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मणिपुर से जान बचा कर सिमडेगा पहुंचा 19 सदस्यीय परिवार, खौफनाक मंजर को याद कर कांप उठे परिवार के लोग

सिमडेगा में एक 19 सदस्यीय परिवार पहुंचा है. परिवार की हालत के साथ उसकी कहानी भी काफी दयनीय है. यह पूरा परिवार मणिपुर से भागकर आया है. परिवार की एक बहु कुकी समुदाय से आती है. मणिपुर में जारी हिंसा के बीच किसी तरह परिवार जान बचाकर सिमडेगा पहुंचा है. सिमडेगा से परिवार का एक नाता है.

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Published : Aug 2, 2023, 10:55 PM IST

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सिमडेगा: मणिपुर में हिंसा के कारण लोग मणिपुर छोड़ने को मजबूर हैं. सिमडेगा निवासी एक व्यक्ति भी मणिपुर छोड़कर वापस अपने पैतृक गांव आ गया है. वह अपने 19 सदस्यीय परिवार के साथ वापस लौटा है. ऐसे में उसे सभी को बरसात में सुरक्षित रखने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. दरअसल, उसकी बहु कुकी समाज की है. जिसे बचाने के लिए उसे मणिपुर में अपनी 50 वर्ष की बसी बसाई गृहस्थी छोड़ भाग कर सिमडेगा आना पड़ा.

यह भी पढ़ें: मणिपुर में जारी जातीय संघर्ष के बीच दो खाली घरों में लगाई गई आग

ये कहानी है जिले के गांव तुमड़ेगी गिरजा टोली पहुंचे सेलेस्टिन की. किसी तरह बच-बचाकर वे अपने परिवार के साथ गांव तो पहुंच गए. लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी समस्या अपने परिवार के इतने बड़े कुनबे को इस भरी बरसात में सुरक्षित रहने, सोने और खाने की व्यवस्था करना है.

पैसे कमाने की जुनून के साथ सिमडेगा का सेलेस्टिन महज 15 वर्ष की आयु में सन 1973 में अपने गांव के कुछ लोगों के साथ मणिपुर काम करने चले गए थे. फिर वे वहीं के होकर रह गए. वहीं उन्होंने स्थानीय युवती से शादी कर अपनी गृहस्थी भी बसा ली. वहां उनके 09 बच्चे भी हुए. सभी की परवरिश उन्होंने मणिपुर में ही की और सभी की शादी भी वहीं की स्थानीय लड़कियों से कर दी.

उनकी एक बहु कुकी समुदाय की: उनकी एक बहु लालरिंगमोई हमर कुकी समुदाय से हैं और एक आसामी और एक मणिपुरी हैं. अभी मणिपुर में सामाजिक विभाजन को लेकर कुकी और मैती समुदाय में हो रहे बवाल के दौरान सेलेस्टीन के मणिपुर स्थित घर के पास भी उपद्रवियों का उत्पात होने लगा. सेलेस्टीन का परिवार कैथोलिक धर्म का अनुयायी है और उनकी बहु कुकी समुदाय से आती हैं. इसलिए उपद्रव देख कर सेलेस्टिन का परिवार मैती समुदाय से डर गया.

सेलेस्टीन ने बताया कि जब उनके घर के पास बम फटने लगे. तब वे परिवार की सुरक्षा को लेकर ज्यादा चिंतित हो गए. इसके बाद उनके परिवार ने रात के अंधेरे में अपना घर बार सब छोड़ कर मणिपुर से भागकर अपनी जान बचायी. किसी तरह उन्होंने अपनी कुकी बहु को छिपाते हुए मणिपुर बॉर्डर पार किया और छिपते छिपाते किसी तरह सिमडेगा स्थित अपने पैतृक गांव तुमड़ेगी पहुंचे हैं.

