नई दिल्ली : सीबीडीटी के अध्यक्ष पीसी मोदी ने कहा कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT)करदाताओं को आयकर अधिनियम के तहत अपने दायित्वों का पालन करने के लिए बेहतर सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है.
ईटीवी भारत के संवाददाता कृष्णानंद त्रिपाठी के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में पीसी मोदी ने कहा कि बोर्ड चालू वित्त वर्ष के लिए संशोधित कर संग्रह लक्ष्य और सरकार द्वारा कोविड -19 वैश्विक महामारी के प्रतिकूल आर्थिक प्रभाव के बावजूद अगले वर्ष के लिए निर्धारित लक्ष्य को पूरा करेगा.
सीबीडीटी प्रमुख ने आने वाले वर्षों में एक स्थिर कर व्यवस्था की वकालत करते हुए कहा कि कर दरों के साथ बार-बार छेड़छाड़ करना करदाता के दिमाग में अनिश्चितता पैदा करता है.
उनके साथ हुई बातचीत के कुछ खास अंश
सवाल - राजस्व संग्रह लक्ष्यों को पूरा करना कितना कठिन रहा है?
जवाब- संपूर्ण आयकर टीम इस स्थिति पर पहुंच गई कि उसने संग्रह को अधिकतम कर दिया और वे करदाताओं की जरूरतों के प्रति संवेदनशील थीं. इसे करदाताओं के संवेदनशील संचालन की आवश्यकता थी. वे हमेशा करदाताओं के बचाव के लिए उपलब्ध थी.
सवाल - क्या विवाद से विश्वास योजना राजस्व जुटाने में सहायक थे?
जवाब - विवाद से विश्वास योजना का उद्देश्य कभी भी किसी भी राजस्व को अलग रखने का नहीं था. इस योजना के पीछे सोच यह थी कि कर मुकद्दमे ( tax litigation ) को कम किया जाए.
हमने कर मुकदमेबाजी को कम करने के लिए कई उपाय किए हैं, सबसे पहले हमने मौद्रिक सीमाएं बढ़ाईं, जिसके बाद विभाग उच्च मंच पर आगे अपील के लिए नहीं जाएगा.
बाद में हमने न्यायिक अधिकारियों द्वारा उठाए गए दृष्टिकोण को स्वीकार करने के लिए कई परिपत्र जारी किए और योजनाओं की श्रृंखला को जारी रखने के लिए हमने करदाताओं को थोड़े समय में अपने विवादों को निपटाने की अनुमति दी. बेशक, हमें कोविड की वजह से तारीख आगे बढ़ानी पड़ी.
सवाल - क्या इस योजना को आगे बढ़ाया जाएगा?
जवाब - विवाद से विश्वास को अगले वित्तीय वर्ष तक विस्तारित करने की कोई योजना नहीं है.
सवाल - क्या बोर्ड ने योजना के कार्यान्वयन में अधिकारियों के विरोध का सामना किया?
जवाब- नई योजना को लेकर अधिकारियों को वास्तव में कुछ वैध चिंताएं थीं. इनकों दूर करने के लिए हमने अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ कई वेबिनार आयोजित किए और एक बार जब वे इस योजना के इरादे और तंत्र को समझ गए, उसके बाद कोई चिंता नहीं रही और यह योजना बहुत सफलतापूर्वक चल रही है.
सवाल - टेक्स क्लेकशन के लक्ष्य को पूरा करने के बारे में आप कितने आश्वस्त हैं?
जवाब - राजस्व लक्ष्य के संदर्भ में जो भी अनुमान लगाए गए हैं, वे चालू वर्ष के लिए बहुत ही यथार्थवादी लक्ष्य हैं और यथार्थवादी होने के नाते, हम बहुत आश्वस्त हैं कि हम इसे प्राप्त करने में सक्षम होंगे.
सवाल - जब अध्ययन में कहा गया कि टेक्स कटौती से संग्रह में उछाल आ सकता है, तो कर दरों में कटौती क्यों नहीं की गई?
जवाब- अभी तक कर दरों और टैक्स स्लैब का संबंध है, हमने पिछले बजट में ऐसा किया है. वर्तमान समय में हमें कभी नहीं लगा कि हमें कर दरों और स्लैब के साथ किसी और छेड़छाड़ करनी चाहिए.
सवाल - टेक्स क्लेकशन में गिरावट के लिए कोविड कितना जिम्मेदार है और दूसरे क्या फैक्टर हैं ?
जवाब - हमारे पास एक संग्रह निगरानी है, जिसकी हम समय-समय पर समीक्षा करते हैं, लेकिन इसे शुद्ध रूप से एक फैक्टर कहना ठीक नहीं होगा. बेशक, महामारी का अपना गंभीर प्रभाव है.
सवाल - इक्विलाइजेशन लेवी के बावजूद देश में कारोबार के पैमाने पर टेक दिग्गजों जैसे गूगल, फेसबुक, माइक्रोसॉफ्ट और अन्य से कर संग्रह के अनुरूप नहीं हैं?
जवाब - इक्विलाइजेशन लेवी इस संदर्भ में लगाई गई थी कि ई-कॉमर्स कंपनियों की पहुंच भारत में बनी रहे, लेकिन वो कोई कर नहीं दे रहे थे. इसलिए हमने इसे लागू किया.
सवाल - क्या हम फ्रांस जैसे अन्य देशों से बात कर रहे हैं, जो समान मुद्दों का सामना कर रहे हैं?
जवाब - इस तरह का संवाद हमेशा होता है, लेकिन विशेष रूप से इस मुद्दे के संदर्भ में नहीं.
सवाल - आयकर निगम कर संग्रह में 30-35% की गिरावट है?
जवाब - कॉर्पोरेट कर संग्रह में यह गिरावट पिछले बजट में कर दरों के रेशनलाइजेशन के लिए भी जिम्मेदार है. अब सामान्य स्थिति है. इसलिए हम उम्मीद करते हैं कि बहुत जल्द कॉरपोरेट कर संग्रह भी बढ़ जाएगा.
सवाल - फेसलेस असेस्मेंट के बाद अन्य करदाता अनुकूल उपायों का क्या पालन करेंगे?
जवाब - जहां तक इसके अनुपालन का संबंध है, हम करदाताओं को ई-फाइलिंग पोर्टल पर करदाताओं के खाते में करदाताओं से जो भी जानकारी एकत्र करते हैं, उसे उपलब्ध कराने का प्रयास कर रहे हैं, जिसे वह आयकर रिटर्न दाखिल करने से पहले देख सकते हैं ताकि वे उचित और सटीक हों.
सवाल - क्या वरिष्ठ नागरिक करदाताओं को दी जाने वाली सुविधा को अन्य बैंकों, डाकघरों में अपनी बचत को बढ़ाने के लिए बढ़ाया जाएगा?
जवाब - वर्तमान में हम जो भी प्रावधान लाए हैं, वह उसी व्यक्ति के लिए है, जो उसी बैंक से पेंशन आय और ब्याज आय प्राप्त करता है.