नई दिल्ली : भारत में कोरोना वायरस के प्रकोप से प्रवासी मजदूर सड़कों पर हैं और घर तक पहुंचने के लिए हजारों किलोमीटर पैदल चल रहे हैं. इस पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने शुक्रवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय से दो सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है. रिपोर्ट में यह जानकारी मांगी गई है कि फंसे हुए प्रवासी मजदूरों से संबंधित मुद्दों पर कदम उठाए गए या प्रस्तावित कदम की जानकारी दी जाए.
एनएचआरसी ने विशेष रेलगाड़ियों, स्वास्थ्य जांच के लिए कार्य योजना, परिवहन, प्रवासियों के अस्थायी आवास उनके गृह राज्यों को वापसी का विवरण देने के लिए भी कहा है.
गौरतलब है कि एनएचआरसी ने इसके पहले औरंगाबाद में 16 प्रवासियों की मौत पर महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी किया था. नासिक से सतना जा रही प्रवासी महिला की सड़क पर डेलिवरी की मीडिया रिपोर्टों के बाद महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस भी जारी किया गया था.
रिकॉर्ड के अनुसार प्रवासियों के बीच कोरोना वायरस के मामले बढ़ रहे हैं और विशेष रूप से बिहार व ओडिशा राज्यों के लिए कई मामलों की जांच करना अब अगली चुनौती है. चार मई से 13 मई तक सरकार के रिकॉर्ड के अनुसार, बिहार आने वाले प्रवासियों से कुल 4275 नमूने लिए गए, जोकि श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में सवार थे और इनमें 320 सकारात्मक पाए गए हैं.
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ओडिशा में विशेषकर हॉटस्पॉट गंजम जिले में मामलों की संख्या भी 10 दिनों में 249 बढ़ गई. अगले दो महीनों के लिए प्रवासी श्रमिकों को मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराने के लिए केंद्रीय सरकार ने गुरुवार को 3500 करोड़ की राशि देने की घोषणा की है. खाद्य वितरण प्रणाली के अंतर्गत नहीं आने वाले लगभग आठ करोड़ प्रवासियों को प्रति व्यक्ति पांच किलोग्राम अनाज और एक महीने के लिए एक किलो चना प्रति परिवार प्रदान किया जाएगा.