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राजीव गांधी के समय सुर्खियों में रहीं बल्दीबाई की बहू और पोती 'सिस्टम' की शिकार - Daughter-in-law and grand daughter of baldi bai die

छत्तीसगढ़ के गरियाबंद के कुल्हाड़ी घाट में कभी देश के प्रधानमंत्री राजीव गांधी खुद पहुंचे थे. वहां उन्होंने गांव की बल्दी बाई के घर कंदमूल भी खाए थे. उसी बल्दी बाई की बहू और पोती की निजी अस्पताल में प्रसव के दौरान मौत हो गई है. शासन की निःशुल्क चिकित्सा की किसी योजना का लाभ इस परिवार को नहीं मिल पाया है.

बल्दी बाई
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Published : Feb 10, 2021, 4:42 PM IST

रायपुर : कुल्हाड़ी घाट की महिला बल्दीबाई, जो राजीव गांधी के समय खासी चर्चा में रहीं, की बहु और पोती ने इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया. अब सवाल यह है कि जिस महिला के साथ फोटो खिंचाना कभी कांग्रेस और उनके नेताओं के लिए गौरव की बात रही हो वो आज क्यों गुमनामी में जी रही है.

बता दें कि शासन की निःशुल्क चिकित्सा की किसी योजना का लाभ इस परिवार को नहीं मिल पाया है. अब सवाल ये उठता है कि केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत और राज्य सरकार की स्मार्ट कार्ड जैसी योजनाएं अगर जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पा रही है, तो इनका मतलब क्या है. महज कागजों पर लिखी इन योजनाओं की जमीनी हकीकत कुछ और ही है.

बल्दी बाई की बहू और पोती की मौत

ऐसा माना जाता है कि बल्दीबाई के घर तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और सोनिया गांधी ने भी भोजन कर काफी सुर्खियां बटोरी थीं.

ऐसा नहीं है कि नेताओं को इस बात की जानकारी नहीं है. अपने दौरे के दौरान भूतपूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कुल्हाड़ीघाट को गोद लिया था. उसके बाद से कांग्रेस के कई दिग्गज नेता समय-समय पर यहां पहुंचते रहे. सभी ने बल्दीबाई के साथ फोटो खिंचवाई और हरसंभव मदद का आश्वासन देकर चलते बने. कांग्रेस के स्थानीय नेता भी बल्दीबाई की उपेक्षा होने की बात स्वीकार कर रहे हैं.

कांग्रेस शासनकाल की इंदिरा आवास योजना हो या फिर भाजपा शासनकाल की पीएम आवास योजना, दोनों ही योजनाओं की पात्रता रखने के बाद भी बल्दीबाई के परिवारवालों को कोई पूछ नहीं रहा.

अस्पताल का बिल चुकाने में हुई परेशानी

वहीं, अस्पताल का बिल चुकाने के लिए पैसे का इंतजाम करने में देरी के कारण अस्पताल में शव काफी देर तक पड़ा रहा. हालांकि, विशेष पिछड़ी जनजाति के लोगों ने परिवारवालों के साथ मिलकर शवों का अंतिम संस्कार किया.

बता दें कि धुर नक्सल प्रभावित और बीहड़ जंगलों वाले इलाके कुल्हाड़ी घाट में कभी देश के प्रधानमंत्री राजीव गांधी और सोनिया गांधी खुद पहुंचे थे. वहां उन्होंने गांव की बल्दीबाई के घर कंदमूल भी खाए थे. आज भी ये इलाका विकसित नहीं हो पाया है और न ही बल्दीबाई के परिवार की स्थिति में कोई सुधर आया है.

पढ़ें :- वो महिला जिसने राजीव गांधी और सोनिया को खिलाए थे कंदमूल, उसे सब गए 'भूल'

रायपुर : कुल्हाड़ी घाट की महिला बल्दीबाई, जो राजीव गांधी के समय खासी चर्चा में रहीं, की बहु और पोती ने इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया. अब सवाल यह है कि जिस महिला के साथ फोटो खिंचाना कभी कांग्रेस और उनके नेताओं के लिए गौरव की बात रही हो वो आज क्यों गुमनामी में जी रही है.

बता दें कि शासन की निःशुल्क चिकित्सा की किसी योजना का लाभ इस परिवार को नहीं मिल पाया है. अब सवाल ये उठता है कि केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत और राज्य सरकार की स्मार्ट कार्ड जैसी योजनाएं अगर जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पा रही है, तो इनका मतलब क्या है. महज कागजों पर लिखी इन योजनाओं की जमीनी हकीकत कुछ और ही है.

बल्दी बाई की बहू और पोती की मौत

ऐसा माना जाता है कि बल्दीबाई के घर तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और सोनिया गांधी ने भी भोजन कर काफी सुर्खियां बटोरी थीं.

ऐसा नहीं है कि नेताओं को इस बात की जानकारी नहीं है. अपने दौरे के दौरान भूतपूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कुल्हाड़ीघाट को गोद लिया था. उसके बाद से कांग्रेस के कई दिग्गज नेता समय-समय पर यहां पहुंचते रहे. सभी ने बल्दीबाई के साथ फोटो खिंचवाई और हरसंभव मदद का आश्वासन देकर चलते बने. कांग्रेस के स्थानीय नेता भी बल्दीबाई की उपेक्षा होने की बात स्वीकार कर रहे हैं.

कांग्रेस शासनकाल की इंदिरा आवास योजना हो या फिर भाजपा शासनकाल की पीएम आवास योजना, दोनों ही योजनाओं की पात्रता रखने के बाद भी बल्दीबाई के परिवारवालों को कोई पूछ नहीं रहा.

अस्पताल का बिल चुकाने में हुई परेशानी

वहीं, अस्पताल का बिल चुकाने के लिए पैसे का इंतजाम करने में देरी के कारण अस्पताल में शव काफी देर तक पड़ा रहा. हालांकि, विशेष पिछड़ी जनजाति के लोगों ने परिवारवालों के साथ मिलकर शवों का अंतिम संस्कार किया.

बता दें कि धुर नक्सल प्रभावित और बीहड़ जंगलों वाले इलाके कुल्हाड़ी घाट में कभी देश के प्रधानमंत्री राजीव गांधी और सोनिया गांधी खुद पहुंचे थे. वहां उन्होंने गांव की बल्दीबाई के घर कंदमूल भी खाए थे. आज भी ये इलाका विकसित नहीं हो पाया है और न ही बल्दीबाई के परिवार की स्थिति में कोई सुधर आया है.

पढ़ें :- वो महिला जिसने राजीव गांधी और सोनिया को खिलाए थे कंदमूल, उसे सब गए 'भूल'

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