ऊना: वैसे तो देश भर में हर साल पर्यावरण दिवस पर जागरूकता अभियान चलाया जाता है. लेकिन हिमाचल प्रदेश के ऊना के एक व्यक्ति ने पर्यावरण को बचाने रखने के लिए अकेले अपने दम पर ऊना शहर को हरा-भरा बना कर एक मिसाल पेश की है. एक पर्यवरण प्रेमी ने बिना किसी मदद से अपने दम पर ऊना शहर को हरा-भरा बना दिया है. इतना ही नहीं पर्यावरण को लेकर लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं.
ऊना शहर को हरा भरा करने वाले इस शख्स को एक जख्म ने बना दिया पर्यावरण प्रेमी, लोगों को ऐसे कर रहे जागरूक - Himachal Pradesh
ओंकार चंद शर्मा के पांच वर्षीय दोहते की बीमारी के चलते मौत हो गई थी. इस पीड़ा को ओंकार ने पेड़ों से जोड़ लिया. वे पौधों को अपना नाती समझ कर बातें करते हैं.
पर्यावरण प्रेमी ओंकार चंद शर्मा
ऊना: वैसे तो देश भर में हर साल पर्यावरण दिवस पर जागरूकता अभियान चलाया जाता है. लेकिन हिमाचल प्रदेश के ऊना के एक व्यक्ति ने पर्यावरण को बचाने रखने के लिए अकेले अपने दम पर ऊना शहर को हरा-भरा बना कर एक मिसाल पेश की है. एक पर्यवरण प्रेमी ने बिना किसी मदद से अपने दम पर ऊना शहर को हरा-भरा बना दिया है. इतना ही नहीं पर्यावरण को लेकर लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं.
Intro:पर्यावरण दिवस स्पेशल
ऊना में एक पर्यवरण प्रेमी ने बिना किसी मदद से अपने दम पर हरा-भरा बना दिया ऊना शहर , पर्यावरण को लेकर भी कर रहे लोगों को जागरूक।
Body:कहने को तो हर साल पर्यावरण दिवस पर जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं लेकिन हिमाचल प्रदेश के ऊना के एक व्यक्ति ने पर्यावरण को बचाने रखने के लिए अकेले अपने दम पर ऊना शहर को हरा-भरा बना कर एक मिसाल पेश की है ।
बता दें कि आजकल जिला ऊना में 45 डिग्री तापमान है ।
जहां आप और हम गर्मी से बचने के लिए पंखे के नीचे आराम कर रहे होते हैं । वहीं जिला ऊना के ओंकार चंद शर्मा पानी लेकर जिला मुख्यालय में फोरलेन हाईवे की ओर निकल पड़ते हैं। सड़क के बीचो-बीच अपने हाथ से लगाए कनेर के पौधों की देख रेख करते हैं। लेकिन मलाहती निवासी रिटायर सीनियर बैंक मैनेजर ओंकार चंद शर्मा पर्यावरण को बचाने के लिए रोजाना ऐसा ही कार्य कर रहे हैं, अपने स्तर पर अकेले ही शहर को हरा-भरा करने उतरे, अब उनके साथ अब एक दर्जन से ज्यादा लोग जुड़ गए हैं। उनका लक्ष्य ऊना शहर और आसपास के क्षेत्रों में 5000 पौधे रोपने का है। बेंगलुरु की तर्ज पर ऊना को ग्रीन सिटी बनाना चाहते हैं ।
हालांकि वन विभाग या जिला प्रशासन से पर्यावरण प्रेमी को प्रोत्साहित करने के लिए किसी तरह की कोई मदद नहीं मिली है। ओंकार चंद शर्मा के लिए हाईवे पर पौधे रोपने के लिए कई चुनौतियां आड़े आई । शुरू में ओंकार ने लोक निर्माण विभाग के पास निजी स्तर पर पौधे लगाने के लिए आवेदन किया। लेकिन उन्हें अनुमति नहीं दी गई , बाद में उन्होंने ट्राइल के आधार पर वन विभाग को अपने प्रोजेक्ट से रूबरू कराया । इसके बाद विभाग इसके लिए सहमत हुआ । आज सरकार द्वारा लाखों , करोड़ों रुपए खर्च कर पर्यवरण बचाने को अभियान चलाए जा रहे है। लेकिन इस अकेले इंसान ने सबको पीछे छोड़ दिया है । ओंकार द्वारा रोपे पौधे ,चाइना कनेर की चौड़ाई कम और लंबाई ज्यादा होती है। इससे हाईवे पर यातायात में बाधा उत्पन्न नहीं होती। वे अपना उद्देश्य पूरा करने के लिए यूपी के सहारनपुर से पौधे लाते हैं।ऊना लाइट चौक से लेकर कोटला कलां तक और शहर से माउंट कार्मेल स्कूल तक पौधे लगा दिये गए है ।
