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टैक्सपेयर्स के लिए नया प्लेटफॉर्म लॉन्च, मोदी बोले- ईमानदार करदाताओं को मिलेगा सम्मान

पीएम मोदी ने आज ईमानदार करदाताओं के लिए एक विशेष मंच की शुरुआत की है. यह कर प्रणाली में सुधार और उसे सरल बनाने के प्रयासों को और मजबूती देगा.

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प्रधानमंत्री मोदी
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Published : Aug 13, 2020, 8:08 AM IST

Updated : Aug 13, 2020, 12:15 PM IST

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'पारदर्शी कराधान-ईमानदार का सम्मान' मंच की शुरुआत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि इससे हमारी कर (टैक्स) प्रणाली में सुधार और उसे सरल बनाने के प्रयासों को और बल मिलेगा.

प्रधानमंत्री करदाताओं के लिए कर-अनुपालन को और आसान बनाने तथा ईमानदारी से कर देने वालों को पुरस्कृत करने की दिशा में कर सुधारों के अगले चरण का उद्घाटन कर रहे हैं.

  • At 11 AM on Thursday, 13th August, the platform for “Transparent Taxation – Honoring the Honest” would be launched. This adds strength to our efforts of reforming and simplifying our tax system. It will benefit several honest tax payers, whose hardwork powers national progress.

    — Narendra Modi (@narendramodi) August 12, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आयोजित किए जा रहे इस कार्यक्रम में विभिन्न उद्योग मंडल, व्यापार संगठन, चार्टर्ड एकाउंटेंट संघ और जाने-माने करदाता शामिल हैं.

टैक्सपेयर्स के लिए नया प्लेटफॉर्म लॉन्च

इस दौरान उन्होंने कहा कि :-

  • टैक्स प्रणाली फेसलेस हो, सीमलेस हो यानि टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन, हर टैक्सपेयर को उलझाने के बजाय समस्या को सुलझाने के लिए काम करे. टेक्नॉलॉजी से लेकर नियम तक सबकुछ आसान हो.
  • टैक्सपेयर्स चार्टर भी देश की विकास यात्रा में बहुत बड़ा कदम है.
  • अब टैक्सपेयर को उचित, विनम्र और तर्कसंगत व्यवहार का भरोसा दिया गया है, यानि आयकर विभाग को अब टैक्सपेयर की गौरव का, संवेदनशीलता के साथ ध्यान रखना होगा. अब टैक्सपेयर की बात पर विश्वास करना होगा, डिपार्टमेंट उसको बिना किसी आधार के ही शक की नज़र से नहीं देख सकता.
  • आज से शुरू हो रहीं नई व्यवस्थाएं, नई सुविधाएं, हमारी प्रतिबद्धता को और मजबूत करती हैं. ये देशवासियों के जीवन से सरकार को, सरकार के दखल को कम करने की दिशा में भी एक बड़ा कदम है.
  • आज हर नियम-कानून को, हर पॉलिसी को प्रोसेस और पॉवर सेंट्रिक अप्रोच से बाहर निकालकर उसको पीपल सेंट्रिक और जनता के अनुकूल बनाने पर बल दिया जा रहा है। ये नए भारत के नए गवर्नेंस मॉडल का प्रयोग है और इसके सुखद परिणाम भी देश को मिल रहे हैं.
  • एक दौर था जब कभी मजबूरी और दबाव में कुछ फैसले लिए जाते थे, तो उन्हें सुधार कह दिया जाता था. इस कारण इच्छित परिणाम नहीं मिलते थे. अब ये सोच और अप्रोच, दोनों बदल गई है.
  • हमारे लिए सुधार का मतलब है, सुधार नीति आधारित हो, टुकड़ों में नहीं हो, समग्र हो और एक सुधार, दूसरे सुधार का आधार बने, नए सुधार का मार्ग बनाए. सुधार निरंतर, सतत चलने वाली प्रक्रिया है.
  • भारत के टैक्स सिस्टम में मौलिक और संरचनात्मक सुधार की ज़रूरत इसलिए थी क्योंकि हमारा आज का ये सिस्टम गुलामी के कालखंड में बना और फिर धीरे धीरे
    विकसित हुआ है.
  • जहां जटिलता होती है, वहां अनुपालन भी मुश्किल होता है. कम से कम कानून हो, जो कानून हो वो बहुत स्पष्ट हो तो टैक्सपेयर भी खुश रहता है और देश भी. बीते कुछ समय से यही काम किया जा रहा है. जैसे, दर्जनों टेक्स की जगह GST आ गया.
  • अब हाईकोर्ट में 1 करोड़ रुपए तक के और सुप्रीम कोर्ट में 2 करोड़ रुपए तक के केस की सीमा तय की गई है. ‘विवाद से विश्वास’ जैसी योजना से कोशिश ये है कि ज्यादातर मामले कोर्ट से बाहर ही सुलझ जाएं.
  • प्रक्रियाओं की जटिलताओं के साथ-साथ देश में टेक्स भी कम किया गया है. 5 लाख रुपए की आय पर अब टैक्स जीरो है. बाकी स्लैब में भी टैक्स कम हुआ है. कॉर्पोरेट कर के मामले में हम दुनिया में सबसे कम टेक्स लेने वाले देशों में से एक हैं.
  • टैक्स रिटर्न्स की स्क्रूटनी, करीब-करीब 4 गुना कम हुई है. इन सारे प्रयासों के बीच बीते 6-7 साल में इनकम टैक्स रिटर्न भरने वालों की संख्या में करीब ढाई करोड़ की वृद्धि हुई है.

