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एक दिन में 500 श्रद्धालु ही कर पाएंगे मां चिंतपूर्णी के दर्शन, आवश्यक दिशा-निर्देश जारी

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Published : Sep 9, 2020, 12:56 PM IST

10 सितंबर से मां चिंतपूर्णी मंदिर को खोलने की तैयारियों के बीच जिला प्रशासन ने आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं. मंदिर खुलने के बाद कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए श्रद्धालुओं से लेकर दुकानदारों तक के लिए एसओपी जारी किए गए हैं.

Chintpurni Temple
चिंतपूर्णी मंदिर

ऊना: कोरोना महामारी के बीच 10 सितंबर से मां चिंतपूर्णी मंदिर को खोलने की तैयारियों के बीच जिला प्रशासन ने आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं. मंदिर खुलने के बाद कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए श्रद्धालुओं से लेकर दुकानदारों तक के लिए एसओपी जारी किए गए हैं.

दिशा-निर्देशों के मुताबिक चिंतपूर्णी मंदिर में प्रतिदिन 500 श्रद्धालुओं को ही दर्शनों की अनुमति होगी. चिकित्सीय परीक्षण के बाद केवल एसिम्टोमैटिक श्रद्धालु ही मंदिर परिसर में जा सकेंगे. साथ ही फ्लू के लक्षणों वाले श्रद्धालुओं को अस्पताल में आइसोलेट किया जाएगा और उनकी कोविड-19 टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आने पर ही मंदिर के अंदर जाने की अनुमति दी जाएगी.

वीडियो.

सभी श्रद्धालुओं को अनिवार्य रूप से आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड करनी होगी. श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य संबंधी परीक्षण के लिए उन्हें नए बस अड्डा के समीप चिंतपूर्णी सदन अथवा प्राधिकृत क्षेत्र में पंजीकरण एवं चिकित्सीय परीक्षण के लिए संपर्क करना होगा.

इसके अलावा भी श्रद्धालुओं को कोविड प्रोटोकॉल को मानना होगा और सामाजिक दूरी, मास्क का इस्तेमाल एवं हाथों को सेनिटाइज करना आवश्यक होगा. श्रद्धालुओं को मंदिर परिसर में गेट एक व दो के माध्यम से निर्धारित सामाजिक दूरी अपनाते हुए भेजा जाएगा, जहां तक संभव हो जूतों को गाड़ी में ही उतारना होगा. जरूरत पड़ने पर पुराना बस अड्डा के पास जूते रखने के स्थान को इस्तेमाल में लाया जा सकता है.

श्रद्धालुओं को मंदिर में जाते समय पंक्ति में हर समय 6 फीट की सामाजिक दूरी बनाए रखनी होगी. मंदिर परिसर में प्रवेश करने से पहले हाथ और पैर साबुन से धोने होंगे. इसके लिए जगदंबा ढाबा, मंगत राम की दुकान के पास व पुराना बस अड्डा के पास व्यवस्था की गई है.

मंदिर के अंदर श्रद्धालुओं का मूर्तियों, धार्मिक किताबों, घंटियों इत्यादि को छूना वर्जित रहेगा. भीड़ का इकट्ठा होना पहले की तरह वर्जित रहेगा. ढोल नगाड़ों युक्त गायन दलों के आने पर भी मनाही रहेगी. मंदिर में प्रसाद व पवित्र जल का वितरण भी नहीं होगा.

बाहरी राज्यों से आने वाले हर श्रद्धालु के लिए न्यूनतम दो रातों की वैध बुकिंग के साथ प्रदेश के बॉर्डर पर प्रवेश करने से 96 घंटे पहले प्राधिकृत लैब द्वारा जारी कोविड-19 की निगेटिव रिपोर्ट होनी चाहिए. दिशा-निर्देशों के मुताबिक 60 साल से अधिक आयु के लोगों, गंभीर बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों, गर्भवती महिलाओं और 10 साल से कम आयु के बच्चों को अपने घरों में रहने की सलाह दी जाती है.

