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लद्दाख में टी-90 भीष्म टैंक तैनात, सेना ने बनाई विशेष रणनीति

वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन के बीच स्थिति तनावपूर्ण है. पूर्वी लद्दाख में भारत ने टी-90 भीष्म टैंक की तैनाती की है. मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री भी पूरी तरह से तैयार है. सैन्य अधिकारियों ने बताया कि सर्दियों के मौसम के लिए पर्याप्त मात्रा में रसद और सेना की जरूरतों के सामान जुटा लिए गए हैं. यदि युद्ध हुआ, तो सेना ने पूरी तैयारी कर रखी है.

Military officer arvind kapoor
सैन्य अधिकारी अरविंद कपूर
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Published : Sep 27, 2020, 1:22 PM IST

Updated : Sep 27, 2020, 4:02 PM IST

नई दिल्ली : लद्दाख की दुर्गम परिस्थितियों के बीच भारतीय सेना मुस्तैद है. पिछले कुछ महीनों से चीन के साथ पैदा हुए तनावपूर्ण हालात के बाद यहां पर सैन्य गतविधियां बढ़ी हैं. चीन की ओर से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास भारी सैन्य साजोसामान जमा किए गए हैं. जवाब में भारत ने भी सैनिकों की तैनाती की है.

सेना ने बनाई विशेष रणनीति

सेना ने बताया कि पूर्वी लद्दाख के चुमार-डेमचौक क्षेत्र में टी-90 भीष्म टैंक की तैनाती कर दी गई है. इस टैंक में सेना मौसम के अनुरूप तीन अलग-अलग तरह के ईंधनों का प्रयोग करती है. कड़ी से कड़ी सर्दी में भी ईंधन नहीं जमता है.

भारतीय सेना मुस्तैद
भारतीय सेना मुस्तैद

टी-90 एक हल्का टैंक है. इसमें मिसाइल को रोकने वाला कवच लगा हुआ है. यह एक बार में 500 किमी से भी ज्यादा की दूरी तय कर सकता है. इसे आसानी से एक जगह से दूसरे जगह ले जाया जा सकता है. ऊंचाई वाले क्षेत्रों में इसका मुकाबला करना मुश्किल हो जाता है.

इसी तरह से पहाड़ी क्षेत्रों में मैकेनाइज्ड इन्फ्रैंट्री का भी उपयोग होता है. वरिष्ठ सैन्य अधिकारी संतोष सिंह ने बताया कि मैकेनाइज्ड इन्फ्रैंट्री सेना का आधुनिक अंग है. उन्होंने बताया कि हमारी यूनिट के पास हर मौसम और विषम भौगौलिक परिस्थितियों में काम करने का अनुभव है. मूवमेंट के संदर्भ में उन्होंने बताया कि हाई मोबिलिटी, हथियार और मिसाइल स्टोरेज के कारण इससे लंबे समय तक स्वतंत्र रूप से लड़ाई लड़ी जा सकती है.

संतोष सिंह ने बताया कि मैकेनाइज्ड इन्फ्रैंट्री का गनर प्रशिक्षित जवान होता है, जो अलग-अलग तरह की फायरिंग करने की क्षमता रखता है.

सेना ने बनाई विशेष रणनीति

एक अन्य सिपाही सुखदेव ने बताया कि पर्यावरण और मौसम को देखते हुए गाड़ी और टैंकों के इंजन पर काफी असर पड़ता है. तापमान घटने के कारण ईंधन भी प्रभावित होता है. लिहाजा हर तरह के मौसम में हथियारों का किस तरह उपयोग करना है, इसके लिए सिपाही पूरी तरह से प्रशिक्षित होते हैं.

सैन्य अधिकारी अरविंद कपूर ने बताया कि फायर एंड फ्यूरी कोर भारतीय सेना ही नहीं दुनिया की कई सेनाओं का अहम अंग है. उन्होंने बताया कि इस मैकेनाइज्ड फोर्स के सैनिक ऊंचाई वाले चुनौतीपूर्ण भौगोलिक इलाकों में तैनात रहते हैं. इसमें टैंक, इन्फैंट्री लड़ाकू वाहन और भारी बंदूकों का रखरखाव करना लद्दाख जैसी भौगौलिक स्थिति में चुनौती होती है.

सैन्य अधिकारी अरविंद कपूर

अरविंद कपूर ने कहा कि सेना की लॉजिस्टिक्स अरेंजमेंट अपनी-अपनी जगह पर हैं. सैन्य तैयारियों के हवाले से उन्होंने बताया कि जवानों को सर्दियों के अनुकूल कपड़े दिए गए हैं, उन्हें विषम हालातों के लिए प्रशिक्षण दिया गया है. उन्होंने कहा कि सेना ने हर तरह की ऑपरेशनल तैयारियां कर रखी हैं. उन्होंने कहा कि इनसे सैन्य टुकड़ी को रेडी टू फंक्शन रहने में मदद मिलेगी.