मोदी ने बुधवार को ट्वीट किया, 'बृहस्पतिवार, 13 अगस्त को पूर्वाह्न 11 बजे ‘पारदर्शी कराधान - ईमानदार का सम्मान’ मंच की शुरूआत की जाएगी. यह हमारी कर प्रणाली में सुधार और उसे सरल बनाने के प्रयासों को और मजबूती देगा. यह कई ईमानदार करदाताओं के लिए फायदेमंद होगा जिनकी कड़ी मेहनत देश को आगे बढ़ने की शक्ति प्रदान करती है.'

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ट्विटर पर लिखा है, 'वास्तव में, यह भारत के लिए सरल और पारदर्शी कराधान व्यवस्था उपलब्ध कराने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा.'

सुधारों में पिछले वर्ष कंपनी कर की दर को 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत करना एवं नई विनिर्माण इकाइयों के लिए 15 प्रतिशत करना तथा लाभांश वितरण कर हटाना, अधिकारी और करदाताओं के आमना-सामना हुए बिना आकलन शामिल हैं.

बयान में कहा गया है, 'कर सुधारों के तहत कर की दरों में कमी करने और प्रत्यक्ष कर कानूनों के सरलीकरण पर जोर रहा है. आयकर विभाग के कामकाज में दक्षता और पारदर्शिता लाने के लिए भी सीबीडीटी (केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड्र) द्वारा कई पहल की गई हैं.

वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में करदाताओं के लिए चार्टर (घोषणापत्र) का ऐलान किया गया. इसके तहत उन्हें सांविधिक दर्जा दिए जाने और आयकर विभाग द्वारा नागरिकों को समयबद्ध सेवा के जरिए अधिकार संपन्न बनाए जाने की उम्मीद है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में कहा था कि चार्टर से करदाता और प्रशासन के बीच भरोसा सुनिश्चित होगा, उत्पीड़न समाप्त होगा. साथ ही इससे विभाग की दक्षता बढ़ेगी.

बयान के अनुसार कर सुधारों में हाल ही में शुरू की गई दस्तावेज पहचान संख्या (डिन) के जरिए आधिकारिक संचार में अधिक पारदर्शिता लाना भी शामिल है. इसके तहत विभाग के हर संचार या पत्र-व्यवहार पर कंप्यूटर सृजित एक अनूठी दस्तावेज पहचान संख्या अंकित होती है.

इसी तरह, करदाताओं के लिए अनुपालन को ज्‍यादा आसान करने के लिए आयकर विभाग अब पहले से ही भरे हुए आयकर रिटर्न फॉर्म प्रस्‍तुत करने लगा है, ताकि व्यक्तिगत करदाताओं के लिए अनुपालन को और भी अधिक सुविधाजनक बनाया जा सके.

स्टार्टअप्स के लिए भी अनुपालन मानदंडों को सरल बना दिया गया है.

लंबित कर विवादों का समाधान प्रदान करने के उद्देश्य से आयकर विभाग ने प्रत्यक्ष कर विवाद से विश्वास अधिनियम भी प्रस्‍तुत किया है, जिसके तहत वर्तमान में विवादों को निपटाने के लिए घोषणाएं दाखिल की जा रही हैं.

पढ़ें :- कोविड-19 को लेकर भारतीय ग्रामीणों ने मोदी सरकार पर जताया संतोष

करदाताओं की शिकायतों/मुकदमों में प्रभावकारी रूप से कमी सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न अपीलीय, न्यायालयों में विभागीय अपील दाखिल करने के लिए आरंभिक मौद्रिक सीमाएं भी बढ़ा दी गई हैं.

बयान के अनुसार, 'डिजिटल लेन-देन और भुगतान के इलेक्ट्रॉनिक तरीकों को बढ़ावा देने के लिए भी कई उपाय किए गए हैं. यही नहीं, आयकर विभाग ने कोविड काल में करदाताओं के लिए अनुपालन को आसान बनाने के लिए भी अनेक तरह के प्रयास किए हैं. इसके तहत रिटर्न दाखिल करने के लिए वैधानिक समयसीमा बढ़ा दी गई है और करदाताओं के हाथों में तरलता या नकदी प्रवाह बढ़ाने के लिए तेजी से रिफंड जारी किए गए हैं.'

