंस्टॉल हो रहे हैं, इस पर बहुत से केसेज देखने को मिले हैं. लोग मूवी देखने, वेब सीरीज देखने के नाम पर बहुत सारे फर्जी ओटीटी एप्लीकेशन अपने मोबाइल पर इंस्टॉल कर लेते हैं. आपके सोशल मीडिया (social media) पर जो नोटिफिकेशन (Notification) आते हैं उस नोटिफिकेशन को फर्जी एप्लीकेशन हाईजैक (fake application hijack) कर लेता है.

उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया तो सिक्योर है, अगर उसमें अपने टू स्टेप वेरिफिकेशन (two step verification) किया है तो, लेकिन जो नोटिफिकेशन आपके मोबाइल पर आता है, वह सिक्योर नहीं है. जब भी सामने वाला किसी अन्य को मैसेज करता है तो उसकी जानकारी के बगैर यानी बिना पता चले उस फर्जी एप्लीकेशन के सहारे सामने वाले को डायरेक्ट मैसेज (direct message) चल जाता है.

फर्जी लिंक या फर्जी एप्लीकेशन मेलिसियस एप्लीकेशन (melicious application) के माध्यम से होती है. और सामने वाला व्यक्ति जैसे ही उस मैसेज के लिंक को ओपेन करता है, सामने वाले के मोबाइल में भी फर्जी एप्लीकेशन अपने आप डाउनलोड हो जाता है. इससे साइबर अपराधी उसे आसानी से ठगी का शिकार बना लेते हैं.

पढ़ें- USSD CODE बन रहा साइबर ठगी का नया हथियार, ऐसे रहे सावधान
इन फर्जी एप्लीकेशन का ठग करते हैं इस्तेमाल
• एनीडेस्क (AnyDesk)
• टीम व्यूअर (team viewer)
• टीम व्यूअर क्विक सपोर्ट (team viewer quick support)
• वीएनसी एक्स्ट्रा (VNC Extra)
• डे फॉरएवर फ्रेंडशिप (day forever friendship)
• क्यूएस एप्लीकेशन (QS Application)

एप्लीकेशन को डाउनलोड करने से बचें
• कोई भी अनजान के कहने पर एप्लीकेशन डाउनलोड ना करें.
• अपना मोबाइल किसी को ना दें.
• अनजान एप्लीकेशन और लिंक पर कभी क्लिक ना करें.
• ऐसा होने पर तुरंत पुलिस को संपर्क करें या ऑनलाइन कंप्लेंट करें, ताकि पुलिस जल्द से जल्द उन्हें ट्रेस कर सके.

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