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ऊना के नन्हे वैज्ञानिकों ने तैयार किया मॉडल, एक फोन कॉल से पानी छोड़ और बंद कर सकेंगे किसान - सीबीएसई की राष्ट्रीय विज्ञान प्रदर्शनी

आठवीं कक्षा के लक्ष्य और गुरमन प्रीत कौर ने किसानों के समय की बचत और पानी की बर्बादी को रोकने के लिए एक मॉडल तैयार किया है. इस मॉडल के प्रयोग से किसान कहीं से भी सिर्फ एक मोबाईल कॉल के माध्यम से खेतों में सिंचाई के लिए पानी को छोड़ व बंद कर सकते हैं.

National Science Exhibition
ऊना के नन्हे वैज्ञानिकों ने तैयार किया मॉडल
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Published : Nov 26, 2019, 5:55 PM IST

ऊना: जिला के छात्रों ने किसानों के समय की बचत और पानी की बर्बादी को रोकने के लिए एक मॉडल तैयार किया है. यह मॉडल सीबीएसई की राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली विज्ञान प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया जाएगा. इस मॉडल के प्रयोग से किसान कहीं से भी सिर्फ एक मोबाइल कॉल के माध्यम से खेतों में सिंचाई के लिए पानी को छोड़ व बंद कर सकते हैं.

ऊना के जेएस विजडम स्कूल के आठवीं कक्षा के लक्ष्य और गुरमन प्रीत कौर ने इस मॉडल को तैयार किया है. हाल ही में पंचकूला में आयोजित हुई सीबीएसई की क्षेत्रीय विज्ञान प्रदर्शनी में इस मॉडल को प्रदर्शित किया गया था. जिसमें राष्ट्रीय स्तर के लिए इस मॉडल का चयन हुआ है.

वीडियो.

बता दें कि केंद्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार देश के 255 ब्लॉक में पानी का स्तर नीचे जा रहा है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार ऊना जिला में एक दशक में भू-जल स्तर लगभग 2 मीटर नीचे गया है, जो कि बेहद गंभीर स्थिति है. इसका मुख्य कारण पानी की बर्बादी है. ऊना जिला में ही जमीन के नीचे मौजूद पानी से 148 प्रतिशत ज्यादा प्रयोग हो रहा है. इस चिंताजनक स्थिति से निपटने के लिए ऊना के छात्रों की ओर से तैयार किया गया मॉडल कारगर साबित हो सकता है.

गौर हो कि पंचकूला में आयोजित प्रतियोगिता में हिमाचल और हरियाणा के करीब 65 स्कूलों से विभिन्न श्रेणियों के 132 मॉडल प्रदर्शित किए गए थे. इसी प्रतियोगिता के तहत ऊना के लक्ष्य और गुरमन प्रीत के मॉडल को सीबीएसई की राष्ट्रीय विज्ञान प्रदर्शनी के लिए चयनित किया गया है. इस मॉडल को बनाने वाले लक्ष्य शर्मा ने बताया कि इस मॉडल में लगाए गए सेंसर की मदद से किसान देश दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर मात्र एक फोन कॉल के जरिए खेतों में पानी को चला और बंद कर सकते है.

छात्रों की माने तो देश में बढ़ रही पानी की किल्लत को लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जलशक्ति अभियान का भी आगाज किया है और यह मॉडल इस दिशा में अहम भूमिका निभा सकता है. छात्रों का कहना है कि इस मॉडल के जरिए सिर्फ पानी की बर्बादी ही नहीं बल्कि किसानों के समय और बिजली की भी बचत होगी.

वहीं, स्कूल के प्रबंधक निदेशक सुनील चौधरी ने कहा कि उनके स्कूल और प्रदेश के लिए यह गर्व की बात है. उन्होंने कहा कि आज देश में भू-जल स्तर बहुत नीचे जा रहा है और यह मॉडल इस समस्या से निपटने के लिए कारगर साबित हो सकता है.

ऊना: जिला के छात्रों ने किसानों के समय की बचत और पानी की बर्बादी को रोकने के लिए एक मॉडल तैयार किया है. यह मॉडल सीबीएसई की राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली विज्ञान प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया जाएगा. इस मॉडल के प्रयोग से किसान कहीं से भी सिर्फ एक मोबाइल कॉल के माध्यम से खेतों में सिंचाई के लिए पानी को छोड़ व बंद कर सकते हैं.

