पटना: बिहार से हर साल मासूम बच्चे लापता हो जाते हैं. गायब होने वाले बच्चों की संख्या हैरान करने वाली है. जब उनका बचपन कुलांचे मार रहा होता है तभी वो किसी शिकारी के जाल में फंस जाते हैं. ऐसा देखा गया है कि गरीब और पिछड़े इलाके से बच्चों की तस्करी ज्यादा होती है. मीडिया रिपोर्टस के मुताबिर बाल तस्करी के मामले में बिहार के अलावा यूपी और आंध्र प्रदेश के बच्चों की संख्या अधिक है. इन तीन राज्यों में साल 2016 और 2022 के बीच सबसे अधिक बच्चों की तस्करी की गई है. सरकार और गैर सरकारी संगठनों के लिए यह चिंता की बात है.
इस साल अगस्त तक 3145 बच्चे हैं गुमशुदाः बिहार में 2023 के अगस्त महीने तक 5958 बच्चों की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करायी गयी थी. गायब पाए जाने वाले बच्चों में सर्वाधिक संख्या 5117 लड़कियों थी और 841 लड़के थे. बिहार पुलिस ने इन मामलों में कार्रवाई करते हुए 2416 लड़कियां और 383 लड़के सहित 2799 बच्चों को ढूंढ निकाला था. विभाग के पोर्टल के अनुसार अभी भी 3145 बच्चे लापता हैं. उन्हें ढूंढने की कवायद जारी है.
बिहार पुलिस क्या कर रही है? : पुलिस का कहना है कि इस समस्या से निपटने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है. एडीजी पुलिस मुख्यालय जेएस गंगवार ने कहा कि, ''गायब बच्चों को ढूंढने के लिए पुलिस लगातार काम कर रही है. हाल के दिनों में विभाग ने कामयाबी हासिल की है. आगे भी पुलिस कार्रवाई कर रही है.''
अशिक्षा और गरीबी वाले इलाके में ट्रैफिकिंग ज्यादाः जानकारी के मुताबिक, सीमांचल इलाके से सबसे अधिक बच्चे गायब होते हैं. इंटरस्टेट और इंटरनेशनल गैंग सीमांचल इलाके में सक्रिय हैं. अनुमान के मुताबिक बिहार से गायब हुए बच्चों में 65% बच्चे अकेले सीमांचल इलाके से हैं. बताया जाता है कि गरीबी, अशिक्षा और जागरुकता के अभाव में मासूम बच्चों को बहलाकर गिरोह के सदस्य अपने चंगुल में फंसाते हैं. बाल संरक्षण आयोग बच्चों के अधिकार को सुरक्षित रखने के लिए काम करता है. इसके बाद भी ट्रैफिकिंग की संख्या कम नहीं हो रही है.
सीमांचल का इलाका हॉटस्पॉट: बाल संरक्षण को लेकर सक्रिय भूमिका निभाने वाली निशा झा कहती हैं कि, ''जिन इलाकों में गरीबी, अशिक्षा और बेरोजगारी है उन्हीं इलाकों से अधिक बच्चे गायब हो रहे हैं. हाल के दिनों में संख्या में इजाफा हुआ है. सीमांचल का इलाका हॉटस्पॉट बना हुआ है. सरकार को चाहिए कि लोगों को जागरूक करें और साथ ही साथ स्कूलों में भी बच्चों को बाल संरक्षण के बारे में पढ़ाया. जब बच्चों को उनके अधिकारों के बारे में पता होगा, तभी वो सुरक्षित हो सकेंगे. इसके लिए जागरुकता अभियान भी चलाया जाना चाहिए.''
वेश्यावृत्ति में धकेल दिया जाताः पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास का कहना है कि, ''मानव व्यापार, लड़कों और लड़कियों दोनों का होता है. लड़कों का व्यापार इसलिए होता है कि उनसे बाल मजदूरी कराई जा सके. उत्तर प्रदेश के कई जिलों की फैक्ट्रियों में बाल मजदूरी कराई जाती है. वहीं, लड़कियों को वेश्यावृत्ति के धंधे में धकेल दिया जाता है.''
"चाइल्ड ट्रैफिकिंग रोकने के लिए श्रम संसाधन विभाग लगातार अभियान चला रहा है. धावा दल का गठन किया गया है. विभाग के अधिकारी लगातार अभियान चला रहे हैं. दोषियों के खिलाफ कार्रवाई भी की जा रही है."- सुरेंद्र राम, श्रम संसाधन मंत्री
क्यों होती है मानव तस्करीः संयुक्त राष्ट्र की परिभाषा के अनुसार किसी व्यक्ति को बल प्रयोग कर, डराकर, धोखा देकर, हिंसा जैसे तरीकों से भर्ती, तस्करी या बंधक बना कर रखना मानव तस्करी के अंतर्गत आता है. गरीबी और अशिक्षा है इसका सबसे बड़ा कारण है. क्षेत्रीय लैंगिक असंतुलन इसे बढ़ावा देता है. बिहार से गायब हुई लड़कियों की उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में जबरन शादियां करवायी जाती हैं. महानगरों में घरेलू कामों के लिये भी लड़कियों की तस्करी होती है. चाइल्ड पोर्नोग्राफी के लिये भी बच्चों की तस्करी होती है.
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