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बालों को समय से पहले सफेद कर सकता है तनाव -

हमारा मानसिक स्वास्थ्य शरीर में कई बीमारियों का कारण बन सकता है, इस बारे में लगभग सभी लोग जानते हैं, लेकिन एक शोध में सामने आया है कि हद से ज्यादा तनाव होने पर समय से पहले काले बाल सफेद भी हो सकते हैं.

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बालों की समस्य
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Published : Oct 22, 2021, 2:38 PM IST

क्या आप जानते हैं की हद से ज्यादा तनाव आपके बालों में सफेदी का कारण बन सकता है! चिकित्सा वैज्ञानिक हमेशा से तनाव के शरीर पर पड़ने वाले नकारात्मक असर के बारें में बात करते आयें हैं. लेकिन कुछ माह पूर्व अमेरिकी वैज्ञानिकों ने अपनी एक नई रिसर्च के नतीजों में इस बात की पुष्टि की थी कि तनाव हमारे बालों को न सिर्फ सफेद कर सकता है बल्कि यदि तनाव पर नियंत्रण कर लिया जाय तो सफेद हुए बाल कुछ हद तक वापस काले भी हो सकते हैं।

क्या कहते हैं शोध के नतीजे

कोलम्बिया यूनिवर्सिटी इरविंग मेडिकल सेंटर के इस शोध में शोधकर्ताओं ने बताया है कि शरीर में मौजूद माइटोकॉन्ड्रिया को कोशिकाओं की ऊर्जा का स्त्रोत्र माना जाता है. लेकिन यदि व्यक्ति में तनाव हद से ज्यादा बढ़ने लगे तो उसकी कोशिकाओं की संरचना में बदलाव होने लगता है जिससे बालों के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले प्रोटीन भी प्रभावित होते हैं. जिसका नतीजा बालों में सफेदी के रूप में सामने आता हैं.

सभी जानते हैं की बालों के सफेद होने को बढ़ती उम्र से संबंधित माना जाता है. युवावस्था में शरीर की कोशिकाएं बालों में खास तरह के पिंगमेंट के निर्माण करती हैं. जिनकी वजह से बालों का रंग काला रहता हैं. इस पिगमेंट को मिलेनोसायट्स कहते हैं. लेकिन जैसे-जैसे व्यक्ति की उम्र बढ़ने लगती है उसमें मिलेनोसायट्स भी कम होने लगते हैं. इसलिए धीरे-धीरे बालों का रंग सफेद होने लगता है.

इस शोध के नतीजों के बारे में मुख्य शोधकर्ता पिकार्ड बताते हैं कि जब बालों का रंग बदलता है तो उनसे संबंधित लगभग 300 तरह के प्रोटीन में बदलाव नजर आता है. वे बताते है कि शोध में पाया गया है की जब तक बाल व्यक्ति की त्वचा से जुड़े होते हैं तब तक उन्हे शरीर में होने वाले लगभग सभी शारीरिक व मानसिक परिवर्तन प्रभावित करते हैं. विशेषकर तनाव की अवस्था में व्यक्ति के शरीर में स्ट्रेस हार्मोन रिलीज होता है, जो शरीर की कई प्रकार की क्रियाओं को प्रभावित करता है.

गौरतलब है की इस शोध में तनाव और बालों के बीच के संबंध को जांचने के लिए अध्धयन किया गया था. अध्धयन के दौरान रिसर्च में शामिल लोगों को नियमित डायरी लिखने के लिए कहा गया, साथ ही उनसे उन्हे तनाव देने वाली बातों तथा उनमें तनाव की स्तिथि जाँचने के लिए सवाल-जवाब किए गए. शोध में रोज लिखी जाने वाली डायरी से समझा गया कि कौन शख्स अधिक तनाव में रहा. इस दौरान इन प्रतिभागियों के बालों के सैंपल लेकर उनके बालों में पिंगमेंट की मात्रा जानने का प्रयास किया गया. जांच के नतीजों में हद से ज्यादा तनाव के चलते बालों में सफेदी बढ़ने की पुष्टि हुई. वहीं शोध में यह भी सामने आया की जिन लोगों के बाल तनाव के चलते सफेद हो गए थे उनमें से कुछ के बाल तनाव कम होने पर वापस काले होने भी शुरू हो गए थे. लेकिन शोध विज्ञानियों का मानना है की जरूरी नही है की ऐसा सभी के साथ हो.

ETV भारत सुखीभवा के साथ बात करते हुए डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. शिखा सीसोदिया ने भी शोध के इस निष्कर्ष का समर्थन किया कि तनाव के कारण समय से पहले बालों में सफेदी आ सकती है. वह बताती हैं कि हमारा शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य हमारे बालों के स्वास्थ्य को काफी प्रभावित करता हैं. विशेषतौर पर पौष्टिक आहार की कमी, हद से ज्यादा तनाव, बालों पर ज्यादा रसायनों का प्रयोग तथा किसी बीमारी या कुछ मामलों मे उसके इलाज के दौरान दी जाने वाली दवाइयां और थेरेपियां भी बालों के टूटने तथा उनके समय से पहले सफेद होने का कारण बन सकती हैं.