ओंकार चंद शर्मा के पांच वर्षीय दोहते की बीमारी के चलते मौत हो गई थी। इस पीड़ा को ओंकार ने पेड़ों से जोड़ लिया। वे पौधों को अपना नाती समझ कर बातें करते हैं। उनकी देखभाल भी बच्चे की तरह करते हैं । उन्होंने ठान लिया है कि अपने नाती की याद में ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाकर समाज संदेश देंगे। ओंकार पर्यावरण को लेकर लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं। ताकि आने वाले समय मे लोगों को साफ हवा के लिए कोई दिक्कत न हो सके और शहर हरा-भरा बना रहे।
बाइट-- ओंकार चंद शर्मा(पौधा रोपित, पर्यवरण प्रेमी)
UNA PLANTATION-3
वहीं ओंकार शर्मा ने जिला प्रशासन से इन पौधों की देख रेख के लिए प्रशासन से अपील की है । ओंकार चंद की मानें तो अगर जिला प्रशासन इन पौधों के लिए जाली का इंतजाम कर दे । जिससे पौधे खराब नहीं होंगे, साथ ही आम लोगों से इन पौधों को नुकसान न पहुंचाने की अपील की ।
बाइट-- इंद्र जीत सिंह( पौधा रोपित, पर्यावरण प्रेमी)
UNA PLANTATION-4
वहीं ओंकार शर्मा के इस काम में उनके साथ कई और लोग भी साथ जुड़ते जा रहे हैं। इनमें इंद्र जीत सिंह भी उनके साथ पौधों की देखभाल का पूरा जिम्मा संभाल रहे हैं। इंद्रजीत की मानें तो पहले काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। लेकिन अब से ठीक हो गया है जिला प्रशासन पौधों की देखभाल के लिए अगर उचित कदम उठाए तो ये पौधे खराब होने से बच जाएंगे।
बैंक से रिटायर होकर ओमकार ने चंडीगढ़ धर्मशाला हाईवे के बीचो बीच अपनी निजी प्रयास से 45 100 के करीब को नेरवा देख के पौधे लगाए हैं जिन्हें प्रतिदिन टैंकर द्वारा पानी भी देते हैं और समय-समय पर उनकी देखभाल भी करते हैं
Conclusion:
ऊना में एक पर्यवरण प्रेमी ने बिना किसी मदद से अपने दम पर हरा-भरा बना दिया ऊना शहर , पर्यावरण को लेकर भी कर रहे लोगों को जागरूक।
Body:कहने को तो हर साल पर्यावरण दिवस पर जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं लेकिन हिमाचल प्रदेश के ऊना के एक व्यक्ति ने पर्यावरण को बचाने रखने के लिए अकेले अपने दम पर ऊना शहर को हरा-भरा बना कर एक मिसाल पेश की है ।
बता दें कि आजकल जिला ऊना में 45 डिग्री तापमान है ।
जहां आप और हम गर्मी से बचने के लिए पंखे के नीचे आराम कर रहे होते हैं । वहीं जिला ऊना के ओंकार चंद शर्मा पानी लेकर जिला मुख्यालय में फोरलेन हाईवे की ओर निकल पड़ते हैं। सड़क के बीचो-बीच अपने हाथ से लगाए कनेर के पौधों की देख रेख करते हैं। लेकिन मलाहती निवासी रिटायर सीनियर बैंक मैनेजर ओंकार चंद शर्मा पर्यावरण को बचाने के लिए रोजाना ऐसा ही कार्य कर रहे हैं, अपने स्तर पर अकेले ही शहर को हरा-भरा करने उतरे, अब उनके साथ अब एक दर्जन से ज्यादा लोग जुड़ गए हैं। उनका लक्ष्य ऊना शहर और आसपास के क्षेत्रों में 5000 पौधे रोपने का है। बेंगलुरु की तर्ज पर ऊना को ग्रीन सिटी बनाना चाहते हैं ।