ऊना के जेएस विजडम स्कूल के आठवीं कक्षा के लक्ष्य और गुरमन प्रीत कौर ने इस मॉडल को तैयार किया है. हाल ही में पंचकूला में आयोजित हुई सीबीएसई की क्षेत्रीय विज्ञान प्रदर्शनी में इस मॉडल को प्रदर्शित किया गया था. जिसमें राष्ट्रीय स्तर के लिए इस मॉडल का चयन हुआ है.

वीडियो.

बता दें कि केंद्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार देश के 255 ब्लॉक में पानी का स्तर नीचे जा रहा है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार ऊना जिला में एक दशक में भू-जल स्तर लगभग 2 मीटर नीचे गया है, जो कि बेहद गंभीर स्थिति है. इसका मुख्य कारण पानी की बर्बादी है. ऊना जिला में ही जमीन के नीचे मौजूद पानी से 148 प्रतिशत ज्यादा प्रयोग हो रहा है. इस चिंताजनक स्थिति से निपटने के लिए ऊना के छात्रों की ओर से तैयार किया गया मॉडल कारगर साबित हो सकता है.

गौर हो कि पंचकूला में आयोजित प्रतियोगिता में हिमाचल और हरियाणा के करीब 65 स्कूलों से विभिन्न श्रेणियों के 132 मॉडल प्रदर्शित किए गए थे. इसी प्रतियोगिता के तहत ऊना के लक्ष्य और गुरमन प्रीत के मॉडल को सीबीएसई की राष्ट्रीय विज्ञान प्रदर्शनी के लिए चयनित किया गया है. इस मॉडल को बनाने वाले लक्ष्य शर्मा ने बताया कि इस मॉडल में लगाए गए सेंसर की मदद से किसान देश दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर मात्र एक फोन कॉल के जरिए खेतों में पानी को चला और बंद कर सकते है.

छात्रों की माने तो देश में बढ़ रही पानी की किल्लत को लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जलशक्ति अभियान का भी आगाज किया है और यह मॉडल इस दिशा में अहम भूमिका निभा सकता है. छात्रों का कहना है कि इस मॉडल के जरिए सिर्फ पानी की बर्बादी ही नहीं बल्कि किसानों के समय और बिजली की भी बचत होगी.

वहीं, स्कूल के प्रबंधक निदेशक सुनील चौधरी ने कहा कि उनके स्कूल और प्रदेश के लिए यह गर्व की बात है. उन्होंने कहा कि आज देश में भू-जल स्तर बहुत नीचे जा रहा है और यह मॉडल इस समस्या से निपटने के लिए कारगर साबित हो सकता है.

Intro:स्लग -- ऊना के नन्हे वैज्ञानिकों ने तैयार किया मॉडल, खेतों में पानी और किसानों के समय बर्बादी को रोकने में कारगर होगा साबित, मोबाइल से ऑपरेट होगी खेतों की सिंचाई, सीबीएसई की राष्ट्रीय विज्ञान प्रदर्शनी के लिए हुआ चयन, पीएम मोदी के जलशक्ति अभियान में यह मॉडल निभा सकता है अहम भूमिका।Body: एंकर -- ऊना जिला के छात्रों ने किसानों के समय की बचत और पानी की बर्बादी को रोकने के लिए एक मॉडल तैयार किया है। यह मॉडल सीबीएसई की राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली विज्ञान प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया जायेगा। इस मॉडल के प्रयोग से किसान कहीं से भी सिर्फ एक मोबाईल कॉल के म

माध्यम से खेतों में सिंचाई के लिए पानी को छोड़ व बंद कर सकते हैं। इस मॉडल में एक सेंसर लगा है जो पानी के एक स्तर पर पहुंचते ही पानी खुद बंद हो जायेगा। ऊना के जेएस विजडम स्कूल के आठंवीं कक्षा के लक्ष्य और गुरमन प्रीत कौर ने इस मॉडल को तैयार किया है। हाल ही में पंचकूला में आयोजित हुई सीबीएसई की क्षेत्रीय विज्ञान प्रदर्शनी में इस मॉडल को प्रदर्शित किया गया था । जिसमें राष्ट्रीय स्तर के लिए इस मॉडल का चयन हुआ है।

वी ओ 1 -- जहां देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश मे बढ़ रही पानी की किल्लत को दूर करने के लिये नए --नए कदम उठाये जा रहे हैं और लोगों से पानी बचाने की अपील की जा रही है। पानी की समस्या से जिला ऊना भी अछूता नहीं है। केंद्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार देश के 255 ब्लॉक में पानी का स्तर बहुत ही नीचे जा रहा है इन्ही ब्लॉक में जिला ऊना भी शुमार है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार ऊना जिला में एक दशक में भू-जल स्तर लगभग 2 मीटर नीचे गया है, जो कि बेहद गंभीर स्थिति है। इसका मुख्य कारण पानी की बर्बादी है, ऊना जिला में ही जमीन के नीचे मौजूद पानी से 148 प्रतिशत ज्यादा प्रयोग हो रहा है। इस चिंताजनक स्थिति से निपटने के लिए ऊना के छात्रों का द्वारा तैयार किया गया मॉडल कारगर साबित हो सकता है। ऊना मुख्यालय के जेएस विजडम स्कूल के आठंवीं कक्षा के छात्रों लक्ष्य शर्मा और गुरमन प्रीत कौर ने खेतों में होने वाली पानी की बर्बादी को रोकने और किसानों के समय की बचत के उद्देश्य से इस मॉडल को तैयार किया है। हाल ही में पंचकूला में आयोजित हुई क्षेत्रीय विज्ञान प्रदर्शनी में ऊना के छात्रों के इस मॉडल को प्रदर्शित किया गया था। पंचकूला में आयोजित प्रतियोगिता में हिमाचल और हरियाणा के करीब 65 स्कूलों से विभिन्न श्रेणियों के 132 मॉडल प्रदर्शित किये गए थे। इसी प्रतियोगिता के तहत ऊना के लक्ष्य और गुरमन प्रीत के मॉडल को सीबीएसई की राष्ट्रीय विज्ञान प्रदर्शनी के लिए चयनित किया गया है। इस मॉडल को बनाने वाले लक्ष्य शर्मा ने बताया कि इस मॉडल में लगाए गए सेंसर की मदद से किसान देश दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर मात्र एक फोन कॉल के जरिये खेतों में पानी को चला और बंद कर सकते है। यही नहीं अगर किसान खेतों में छोड़े गए पानी को बंद करना भूल गया है तो एक स्तर पर पहुँचते ही सेंसर की मदद से पानी की मोटर खुद ही बंद हो जाएगी।

बाइट -- लक्ष्य शर्मा (छात्र)
CBSE MODEL 3


बाइट -- लक्ष्य शर्मा (छात्र)
CBSE MODEL 4

बाइट -- गुरमन प्रीत कौर (छात्रा)
CBSE MODEL 5

छात्रों की माने तो देश में हो रही पानी की बर्बादी को देखकर ही उनको इस मॉडल को बनाने का विचार आया। छात्रों की माने तो देश में बढ़ रही पानी की किल्लत को लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जलशक्ति अभियान का भी आगाज किया गया है और यह मॉडल इस दिशा में अहम भूमिका निभा सकता है। छात्रों की माने तो इस मॉडल के जरिये सिर्फ पानी की बर्बादी ही नहीं बल्कि किसानों के समय और बिजली की भी बचत होगी।

Conclusion:
बाइट -- सुनील चौधरी (प्रबंधक, निदेशक)
CBSE MODEL 6
वहीँ स्कूल के छात्रों की इस उपलब्धि से स्कूल प्रबंधक भी गदगद है। स्कूल के प्रबंधक निदेशक सुनील चौधरी ने कहा कि उनके स्कूल और प्रदेश के लिए यह गर्व की बात है। उन्होंने कहा कि आज देश में भू-जल स्तर बहुत नीचे जा रहा है और यह मॉडल इस समस्या से निपटने के लिए कारगर साबित हो सकता है।
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