ऊना: जिला के छात्रों ने किसानों के समय की बचत और पानी की बर्बादी को रोकने के लिए एक मॉडल तैयार किया है. यह मॉडल सीबीएसई की राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली विज्ञान प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया जाएगा. इस मॉडल के प्रयोग से किसान कहीं से भी सिर्फ एक मोबाइल कॉल के माध्यम से खेतों में सिंचाई के लिए पानी को छोड़ व बंद कर सकते हैं.
ऊना के जेएस विजडम स्कूल के आठवीं कक्षा के लक्ष्य और गुरमन प्रीत कौर ने इस मॉडल को तैयार किया है. हाल ही में पंचकूला में आयोजित हुई सीबीएसई की क्षेत्रीय विज्ञान प्रदर्शनी में इस मॉडल को प्रदर्शित किया गया था. जिसमें राष्ट्रीय स्तर के लिए इस मॉडल का चयन हुआ है.
बता दें कि केंद्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार देश के 255 ब्लॉक में पानी का स्तर नीचे जा रहा है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार ऊना जिला में एक दशक में भू-जल स्तर लगभग 2 मीटर नीचे गया है, जो कि बेहद गंभीर स्थिति है. इसका मुख्य कारण पानी की बर्बादी है. ऊना जिला में ही जमीन के नीचे मौजूद पानी से 148 प्रतिशत ज्यादा प्रयोग हो रहा है. इस चिंताजनक स्थिति से निपटने के लिए ऊना के छात्रों की ओर से तैयार किया गया मॉडल कारगर साबित हो सकता है.
गौर हो कि पंचकूला में आयोजित प्रतियोगिता में हिमाचल और हरियाणा के करीब 65 स्कूलों से विभिन्न श्रेणियों के 132 मॉडल प्रदर्शित किए गए थे. इसी प्रतियोगिता के तहत ऊना के लक्ष्य और गुरमन प्रीत के मॉडल को सीबीएसई की राष्ट्रीय विज्ञान प्रदर्शनी के लिए चयनित किया गया है. इस मॉडल को बनाने वाले लक्ष्य शर्मा ने बताया कि इस मॉडल में लगाए गए सेंसर की मदद से किसान देश दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर मात्र एक फोन कॉल के जरिए खेतों में पानी को चला और बंद कर सकते है.
छात्रों की माने तो देश में बढ़ रही पानी की किल्लत को लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जलशक्ति अभियान का भी आगाज किया है और यह मॉडल इस दिशा में अहम भूमिका निभा सकता है. छात्रों का कहना है कि इस मॉडल के जरिए सिर्फ पानी की बर्बादी ही नहीं बल्कि किसानों के समय और बिजली की भी बचत होगी.
वहीं, स्कूल के प्रबंधक निदेशक सुनील चौधरी ने कहा कि उनके स्कूल और प्रदेश के लिए यह गर्व की बात है. उन्होंने कहा कि आज देश में भू-जल स्तर बहुत नीचे जा रहा है और यह मॉडल इस समस्या से निपटने के लिए कारगर साबित हो सकता है.