उपद्रवियों ने जला दिया घर: सेलेस्टीन अब वापस मणिपुर जाने के नाम से भी कांप उठते हैं. उन्होंने बताया कि उनके परिवार ने जैसे हीं मणिपुर का घर छोड़ा उपद्रवियों ने उनके घर को जला दिया है. सेलेस्टीन ने बताया कि अचानक से वर्षो से छूटे अपने पैतृक गांव के घर लौटने के बाद उनके परिवार के सामने रहने, सोने और खाने की सबसे बड़ी समस्या बन गई. उन्होंने कहा कि उनके पुराने छोटे से मिट्टी के घर में 19 लोगों को एक साथ सिर छिपाना मुश्किल हो रहा था. तब उन्होंने अपने दो बेटे बहु के परिवार को सिमडेगा के क्रुस्केला में अपनी बहन पुष्पा के घर भेज दिया. बाकी सभी लोग तुमड़ेगी गिरजा टोली में हैं. सेलेस्टीन ने बताया कि इस बारिश में परिवार को जहरीले सांपों से सुरक्षित रखने का खतरा मंडरा रहा है. घर में परिवार के काफी सदस्य होने के कारण सोने के लिए खाट आदि की व्यवस्था नहीं हो पा रही है. जिस कारण परिवार के काफी सदस्य जमीन पर ही सो रहे हैं. जमीन पर सोने से सांप का खतरा ज्यादा बढ़ गया है.

केंद्र सरकार से लगाई गुहार: वहीं मणिपुर के खौफनाक मंजर को जेहन में समेटे पहली बार अपने ससुर के पैतृक गांव पहुंच सेलेस्टिन की बहु लालरिंगमोई हमर की आंखों में डर नजर आता है. हालांकि वह मणिपुर में रहने वाले अपने माता पिता से मिलने फिर से मणिपुर जाने की इच्छा तो रखती हैं. लेकिन वहां के माहौल को याद करते हुए वह अंदर तक कांप भी जाती हैं. उन्होंने केंद्र सरकार और मणिपुर सरकार से गुहार लगाई है कि मणिपुर के बवाल को शांत कराएं. जिससे वहां लोग शांति से रह सकें और उनके जैसे हजारों कुकी बेटियां बिना खौफ अपने माता पिता से मिलने जा सके.

जिला प्रशासन ने की मदद: सिमडेगा जिला प्रशासन को जैसे ही इस मामले की सूचना मिली उपायुक्त अजय कुमार सिंह के निर्देश पर बीडीओ अजय रजक तुमडेगी गांव पहुंचे. उन्होंने पीड़ित परिवार से मुलाकात की. जिसके बाद इस परिवार के सभी बच्चों का एडमिशन नजदीकी स्कूल में कराया गया है. साथ ही सोने के लिए खाट, मच्छरदानी, राशन आदि की व्यवस्था दी गई है. साथ ही हरसंभव मदद के लिए कोशिश की जा रही है.

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सिमडेगा: मणिपुर में हिंसा के कारण लोग मणिपुर छोड़ने को मजबूर हैं. सिमडेगा निवासी एक व्यक्ति भी मणिपुर छोड़कर वापस अपने पैतृक गांव आ गया है. वह अपने 19 सदस्यीय परिवार के साथ वापस लौटा है. ऐसे में उसे सभी को बरसात में सुरक्षित रखने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. दरअसल, उसकी बहु कुकी समाज की है. जिसे बचाने के लिए उसे मणिपुर में अपनी 50 वर्ष की बसी बसाई गृहस्थी छोड़ भाग कर सिमडेगा आना पड़ा.

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ये कहानी है जिले के गांव तुमड़ेगी गिरजा टोली पहुंचे सेलेस्टिन की. किसी तरह बच-बचाकर वे अपने परिवार के साथ गांव तो पहुंच गए. लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी समस्या अपने परिवार के इतने बड़े कुनबे को इस भरी बरसात में सुरक्षित रहने, सोने और खाने की व्यवस्था करना है.

पैसे कमाने की जुनून के साथ सिमडेगा का सेलेस्टिन महज 15 वर्ष की आयु में सन 1973 में अपने गांव के कुछ लोगों के साथ मणिपुर काम करने चले गए थे. फिर वे वहीं के होकर रह गए. वहीं उन्होंने स्थानीय युवती से शादी कर अपनी गृहस्थी भी बसा ली. वहां उनके 09 बच्चे भी हुए. सभी की परवरिश उन्होंने मणिपुर में ही की और सभी की शादी भी वहीं की स्थानीय लड़कियों से कर दी.