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'पारदर्शी कराधान-ईमानदार का सम्मान' मंच की शुरुआत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि इससे हमारी कर (टैक्स) प्रणाली में सुधार और उसे सरल बनाने के प्रयासों को और बल मिलेगा.

प्रधानमंत्री करदाताओं के लिए कर-अनुपालन को और आसान बनाने तथा ईमानदारी से कर देने वालों को पुरस्कृत करने की दिशा में कर सुधारों के अगले चरण का उद्घाटन कर रहे हैं.

  • At 11 AM on Thursday, 13th August, the platform for “Transparent Taxation – Honoring the Honest” would be launched. This adds strength to our efforts of reforming and simplifying our tax system. It will benefit several honest tax payers, whose hardwork powers national progress.

    — Narendra Modi (@narendramodi) August 12, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आयोजित किए जा रहे इस कार्यक्रम में विभिन्न उद्योग मंडल, व्यापार संगठन, चार्टर्ड एकाउंटेंट संघ और जाने-माने करदाता शामिल हैं.

टैक्सपेयर्स के लिए नया प्लेटफॉर्म लॉन्च

इस दौरान उन्होंने कहा कि :-

  • टैक्स प्रणाली फेसलेस हो, सीमलेस हो यानि टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन, हर टैक्सपेयर को उलझाने के बजाय समस्या को सुलझाने के लिए काम करे. टेक्नॉलॉजी से लेकर नियम तक सबकुछ आसान हो.
  • टैक्सपेयर्स चार्टर भी देश की विकास यात्रा में बहुत बड़ा कदम है.
  • अब टैक्सपेयर को उचित, विनम्र और तर्कसंगत व्यवहार का भरोसा दिया गया है, यानि आयकर विभाग को अब टैक्सपेयर की गौरव का, संवेदनशीलता के साथ ध्यान रखना होगा. अब टैक्सपेयर की बात पर विश्वास करना होगा, डिपार्टमेंट उसको बिना किसी आधार के ही शक की नज़र से नहीं देख सकता.
  • आज से शुरू हो रहीं नई व्यवस्थाएं, नई सुविधाएं, हमारी प्रतिबद्धता को और मजबूत करती हैं. ये देशवासियों के जीवन से सरकार को, सरकार के दखल को कम करने की दिशा में भी एक बड़ा कदम है.
  • आज हर नियम-कानून को, हर पॉलिसी को प्रोसेस और पॉवर सेंट्रिक अप्रोच से बाहर निकालकर उसको पीपल सेंट्रिक और जनता के अनुकूल बनाने पर बल दिया जा रहा है। ये नए भारत के नए गवर्नेंस मॉडल का प्रयोग है और इसके सुखद परिणाम भी देश को मिल रहे हैं.
  • एक दौर था जब कभी मजबूरी और दबाव में कुछ फैसले लिए जाते थे, तो उन्हें सुधार कह दिया जाता था. इस कारण इच्छित परिणाम नहीं मिलते थे. अब ये सोच और अप्रोच, दोनों बदल गई है.
  • हमारे लिए सुधार का मतलब है, सुधार नीति आधारित हो, टुकड़ों में नहीं हो, समग्र हो और एक सुधार, दूसरे सुधार का आधार बने, नए सुधार का मार्ग बनाए. सुधार निरंतर, सतत चलने वाली प्रक्रिया है.
  • भारत के टैक्स सिस्टम में मौलिक और संरचनात्मक सुधार की ज़रूरत इसलिए थी क्योंकि हमारा आज का ये सिस्टम गुलामी के कालखंड में बना और फिर धीरे धीरे
    विकसित हुआ है.
  • जहां जटिलता होती है, वहां अनुपालन भी मुश्किल होता है. कम से कम कानून हो, जो कानून हो वो बहुत स्पष्ट हो तो टैक्सपेयर भी खुश रहता है और देश भी. बीते कुछ समय से यही काम किया जा रहा है. जैसे, दर्जनों टेक्स की जगह GST आ गया.
  • अब हाईकोर्ट में 1 करोड़ रुपए तक के और सुप्रीम कोर्ट में 2 करोड़ रुपए तक के केस की सीमा तय की गई है. ‘विवाद से विश्वास’ जैसी योजना से कोशिश ये है कि ज्यादातर मामले कोर्ट से बाहर ही सुलझ जाएं.
  • प्रक्रियाओं की जटिलताओं के साथ-साथ देश में टेक्स भी कम किया गया है. 5 लाख रुपए की आय पर अब टैक्स जीरो है. बाकी स्लैब में भी टैक्स कम हुआ है. कॉर्पोरेट कर के मामले में हम दुनिया में सबसे कम टेक्स लेने वाले देशों में से एक हैं.
  • टैक्स रिटर्न्स की स्क्रूटनी, करीब-करीब 4 गुना कम हुई है. इन सारे प्रयासों के बीच बीते 6-7 साल में इनकम टैक्स रिटर्न भरने वालों की संख्या में करीब ढाई करोड़ की वृद्धि हुई है.