बकौल अरविंद कपूर, तैयारियों के बीच सबसे अहम सैनिकों का मनोबल और जोश है. उन्होंने कहा कि हालात विषम होने के बावजूद सेना पूरी तरह से तैयार है.

नई दिल्ली : लद्दाख की दुर्गम परिस्थितियों के बीच भारतीय सेना मुस्तैद है. पिछले कुछ महीनों से चीन के साथ पैदा हुए तनावपूर्ण हालात के बाद यहां पर सैन्य गतविधियां बढ़ी हैं. चीन की ओर से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास भारी सैन्य साजोसामान जमा किए गए हैं. जवाब में भारत ने भी सैनिकों की तैनाती की है.

सेना ने बनाई विशेष रणनीति

सेना ने बताया कि पूर्वी लद्दाख के चुमार-डेमचौक क्षेत्र में टी-90 भीष्म टैंक की तैनाती कर दी गई है. इस टैंक में सेना मौसम के अनुरूप तीन अलग-अलग तरह के ईंधनों का प्रयोग करती है. कड़ी से कड़ी सर्दी में भी ईंधन नहीं जमता है.

भारतीय सेना मुस्तैद
भारतीय सेना मुस्तैद

टी-90 एक हल्का टैंक है. इसमें मिसाइल को रोकने वाला कवच लगा हुआ है. यह एक बार में 500 किमी से भी ज्यादा की दूरी तय कर सकता है. इसे आसानी से एक जगह से दूसरे जगह ले जाया जा सकता है. ऊंचाई वाले क्षेत्रों में इसका मुकाबला करना मुश्किल हो जाता है.

इसी तरह से पहाड़ी क्षेत्रों में मैकेनाइज्ड इन्फ्रैंट्री का भी उपयोग होता है. वरिष्ठ सैन्य अधिकारी संतोष सिंह ने बताया कि मैकेनाइज्ड इन्फ्रैंट्री सेना का आधुनिक अंग है. उन्होंने बताया कि हमारी यूनिट के पास हर मौसम और विषम भौगौलिक परिस्थितियों में काम करने का अनुभव है. मूवमेंट के संदर्भ में उन्होंने बताया कि हाई मोबिलिटी, हथियार और मिसाइल स्टोरेज के कारण इससे लंबे समय तक स्वतंत्र रूप से लड़ाई लड़ी जा सकती है.

संतोष सिंह ने बताया कि मैकेनाइज्ड इन्फ्रैंट्री का गनर प्रशिक्षित जवान होता है, जो अलग-अलग तरह की फायरिंग करने की क्षमता रखता है.

सेना ने बनाई विशेष रणनीति

एक अन्य सिपाही सुखदेव ने बताया कि पर्यावरण और मौसम को देखते हुए गाड़ी और टैंकों के इंजन पर काफी असर पड़ता है. तापमान घटने के कारण ईंधन भी प्रभावित होता है. लिहाजा हर तरह के मौसम में हथियारों का किस तरह उपयोग करना है, इसके लिए सिपाही पूरी तरह से प्रशिक्षित होते हैं.

सैन्य अधिकारी अरविंद कपूर ने बताया कि फायर एंड फ्यूरी कोर भारतीय सेना ही नहीं दुनिया की कई सेनाओं का अहम अंग है. उन्होंने बताया कि इस मैकेनाइज्ड फोर्स के सैनिक ऊंचाई वाले चुनौतीपूर्ण भौगोलिक इलाकों में तैनात रहते हैं. इसमें टैंक, इन्फैंट्री लड़ाकू वाहन और भारी बंदूकों का रखरखाव करना लद्दाख जैसी भौगौलिक स्थिति में चुनौती होती है.

सैन्य अधिकारी अरविंद कपूर

अरविंद कपूर ने कहा कि सेना की लॉजिस्टिक्स अरेंजमेंट अपनी-अपनी जगह पर हैं. सैन्य तैयारियों के हवाले से उन्होंने बताया कि जवानों को सर्दियों के अनुकूल कपड़े दिए गए हैं, उन्हें विषम हालातों के लिए प्रशिक्षण दिया गया है. उन्होंने कहा कि सेना ने हर तरह की ऑपरेशनल तैयारियां कर रखी हैं. उन्होंने कहा कि इनसे सैन्य टुकड़ी को रेडी टू फंक्शन रहने में मदद मिलेगी.

बकौल अरविंद कपूर, तैयारियों के बीच सबसे अहम सैनिकों का मनोबल और जोश है. उन्होंने कहा कि हालात विषम होने के बावजूद सेना पूरी तरह से तैयार है.

Last Updated : Sep 27, 2020, 4:02 PM IST
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