ETV Bharat / state

कोरोना के खौफ के चलते बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे अभिभावक, छात्रों की  संख्या 40% से भी कम - अभिभावक बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे

प्रदेश सरकार के निर्णय के बाद जहां जिला भर में स्कूल कॉलेजों को खोलने का निर्णय लिया गया है. लेकिन जिला में करुणा के लगातार आ रहे मामलों के बाद अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं है. 2 नवंबर से खुले स्कूल कॉलेजों में बच्चों के आने की संख्या 40% से भी कम है.

Breaking News
author img

By

Published : Nov 3, 2020, 1:42 PM IST

ऊना: कोरोना के खौफ के चलते बच्चों को स्कूल भेजने के लिए अभिभावक तैयार नहीं है. 2 नवंबर से प्रदेश भर में स्कूल खुल गए हैं, लेकिन जिला भर में आ रहे मामलों के बाद अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं.

प्रदेश सरकार के निर्णय के बाद जहां जिला भर में स्कूल कॉलेजों को खोलने का निर्णय लिया गया है. लेकिन जिला में करुणा के लगातार आ रहे मामलों के बाद अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं है. 2 नवंबर से खुले स्कूल कॉलेजों में बच्चों के आने की संख्या 40% से भी कम है. ऐसे में चाहे सरकारी हो या निजी स्कूल अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने से कतरा रहे हैं.

रविवार को जिला के एक निजी स्कूल से 28 शिक्षकों की कोविड-19 टेस्टिंग के लिए सेंपलिंग की गई थी. इनमें 4 शिक्षकों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई थी. जिला के ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में कुछ एक बच्चे ही शिक्षण कार्य के लिए पहुंचे थे, लेकिन सरकार की ओर से बच्चों को स्कूल भेजने का फैसला अभिभावकों पर छोड़े जाने के बाद अधिकतर अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं हैं.

सरकार और शिक्षा विभाग ने छात्रों को स्कूल आने की अनुमति दे दी है, लेकिन इसके लिए उन्होंने एक बार फिर फैसला बच्चों के अभिभावकों पर छोड़ते हुए पल्ला झाड़ने की कोशिश भी की है. इसके तहत अभिभावक अपने रिस्क पर अपने बच्चों को स्कूल भेज सकेंगे. सरकार के इस कदम के साथ ही बच्चों को स्कूल आने के लिए हरी झंडी तो दिखा दी है, लेकिन देशभर में शुरू हो चुकी कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच अभिभावकों ने अपने बच्चों के लिए स्कूलों को लेकर रेड सिग्नल शो कर दिया है. जिन कक्षाओं में बच्चों की संख्या ज्यादा है. उनमें प्रतिशतता के आधार पर ही बच्चों को स्कूल बुलाया जा रहा है.

कक्षाओं में बच्चों को सोशल डिस्टेंसिंग के साथ बिठाया जा रहा है. जो बच्चे बिना मास्क स्कूल आएंगे उनके लिए स्कूलों में ही मास्क उपलब्ध कराए जा रहे हैं. जबकि स्कूल कैंपस में जगह-जगह सैनिटाइजर भी रखा गया है. क्लासरूम नियमित रूप से सेनीटाइज किए जा रहे हैं. ताकि संक्रमण के प्रसार को किसी भी हद तक रोका जा सके. स्कूल प्रबंधकों का कहना है कि सरकार द्वारा स्कूलों को खोलने का फैसला लिए जाने के बावजूद अभिभावक अभी तक बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे हैं. बेहद कम बच्चे पहले दिन स्कूल पहुंचे हैं.

इस पर उप निदेशक उच्च शिक्षा ऊना पीसी राणा ने बताया कि सरकार द्वारा स्कूल या कॉलेज खोलने का निर्णय लिया गया है. इस साल काफी कम बच्चे स्कूलों में पहुंच रहे हैं. उन्होंने कहा कि छात्रों को स्कूलों में करुणा नियमों के प्रति पूरी तरह से जागरूक किया जा रहा है. इसके अलावा अन्य नियमों का अनुपालन भी सही प्रकार से हो रहा. हालांकि शुरुआती दौर में बच्चों के स्कूल पहुंचने की संख्या काफी कम है.