मोदी ने बुधवार को ट्वीट किया, 'बृहस्पतिवार, 13 अगस्त को पूर्वाह्न 11 बजे ‘पारदर्शी कराधान - ईमानदार का सम्मान’ मंच की शुरूआत की जाएगी. यह हमारी कर प्रणाली में सुधार और उसे सरल बनाने के प्रयासों को और मजबूती देगा. यह कई ईमानदार करदाताओं के लिए फायदेमंद होगा जिनकी कड़ी मेहनत देश को आगे बढ़ने की शक्ति प्रदान करती है.'

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ट्विटर पर लिखा है, 'वास्तव में, यह भारत के लिए सरल और पारदर्शी कराधान व्यवस्था उपलब्ध कराने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा.'

सुधारों में पिछले वर्ष कंपनी कर की दर को 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत करना एवं नई विनिर्माण इकाइयों के लिए 15 प्रतिशत करना तथा लाभांश वितरण कर हटाना, अधिकारी और करदाताओं के आमना-सामना हुए बिना आकलन शामिल हैं.

बयान में कहा गया है, 'कर सुधारों के तहत कर की दरों में कमी करने और प्रत्यक्ष कर कानूनों के सरलीकरण पर जोर रहा है. आयकर विभाग के कामकाज में दक्षता और पारदर्शिता लाने के लिए भी सीबीडीटी (केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड्र) द्वारा कई पहल की गई हैं.

वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में करदाताओं के लिए चार्टर (घोषणापत्र) का ऐलान किया गया. इसके तहत उन्हें सांविधिक दर्जा दिए जाने और आयकर विभाग द्वारा नागरिकों को समयबद्ध सेवा के जरिए अधिकार संपन्न बनाए जाने की उम्मीद है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में कहा था कि चार्टर से करदाता और प्रशासन के बीच भरोसा सुनिश्चित होगा, उत्पीड़न समाप्त होगा. साथ ही इससे विभाग की दक्षता बढ़ेगी.

बयान के अनुसार कर सुधारों में हाल ही में शुरू की गई दस्तावेज पहचान संख्या (डिन) के जरिए आधिकारिक संचार में अधिक पारदर्शिता लाना भी शामिल है. इसके तहत विभाग के हर संचार या पत्र-व्यवहार पर कंप्यूटर सृजित एक अनूठी दस्तावेज पहचान संख्या अंकित होती है.

इसी तरह, करदाताओं के लिए अनुपालन को ज्‍यादा आसान करने के लिए आयकर विभाग अब पहले से ही भरे हुए आयकर रिटर्न फॉर्म प्रस्‍तुत करने लगा है, ताकि व्यक्तिगत करदाताओं के लिए अनुपालन को और भी अधिक सुविधाजनक बनाया जा सके.

स्टार्टअप्स के लिए भी अनुपालन मानदंडों को सरल बना दिया गया है.

लंबित कर विवादों का समाधान प्रदान करने के उद्देश्य से आयकर विभाग ने प्रत्यक्ष कर विवाद से विश्वास अधिनियम भी प्रस्‍तुत किया है, जिसके तहत वर्तमान में विवादों को निपटाने के लिए घोषणाएं दाखिल की जा रही हैं.

पढ़ें :- कोविड-19 को लेकर भारतीय ग्रामीणों ने मोदी सरकार पर जताया संतोष

करदाताओं की शिकायतों/मुकदमों में प्रभावकारी रूप से कमी सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न अपीलीय, न्यायालयों में विभागीय अपील दाखिल करने के लिए आरंभिक मौद्रिक सीमाएं भी बढ़ा दी गई हैं.

बयान के अनुसार, 'डिजिटल लेन-देन और भुगतान के इलेक्ट्रॉनिक तरीकों को बढ़ावा देने के लिए भी कई उपाय किए गए हैं. यही नहीं, आयकर विभाग ने कोविड काल में करदाताओं के लिए अनुपालन को आसान बनाने के लिए भी अनेक तरह के प्रयास किए हैं. इसके तहत रिटर्न दाखिल करने के लिए वैधानिक समयसीमा बढ़ा दी गई है और करदाताओं के हाथों में तरलता या नकदी प्रवाह बढ़ाने के लिए तेजी से रिफंड जारी किए गए हैं.'

Last Updated : Aug 13, 2020, 12:15 PM IST
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