उनकी एक बहु कुकी समुदाय की: उनकी एक बहु लालरिंगमोई हमर कुकी समुदाय से हैं और एक आसामी और एक मणिपुरी हैं. अभी मणिपुर में सामाजिक विभाजन को लेकर कुकी और मैती समुदाय में हो रहे बवाल के दौरान सेलेस्टीन के मणिपुर स्थित घर के पास भी उपद्रवियों का उत्पात होने लगा. सेलेस्टीन का परिवार कैथोलिक धर्म का अनुयायी है और उनकी बहु कुकी समुदाय से आती हैं. इसलिए उपद्रव देख कर सेलेस्टिन का परिवार मैती समुदाय से डर गया.

सेलेस्टीन ने बताया कि जब उनके घर के पास बम फटने लगे. तब वे परिवार की सुरक्षा को लेकर ज्यादा चिंतित हो गए. इसके बाद उनके परिवार ने रात के अंधेरे में अपना घर बार सब छोड़ कर मणिपुर से भागकर अपनी जान बचायी. किसी तरह उन्होंने अपनी कुकी बहु को छिपाते हुए मणिपुर बॉर्डर पार किया और छिपते छिपाते किसी तरह सिमडेगा स्थित अपने पैतृक गांव तुमड़ेगी पहुंचे हैं.

उपद्रवियों ने जला दिया घर: सेलेस्टीन अब वापस मणिपुर जाने के नाम से भी कांप उठते हैं. उन्होंने बताया कि उनके परिवार ने जैसे हीं मणिपुर का घर छोड़ा उपद्रवियों ने उनके घर को जला दिया है. सेलेस्टीन ने बताया कि अचानक से वर्षो से छूटे अपने पैतृक गांव के घर लौटने के बाद उनके परिवार के सामने रहने, सोने और खाने की सबसे बड़ी समस्या बन गई. उन्होंने कहा कि उनके पुराने छोटे से मिट्टी के घर में 19 लोगों को एक साथ सिर छिपाना मुश्किल हो रहा था. तब उन्होंने अपने दो बेटे बहु के परिवार को सिमडेगा के क्रुस्केला में अपनी बहन पुष्पा के घर भेज दिया. बाकी सभी लोग तुमड़ेगी गिरजा टोली में हैं. सेलेस्टीन ने बताया कि इस बारिश में परिवार को जहरीले सांपों से सुरक्षित रखने का खतरा मंडरा रहा है. घर में परिवार के काफी सदस्य होने के कारण सोने के लिए खाट आदि की व्यवस्था नहीं हो पा रही है. जिस कारण परिवार के काफी सदस्य जमीन पर ही सो रहे हैं. जमीन पर सोने से सांप का खतरा ज्यादा बढ़ गया है.

केंद्र सरकार से लगाई गुहार: वहीं मणिपुर के खौफनाक मंजर को जेहन में समेटे पहली बार अपने ससुर के पैतृक गांव पहुंच सेलेस्टिन की बहु लालरिंगमोई हमर की आंखों में डर नजर आता है. हालांकि वह मणिपुर में रहने वाले अपने माता पिता से मिलने फिर से मणिपुर जाने की इच्छा तो रखती हैं. लेकिन वहां के माहौल को याद करते हुए वह अंदर तक कांप भी जाती हैं. उन्होंने केंद्र सरकार और मणिपुर सरकार से गुहार लगाई है कि मणिपुर के बवाल को शांत कराएं. जिससे वहां लोग शांति से रह सकें और उनके जैसे हजारों कुकी बेटियां बिना खौफ अपने माता पिता से मिलने जा सके.

जिला प्रशासन ने की मदद: सिमडेगा जिला प्रशासन को जैसे ही इस मामले की सूचना मिली उपायुक्त अजय कुमार सिंह के निर्देश पर बीडीओ अजय रजक तुमडेगी गांव पहुंचे. उन्होंने पीड़ित परिवार से मुलाकात की. जिसके बाद इस परिवार के सभी बच्चों का एडमिशन नजदीकी स्कूल में कराया गया है. साथ ही सोने के लिए खाट, मच्छरदानी, राशन आदि की व्यवस्था दी गई है. साथ ही हरसंभव मदद के लिए कोशिश की जा रही है.

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