ये भी पढ़ें- सीएम के हरोली दौरे की तैयारियां पूरी, कई योजनाओं का करेंगे शिलान्यास-उद्घाटन

ऊना: कोरोना के खौफ के चलते बच्चों को स्कूल भेजने के लिए अभिभावक तैयार नहीं है. 2 नवंबर से प्रदेश भर में स्कूल खुल गए हैं, लेकिन जिला भर में आ रहे मामलों के बाद अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं.

प्रदेश सरकार के निर्णय के बाद जहां जिला भर में स्कूल कॉलेजों को खोलने का निर्णय लिया गया है. लेकिन जिला में करुणा के लगातार आ रहे मामलों के बाद अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं है. 2 नवंबर से खुले स्कूल कॉलेजों में बच्चों के आने की संख्या 40% से भी कम है. ऐसे में चाहे सरकारी हो या निजी स्कूल अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने से कतरा रहे हैं.

रविवार को जिला के एक निजी स्कूल से 28 शिक्षकों की कोविड-19 टेस्टिंग के लिए सेंपलिंग की गई थी. इनमें 4 शिक्षकों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई थी. जिला के ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में कुछ एक बच्चे ही शिक्षण कार्य के लिए पहुंचे थे, लेकिन सरकार की ओर से बच्चों को स्कूल भेजने का फैसला अभिभावकों पर छोड़े जाने के बाद अधिकतर अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं हैं.

सरकार और शिक्षा विभाग ने छात्रों को स्कूल आने की अनुमति दे दी है, लेकिन इसके लिए उन्होंने एक बार फिर फैसला बच्चों के अभिभावकों पर छोड़ते हुए पल्ला झाड़ने की कोशिश भी की है. इसके तहत अभिभावक अपने रिस्क पर अपने बच्चों को स्कूल भेज सकेंगे. सरकार के इस कदम के साथ ही बच्चों को स्कूल आने के लिए हरी झंडी तो दिखा दी है, लेकिन देशभर में शुरू हो चुकी कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच अभिभावकों ने अपने बच्चों के लिए स्कूलों को लेकर रेड सिग्नल शो कर दिया है. जिन कक्षाओं में बच्चों की संख्या ज्यादा है. उनमें प्रतिशतता के आधार पर ही बच्चों को स्कूल बुलाया जा रहा है.

कक्षाओं में बच्चों को सोशल डिस्टेंसिंग के साथ बिठाया जा रहा है. जो बच्चे बिना मास्क स्कूल आएंगे उनके लिए स्कूलों में ही मास्क उपलब्ध कराए जा रहे हैं. जबकि स्कूल कैंपस में जगह-जगह सैनिटाइजर भी रखा गया है. क्लासरूम नियमित रूप से सेनीटाइज किए जा रहे हैं. ताकि संक्रमण के प्रसार को किसी भी हद तक रोका जा सके. स्कूल प्रबंधकों का कहना है कि सरकार द्वारा स्कूलों को खोलने का फैसला लिए जाने के बावजूद अभिभावक अभी तक बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे हैं. बेहद कम बच्चे पहले दिन स्कूल पहुंचे हैं.

इस पर उप निदेशक उच्च शिक्षा ऊना पीसी राणा ने बताया कि सरकार द्वारा स्कूल या कॉलेज खोलने का निर्णय लिया गया है. इस साल काफी कम बच्चे स्कूलों में पहुंच रहे हैं. उन्होंने कहा कि छात्रों को स्कूलों में करुणा नियमों के प्रति पूरी तरह से जागरूक किया जा रहा है. इसके अलावा अन्य नियमों का अनुपालन भी सही प्रकार से हो रहा. हालांकि शुरुआती दौर में बच्चों के स्कूल पहुंचने की संख्या काफी कम है.

ये भी पढ़ें- सीएम के हरोली दौरे की तैयारियां पूरी, कई योजनाओं का करेंगे शिलान्यास-उद्घाटन

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.