पुजारियों के लिए एसओपी

उपायुक्त ऊना और मंदिर आयुक्त संदीप कुमार ने कहा कि पुजारी श्रद्धालुओं को न तो प्रसाद वितरित करेंगे और न ही मौली बांधेंगे. किसी एक श्रद्धालु या श्रद्धालुओं के समूह के लिए पूजा अर्चना भी नहीं की जाएगी. कन्या पूजन और हवन आयोजन पर भी पूर्ण प्रतिबंध रहेगा. पुजारियों को भी कोरोना संक्रमण के लिए निर्धारित हिदायतों की अनुपालना सुनिश्चित करनी होगी. गर्भगृह में एक समय पर केवल दो पुजारियों को ही बैठने की अनुमति रहेगी.

चिंतपूर्णी सदन के लिए एसओपी

डीसी ने बताया कि चिंतपूर्णी सदन में श्रद्धालु पंजीकरण के लिए संपर्क करेंगे. इसके लिए पंजीकरण और चिकित्सीय परीक्षण के लिए समुचित काउंटरों की व्यवस्था होगी. वहां ड्यूटी पर तैनात स्टाफ के लिए उचित मात्रा में सुरक्षा सामाग्री की व्यवस्था रहेगी. साथ ही निर्धारित मापदंडों की अनुपालना भी सुनिश्चित करनी होगी.

बीएमओ के साथ परामर्श करके आइसोलेशन कक्ष बनाया जाएगा और मुंडन संस्कार के लिए स्थान चिन्हित किया जाएगा. बाथरूम अथवा टॉयलेट सहित संपूर्ण परिसर को नियमित अंतराल पर सेनिटाइज करना होगा. निर्धारित सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए फर्श पर निशान बनाए जाएंगे.

मुंडन संस्कार के लिए एसओपी

मुंडन संस्कार मंदिर परिसर में नहीं किया जाएगा. यह चिंतपूर्णी सदन में चिन्हित स्थल पर ही किया जाएगा. नाई प्रशासन द्वारा पूर्व में जारी हिदायतों के अनुरूप बाल काटेंगे. साथ ही कटे हुए बाल और अन्य सामग्री कूड़ेदान में एकत्रित करके सफाई कर्मियों को सौंपनी होगी.

दुकानदारों के लिए दिशा-निर्देश

डीसी ने कहा कि दुकानदार व होटल मालिकों को सुनिश्चित करना होगा कि उनके स्टाफ और आगंतुकों द्वारा फेस कवर का प्रयोग, हाथों को धोना, सामाजिक दूरी जैसी हिदायतों की अनुपालना हो रही है. निर्धारित सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए फर्श पर निशान बनाने होंगे और कोई भी दुकानदार दुकान से बाहर विक्रय सामाग्री नहीं रखेगा. उल्लंघन करने वाले की दुकान तीन दिन के लिए बंद कर दी जाएगी.

सफाई व्यवस्था में लगे स्टाफ के लिए एसओपी

मंदिर आयुक्त ने कहा कि सफाई कर्मचारी निर्धारित वर्दी पहनेंगे. सेवा प्रदाता समय-समय पर स्वच्छता सुनिश्चित करेगा और दिन में तीन बार क्षेत्र की सफाई करवाएगा. एकत्र किए गए कचरे का निपटारा किया जाएगा. कर्मचारी व्यक्तिगत स्वच्छता और सुरक्षा का ध्यान रखेंगे. हाथ-पैर धोने के क्षेत्रों, रेलिंग, दरवाजों की नॉब वगैरह की निर्धारित समय पर प्रभावी ढंग से कीटाणुनाशक के माध्यम से सेनिटाइजेशन सुनिश्चित करना होगा.

डीसी संदीप कुमार ने कहा कि श्रद्धालु शंभू बैरियर की ओर से गेट नंबर 1 व 2 और मुख्य बाजार से आते हुए चिंतपूर्णी सदन से प्रवेश करेंगे. तीर्थयात्री नए बस स्टैंड और चिंतपूर्णी सदन के पास पार्किंग स्थानों का उपयोग कर सकते हैं.

लिफ्ट के प्रयोग से संबंधित दिशा-निर्देश

जिलाधीश ऊना ने कहा कि लिफ्ट का प्रयोग वर्जित रहेगा. इससे निर्धारित सामाजिक दूरी बनाए रखना मुश्किल है. दिव्यांगों के लिए लिफ्ट का परिचालन किया जा सकता है, लेकिन प्रयोग के समय केवल एक व्यक्ति को ही अनुमति दी जाएगी. लिफ्ट के अंदर किसी भी कर्मचारी को बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी.