हालांकि वन विभाग या जिला प्रशासन से पर्यावरण प्रेमी को प्रोत्साहित करने के लिए किसी तरह की कोई मदद नहीं मिली है। ओंकार चंद शर्मा के लिए हाईवे पर पौधे रोपने के लिए कई चुनौतियां आड़े आई । शुरू में ओंकार ने लोक निर्माण विभाग के पास निजी स्तर पर पौधे लगाने के लिए आवेदन किया। लेकिन उन्हें अनुमति नहीं दी गई , बाद में उन्होंने ट्राइल के आधार पर वन विभाग को अपने प्रोजेक्ट से रूबरू कराया । इसके बाद विभाग इसके लिए सहमत हुआ । आज सरकार द्वारा लाखों , करोड़ों रुपए खर्च कर पर्यवरण बचाने को अभियान चलाए जा रहे है। लेकिन इस अकेले इंसान ने सबको पीछे छोड़ दिया है । ओंकार द्वारा रोपे पौधे ,चाइना कनेर की चौड़ाई कम और लंबाई ज्यादा होती है। इससे हाईवे पर यातायात में बाधा उत्पन्न नहीं होती। वे अपना उद्देश्य पूरा करने के लिए यूपी के सहारनपुर से पौधे लाते हैं।ऊना लाइट चौक से लेकर कोटला कलां तक और शहर से माउंट कार्मेल स्कूल तक पौधे लगा दिये गए है ।
ओंकार चंद शर्मा के पांच वर्षीय दोहते की बीमारी के चलते मौत हो गई थी। इस पीड़ा को ओंकार ने पेड़ों से जोड़ लिया। वे पौधों को अपना नाती समझ कर बातें करते हैं। उनकी देखभाल भी बच्चे की तरह करते हैं । उन्होंने ठान लिया है कि अपने नाती की याद में ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाकर समाज संदेश देंगे। ओंकार पर्यावरण को लेकर लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं। ताकि आने वाले समय मे लोगों को साफ हवा के लिए कोई दिक्कत न हो सके और शहर हरा-भरा बना रहे।
बाइट-- ओंकार चंद शर्मा(पौधा रोपित, पर्यवरण प्रेमी)
UNA PLANTATION-3
वहीं ओंकार शर्मा ने जिला प्रशासन से इन पौधों की देख रेख के लिए प्रशासन से अपील की है । ओंकार चंद की मानें तो अगर जिला प्रशासन इन पौधों के लिए जाली का इंतजाम कर दे । जिससे पौधे खराब नहीं होंगे, साथ ही आम लोगों से इन पौधों को नुकसान न पहुंचाने की अपील की ।
बाइट-- इंद्र जीत सिंह( पौधा रोपित, पर्यावरण प्रेमी)
UNA PLANTATION-4
वहीं ओंकार शर्मा के इस काम में उनके साथ कई और लोग भी साथ जुड़ते जा रहे हैं। इनमें इंद्र जीत सिंह भी उनके साथ पौधों की देखभाल का पूरा जिम्मा संभाल रहे हैं। इंद्रजीत की मानें तो पहले काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। लेकिन अब से ठीक हो गया है जिला प्रशासन पौधों की देखभाल के लिए अगर उचित कदम उठाए तो ये पौधे खराब होने से बच जाएंगे।
बैंक से रिटायर होकर ओमकार ने चंडीगढ़ धर्मशाला हाईवे के बीचो बीच अपनी निजी प्रयास से 45 100 के करीब को नेरवा देख के पौधे लगाए हैं जिन्हें प्रतिदिन टैंकर द्वारा पानी भी देते हैं और समय-समय पर उनकी देखभाल भी करते हैं
Conclusion: