ऊना: ऊना जिले में बैसाखी के पावन पर्व पर उत्तर भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल पीरनिगाह मंदिर में मेले का आयोजन किया गया. सुबह पीरनिगाह मंदिर में पंडित निगाहिया की समाधि पर चादर चढ़ाने और झंडा चढ़ाने की रस्म अदा करने के बाद मेला शुरू हुआ. मेले को लेकर मंदिर परिसर को कई रंग-बिरंगे फूलों से बेहद खूबसूरत ढंग से सजाया गया है. वहीं ढोल-नगाड़े की थाप पर श्रद्धालु मंदिर पहुंचकर शीश नवाते नजर आए. वहीं, बैसाखी पर्व पर मंदिर परिसर के समीप स्थित तालाब में श्रद्धालु नहाते भी हैं जिसका अपना ही एक महत्व है. हर वर्ष उत्तर भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल में बैसाखी के पर्व पर भव्य मेला लगता है और देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालु मंदिर में नतमस्तक होने के लिए पहुंचते हैं.
दूरदराज के राज्यों से मेले में पहुंचे श्रद्धालु: पंडित निगाहिया की समाधि पर चादर चढ़ाने और ध्वजारोहण के बाद मेला शुरू हुआ और मेले के दौरान हजारों की संख्या में पंजाब और हरियाणा सहित अन्य राज्यों से श्रद्धालु मंदिर परिसर पहुंचे. श्रद्धालुओं ने पीरनिगाह मंदिर में शीश नवाया और मंगलकामना की. बैसाखी के पर्व पर श्रद्धालु अपनी नई गेहूं की फसल का कुछ भाग पीर बाबा को चढ़ाते हैं. वहीं, दूरदराज से पहुंचे श्रद्धालुओं ने कहा कि वो पिछले लंबे समय से पीरनिगाह मंदिर में आ रहे हैं और इस धार्मिल स्थान पर श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इतिहासकारों के मुताबिक पांडव काल में इस धार्मिक स्थल का निर्माण किया गया था.
क्या है पंडित निगाहिया की कथा: वहीं, एक कथा के अनुसार इसी धार्मिक स्थल के पास वाले एक गांव में पंडित निगाहिया नामक व्यक्ति रहता था, जोकि कुष्ठ रोग से पीड़ित था. कुष्ठ रोग से पीड़ित उस ब्राह्मण को बताया गया की पास के गांव बसोली के जंगल में लखदाता पीर जी आते हैं, जो उसे इस रोग से निजाद दिल सकते हैं. जिसके बाद वह पंडित निगाहिया ने इस स्थान पर पहुंचकर लखदाता पीर जी की पूजा-अर्चना शुरू कर दी. जिसके बाद जब लखदाता पीर जी वहां पहुंचे और पंडित निगाहिया को पूजा-अराधना करते हुए देखा तो उन्होंने उस ब्राह्मण को पास के एक तालाब में स्नान करने को कहा. तालाब में स्नान करने के बाद पंडित निगाहिया का कुष्ठ रोग पूरी तरह से ठीक हो गया. उसके बाद जब बाबा लखदाता पीर जी वहां से जाने लगे तो पंडित निगाहिया ने भी उनके साथ जाने की इच्छा जताई लेकिन पीर बाबा ने पंडित निगाहिया को इसी स्थान पर रहकर पूजा अर्चना करने को कहा. पीर बाबा के आदेश पर पंडित निगाहिया इसी स्थान पर लखदाता पीर जी की पूजा-अर्चना करते रहे और यह स्थल एक धार्मिक स्थल के रुप में जाना जाने लगा.
ये भी पढ़ें: ऊना के पीरनिगाह में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, देश-विदेश से पहुंच रहे श्रद्धालु