ये भी पढ़ें: मंदिर खोलने के फैसले का पुजारी वर्ग ने किया स्वागत, श्रद्धालुओं से की नियमों का पालन करने की अपील

ऊना: कोरोना महामारी के बीच 10 सितंबर से मां चिंतपूर्णी मंदिर को खोलने की तैयारियों के बीच जिला प्रशासन ने आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं. मंदिर खुलने के बाद कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए श्रद्धालुओं से लेकर दुकानदारों तक के लिए एसओपी जारी किए गए हैं.

दिशा-निर्देशों के मुताबिक चिंतपूर्णी मंदिर में प्रतिदिन 500 श्रद्धालुओं को ही दर्शनों की अनुमति होगी. चिकित्सीय परीक्षण के बाद केवल एसिम्टोमैटिक श्रद्धालु ही मंदिर परिसर में जा सकेंगे. साथ ही फ्लू के लक्षणों वाले श्रद्धालुओं को अस्पताल में आइसोलेट किया जाएगा और उनकी कोविड-19 टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आने पर ही मंदिर के अंदर जाने की अनुमति दी जाएगी.

वीडियो.

सभी श्रद्धालुओं को अनिवार्य रूप से आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड करनी होगी. श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य संबंधी परीक्षण के लिए उन्हें नए बस अड्डा के समीप चिंतपूर्णी सदन अथवा प्राधिकृत क्षेत्र में पंजीकरण एवं चिकित्सीय परीक्षण के लिए संपर्क करना होगा.

इसके अलावा भी श्रद्धालुओं को कोविड प्रोटोकॉल को मानना होगा और सामाजिक दूरी, मास्क का इस्तेमाल एवं हाथों को सेनिटाइज करना आवश्यक होगा. श्रद्धालुओं को मंदिर परिसर में गेट एक व दो के माध्यम से निर्धारित सामाजिक दूरी अपनाते हुए भेजा जाएगा, जहां तक संभव हो जूतों को गाड़ी में ही उतारना होगा. जरूरत पड़ने पर पुराना बस अड्डा के पास जूते रखने के स्थान को इस्तेमाल में लाया जा सकता है.

श्रद्धालुओं को मंदिर में जाते समय पंक्ति में हर समय 6 फीट की सामाजिक दूरी बनाए रखनी होगी. मंदिर परिसर में प्रवेश करने से पहले हाथ और पैर साबुन से धोने होंगे. इसके लिए जगदंबा ढाबा, मंगत राम की दुकान के पास व पुराना बस अड्डा के पास व्यवस्था की गई है.

मंदिर के अंदर श्रद्धालुओं का मूर्तियों, धार्मिक किताबों, घंटियों इत्यादि को छूना वर्जित रहेगा. भीड़ का इकट्ठा होना पहले की तरह वर्जित रहेगा. ढोल नगाड़ों युक्त गायन दलों के आने पर भी मनाही रहेगी. मंदिर में प्रसाद व पवित्र जल का वितरण भी नहीं होगा.

बाहरी राज्यों से आने वाले हर श्रद्धालु के लिए न्यूनतम दो रातों की वैध बुकिंग के साथ प्रदेश के बॉर्डर पर प्रवेश करने से 96 घंटे पहले प्राधिकृत लैब द्वारा जारी कोविड-19 की निगेटिव रिपोर्ट होनी चाहिए. दिशा-निर्देशों के मुताबिक 60 साल से अधिक आयु के लोगों, गंभीर बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों, गर्भवती महिलाओं और 10 साल से कम आयु के बच्चों को अपने घरों में रहने की सलाह दी जाती है.

पुजारियों के लिए एसओपी

उपायुक्त ऊना और मंदिर आयुक्त संदीप कुमार ने कहा कि पुजारी श्रद्धालुओं को न तो प्रसाद वितरित करेंगे और न ही मौली बांधेंगे. किसी एक श्रद्धालु या श्रद्धालुओं के समूह के लिए पूजा अर्चना भी नहीं की जाएगी. कन्या पूजन और हवन आयोजन पर भी पूर्ण प्रतिबंध रहेगा. पुजारियों को भी कोरोना संक्रमण के लिए निर्धारित हिदायतों की अनुपालना सुनिश्चित करनी होगी. गर्भगृह में एक समय पर केवल दो पुजारियों को ही बैठने की अनुमति रहेगी.