पढ़ें: तेल मालिश से बनते हैं बाल सुन्दर, स्वस्थ और मजबूत

क्या आप जानते हैं की हद से ज्यादा तनाव आपके बालों में सफेदी का कारण बन सकता है! चिकित्सा वैज्ञानिक हमेशा से तनाव के शरीर पर पड़ने वाले नकारात्मक असर के बारें में बात करते आयें हैं. लेकिन कुछ माह पूर्व अमेरिकी वैज्ञानिकों ने अपनी एक नई रिसर्च के नतीजों में इस बात की पुष्टि की थी कि तनाव हमारे बालों को न सिर्फ सफेद कर सकता है बल्कि यदि तनाव पर नियंत्रण कर लिया जाय तो सफेद हुए बाल कुछ हद तक वापस काले भी हो सकते हैं।

क्या कहते हैं शोध के नतीजे

कोलम्बिया यूनिवर्सिटी इरविंग मेडिकल सेंटर के इस शोध में शोधकर्ताओं ने बताया है कि शरीर में मौजूद माइटोकॉन्ड्रिया को कोशिकाओं की ऊर्जा का स्त्रोत्र माना जाता है. लेकिन यदि व्यक्ति में तनाव हद से ज्यादा बढ़ने लगे तो उसकी कोशिकाओं की संरचना में बदलाव होने लगता है जिससे बालों के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले प्रोटीन भी प्रभावित होते हैं. जिसका नतीजा बालों में सफेदी के रूप में सामने आता हैं.

सभी जानते हैं की बालों के सफेद होने को बढ़ती उम्र से संबंधित माना जाता है. युवावस्था में शरीर की कोशिकाएं बालों में खास तरह के पिंगमेंट के निर्माण करती हैं. जिनकी वजह से बालों का रंग काला रहता हैं. इस पिगमेंट को मिलेनोसायट्स कहते हैं. लेकिन जैसे-जैसे व्यक्ति की उम्र बढ़ने लगती है उसमें मिलेनोसायट्स भी कम होने लगते हैं. इसलिए धीरे-धीरे बालों का रंग सफेद होने लगता है.

इस शोध के नतीजों के बारे में मुख्य शोधकर्ता पिकार्ड बताते हैं कि जब बालों का रंग बदलता है तो उनसे संबंधित लगभग 300 तरह के प्रोटीन में बदलाव नजर आता है. वे बताते है कि शोध में पाया गया है की जब तक बाल व्यक्ति की त्वचा से जुड़े होते हैं तब तक उन्हे शरीर में होने वाले लगभग सभी शारीरिक व मानसिक परिवर्तन प्रभावित करते हैं. विशेषकर तनाव की अवस्था में व्यक्ति के शरीर में स्ट्रेस हार्मोन रिलीज होता है, जो शरीर की कई प्रकार की क्रियाओं को प्रभावित करता है.

गौरतलब है की इस शोध में तनाव और बालों के बीच के संबंध को जांचने के लिए अध्धयन किया गया था. अध्धयन के दौरान रिसर्च में शामिल लोगों को नियमित डायरी लिखने के लिए कहा गया, साथ ही उनसे उन्हे तनाव देने वाली बातों तथा उनमें तनाव की स्तिथि जाँचने के लिए सवाल-जवाब किए गए. शोध में रोज लिखी जाने वाली डायरी से समझा गया कि कौन शख्स अधिक तनाव में रहा. इस दौरान इन प्रतिभागियों के बालों के सैंपल लेकर उनके बालों में पिंगमेंट की मात्रा जानने का प्रयास किया गया. जांच के नतीजों में हद से ज्यादा तनाव के चलते बालों में सफेदी बढ़ने की पुष्टि हुई. वहीं शोध में यह भी सामने आया की जिन लोगों के बाल तनाव के चलते सफेद हो गए थे उनमें से कुछ के बाल तनाव कम होने पर वापस काले होने भी शुरू हो गए थे. लेकिन शोध विज्ञानियों का मानना है की जरूरी नही है की ऐसा सभी के साथ हो.

ETV भारत सुखीभवा के साथ बात करते हुए डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. शिखा सीसोदिया ने भी शोध के इस निष्कर्ष का समर्थन किया कि तनाव के कारण समय से पहले बालों में सफेदी आ सकती है. वह बताती हैं कि हमारा शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य हमारे बालों के स्वास्थ्य को काफी प्रभावित करता हैं. विशेषतौर पर पौष्टिक आहार की कमी, हद से ज्यादा तनाव, बालों पर ज्यादा रसायनों का प्रयोग तथा किसी बीमारी या कुछ मामलों मे उसके इलाज के दौरान दी जाने वाली दवाइयां और थेरेपियां भी बालों के टूटने तथा उनके समय से पहले सफेद होने का कारण बन सकती हैं.

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