चिंतपूर्णी सदन के लिए एसओपी

डीसी ने बताया कि चिंतपूर्णी सदन में श्रद्धालु पंजीकरण के लिए संपर्क करेंगे. इसके लिए पंजीकरण और चिकित्सीय परीक्षण के लिए समुचित काउंटरों की व्यवस्था होगी. वहां ड्यूटी पर तैनात स्टाफ के लिए उचित मात्रा में सुरक्षा सामाग्री की व्यवस्था रहेगी. साथ ही निर्धारित मापदंडों की अनुपालना भी सुनिश्चित करनी होगी.

बीएमओ के साथ परामर्श करके आइसोलेशन कक्ष बनाया जाएगा और मुंडन संस्कार के लिए स्थान चिन्हित किया जाएगा. बाथरूम अथवा टॉयलेट सहित संपूर्ण परिसर को नियमित अंतराल पर सेनिटाइज करना होगा. निर्धारित सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए फर्श पर निशान बनाए जाएंगे.

मुंडन संस्कार के लिए एसओपी

मुंडन संस्कार मंदिर परिसर में नहीं किया जाएगा. यह चिंतपूर्णी सदन में चिन्हित स्थल पर ही किया जाएगा. नाई प्रशासन द्वारा पूर्व में जारी हिदायतों के अनुरूप बाल काटेंगे. साथ ही कटे हुए बाल और अन्य सामग्री कूड़ेदान में एकत्रित करके सफाई कर्मियों को सौंपनी होगी.

दुकानदारों के लिए दिशा-निर्देश

डीसी ने कहा कि दुकानदार व होटल मालिकों को सुनिश्चित करना होगा कि उनके स्टाफ और आगंतुकों द्वारा फेस कवर का प्रयोग, हाथों को धोना, सामाजिक दूरी जैसी हिदायतों की अनुपालना हो रही है. निर्धारित सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए फर्श पर निशान बनाने होंगे और कोई भी दुकानदार दुकान से बाहर विक्रय सामाग्री नहीं रखेगा. उल्लंघन करने वाले की दुकान तीन दिन के लिए बंद कर दी जाएगी.

सफाई व्यवस्था में लगे स्टाफ के लिए एसओपी

मंदिर आयुक्त ने कहा कि सफाई कर्मचारी निर्धारित वर्दी पहनेंगे. सेवा प्रदाता समय-समय पर स्वच्छता सुनिश्चित करेगा और दिन में तीन बार क्षेत्र की सफाई करवाएगा. एकत्र किए गए कचरे का निपटारा किया जाएगा. कर्मचारी व्यक्तिगत स्वच्छता और सुरक्षा का ध्यान रखेंगे. हाथ-पैर धोने के क्षेत्रों, रेलिंग, दरवाजों की नॉब वगैरह की निर्धारित समय पर प्रभावी ढंग से कीटाणुनाशक के माध्यम से सेनिटाइजेशन सुनिश्चित करना होगा.

डीसी संदीप कुमार ने कहा कि श्रद्धालु शंभू बैरियर की ओर से गेट नंबर 1 व 2 और मुख्य बाजार से आते हुए चिंतपूर्णी सदन से प्रवेश करेंगे. तीर्थयात्री नए बस स्टैंड और चिंतपूर्णी सदन के पास पार्किंग स्थानों का उपयोग कर सकते हैं.

लिफ्ट के प्रयोग से संबंधित दिशा-निर्देश

जिलाधीश ऊना ने कहा कि लिफ्ट का प्रयोग वर्जित रहेगा. इससे निर्धारित सामाजिक दूरी बनाए रखना मुश्किल है. दिव्यांगों के लिए लिफ्ट का परिचालन किया जा सकता है, लेकिन प्रयोग के समय केवल एक व्यक्ति को ही अनुमति दी जाएगी. लिफ्ट के अंदर किसी भी कर्मचारी को बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी.

ये भी पढ़ें: मंदिर खोलने के फैसले का पुजारी वर्ग ने किया स्वागत, श्रद्धालुओं से की नियमों का पालन करने की अपील

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