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विश्वकर्मा दिवस: ऊना के मंदिरों में उमड़ी भीड़, कारीगरों ने की औजारों की पूजा - विश्वकर्मा दिवस

विश्वकर्मा दिवस के अवसर पर भगवान विश्वकर्मा के मंदिरों में श्रद्धालुओं का खूब जमावड़ा लगा रहा. श्रद्धालुओं ने नतमस्तक होकर भगवान विश्वकर्मा से व्यापार में लाभ की कामना की.

भगवान विश्वकर्मा के मंदिरों में श्रद्धालुओं का खूब जमावड़ा लगा
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Published : Oct 28, 2019, 5:10 PM IST

Updated : Oct 28, 2019, 5:58 PM IST

ऊना: जिला ऊना में विश्वकर्मा दिवस के अवसर पर भगवान विश्वकर्मा के मंदिरों में दिनभर श्रद्धालुओं का खूब जमावड़ा लगा रहा. संतोषगढ़ स्थित प्राचीन विश्वकर्मा मंदिर में हजारों की तादाद में श्रद्धालुओं ने आशीर्वाद लिया और व्यापार में लाभ की कामना की.

भगवान विश्वकर्मा के मंदिरों
विश्वकर्मा दिवस के अवसर पर भगवान विश्वकर्मा के मंदिरों में श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

विश्वकर्मा दिवस के अवसर पर मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया गया है. मंदिर कमेटी द्वारा मंदिर परिसर में धार्मिक विषयों पर आधारित प्रदर्शनियां भी लगाई गई हैं. विश्वकर्मा दिवस के उपलक्ष्य पर सुबह से ही हजारों की संख्या में श्रद्धालु मंदिर में पहुंचना शुरू हो गए थे.

विश्वकर्मा का ये मंदिर प्राचीन है, इस मंदिर की स्थापना 1948 में हकीम प्रताप सिंह नाम के श्रद्धालु ने की थी और तब से लेकर आज तक यह हिमाचल ही नहीं बल्कि पंजाब और हरियाणा के लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है.

श्रद्धलुओं के अनुसार भगवान विश्वकर्मा जी के इस मंदिर में जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से मुराद मांगता है भगवान उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.

भगवान विश्वकर्मा के मंदिरों
मंदिर परिसर में धार्मिक विषयों पर आधारित प्रदर्शनियां लगाई गई

मंदिर कमेटी के सदस्य भजन सिंह मान ने कहा कि विश्वकर्मा दिवस के दिन सभी कारीगर भगवान विश्वकर्मा जी की पूजा करने के उपरांत अपनी मशीनों की पूजा करते हैं और फिर अपना काम शुरू करते हैं.

वीडियो

ऐसी मानयता है कि भगवान विश्वकर्मा के आविष्कार एवं निर्माण कार्यों के सन्दर्भ में इन्द्रपुरी, यमपुरी, वरुणपुरी, कुबेरपुरी, पाण्डवपुरी, सुदामापुरी, शिवमण्डलपुरी का निर्माण किया गया है. पुष्पक विमान का निर्माण व देवों के भवन और उनके दैनिक उपयोग में इस्तमाल होने वाली वस्तुएं भी इनके द्वारा ही बनाई गई हैं. यहां तक कि कर्ण के कुण्डल, विष्णु भगवान का सुदर्शन चक्र, शंकर भगवान का त्रिशुल और यमराज के कालदण्ड का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने ही किया है.

ऊना: जिला ऊना में विश्वकर्मा दिवस के अवसर पर भगवान विश्वकर्मा के मंदिरों में दिनभर श्रद्धालुओं का खूब जमावड़ा लगा रहा. संतोषगढ़ स्थित प्राचीन विश्वकर्मा मंदिर में हजारों की तादाद में श्रद्धालुओं ने आशीर्वाद लिया और व्यापार में लाभ की कामना की.

भगवान विश्वकर्मा के मंदिरों
विश्वकर्मा दिवस के अवसर पर भगवान विश्वकर्मा के मंदिरों में श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

विश्वकर्मा दिवस के अवसर पर मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया गया है. मंदिर कमेटी द्वारा मंदिर परिसर में धार्मिक विषयों पर आधारित प्रदर्शनियां भी लगाई गई हैं. विश्वकर्मा दिवस के उपलक्ष्य पर सुबह से ही हजारों की संख्या में श्रद्धालु मंदिर में पहुंचना शुरू हो गए थे.

विश्वकर्मा का ये मंदिर प्राचीन है, इस मंदिर की स्थापना 1948 में हकीम प्रताप सिंह नाम के श्रद्धालु ने की थी और तब से लेकर आज तक यह हिमाचल ही नहीं बल्कि पंजाब और हरियाणा के लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है.

श्रद्धलुओं के अनुसार भगवान विश्वकर्मा जी के इस मंदिर में जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से मुराद मांगता है भगवान उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.

भगवान विश्वकर्मा के मंदिरों
मंदिर परिसर में धार्मिक विषयों पर आधारित प्रदर्शनियां लगाई गई

मंदिर कमेटी के सदस्य भजन सिंह मान ने कहा कि विश्वकर्मा दिवस के दिन सभी कारीगर भगवान विश्वकर्मा जी की पूजा करने के उपरांत अपनी मशीनों की पूजा करते हैं और फिर अपना काम शुरू करते हैं.

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ऐसी मानयता है कि भगवान विश्वकर्मा के आविष्कार एवं निर्माण कार्यों के सन्दर्भ में इन्द्रपुरी, यमपुरी, वरुणपुरी, कुबेरपुरी, पाण्डवपुरी, सुदामापुरी, शिवमण्डलपुरी का निर्माण किया गया है. पुष्पक विमान का निर्माण व देवों के भवन और उनके दैनिक उपयोग में इस्तमाल होने वाली वस्तुएं भी इनके द्वारा ही बनाई गई हैं. यहां तक कि कर्ण के कुण्डल, विष्णु भगवान का सुदर्शन चक्र, शंकर भगवान का त्रिशुल और यमराज के कालदण्ड का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने ही किया है.

Intro:स्लग -- विश्वकर्मा मंदिर में उमड़ा श्रद्धा और आस्था का जनसैलाब, हजारो की तादाद में श्रद्धालु हुए नतमस्तक, विश्वकर्मा भगवान की पूजा अर्चना कर व्यापार में लाभ की कामना की। Body:एंकर -- जिला ऊना में विश्वकर्मा दिवस के अवसर पर भगवान् विश्वकर्मा मंदिरों में दिनभर श्रद्धालुओं का खूब जमावड़ा उमड़ा। वहीँ संतोषगढ़ नगर में स्थित सुप्रसिद्ध प्राचीन विश्वकर्मा मंदिर में हजारों की तादाद में श्रद्धालुओं ने नतमस्तक होकर भगवान् विश्वकर्मा से व्यापार में लाभ की कामना की।1948 में निर्मित इस विश्वकर्मा मंदिर में हिमाचल ही नहीं बल्कि पंजाब तथा हरियाणा से भी श्रद्धालु हर बर्ष मंदिर में पहुँचकर बाबा विश्वकर्मा जी का आर्शीवाद प्राप्त करते है।

वी ओ 1 -- आज भारत में सृष्टि के रचयिता भगवान् विश्वकर्मा जी को नमन किया जा रहा है वहीँ जिला ऊना के संतोषगढ़ नगर में स्थित सुप्रसिद्ध धार्मिक स्थल विश्वकर्मा मंदिर में श्रधालुओं का खूब जनसैलाब उमड़ा। हर कोई बाबा विश्वकर्मा के जयकारो के साथ भगवान् विश्वकर्मा जी के दर्शन कर नतमस्तक हो रहा था। 1948 में निर्मित इस मंदिर की स्थापना हकीम प्रताप सिंह नाम के श्रद्धालु द्वारा की गई थी तब से लेकर आज तक यह मंदिर हिमाचल, पंजाब तथा हरियाणा से आने वाले लाखो श्रधालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है। आज विश्वकर्मा दिवस के अवसर पर मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया गया था इस अवसर पर मंदिर कमेटी द्वारा मंदिर परिसर में धार्मिक विषयों पर आधारित प्रदर्शनिया भी लगाई गई थी। विश्वकर्मा दिवस के उपलक्ष्य में हजारो की तादाद में श्रद्धालु सुबह से ही मंदिर में पहुंचना शुरू हो गए थे तथा दूर दराज क्षेत्रो से आये श्रधालुओं ने भगवान् विश्वकर्मा जी के दर्शन कर आर्शीवाद प्राप्त किया। श्रधालुओं के अनुसार भगवान् विश्वकर्मा जी के इस मंदिर में जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से मुराद माँगता है भगवान् उसकी सभी मनोकामनाए पूर्ण करते है।

बाइट -- श्रद्धालु
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बाइट -- श्रद्धालु
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वी ओ 2 -- वहीँ मंदिर कमेटी के सदस्य ने बताया कि इस मंदिर में हर बर्ष हजारो श्रद्धालु भगवान् विश्वकर्मा जी के दर्शनों के लिए आते है। उन्होंने कहा कि विश्वकर्मा दिवस के दिन सभी कारीगर भगवान् विश्वकर्मा जी की पूजा करने के उपरान्त अपनी मशीनों की पूजा करते है तथा उसके बाद ही वह अपना काम शुरू करते है।

बाइट -- भजन सिंह मान (सदस्य, मंदिर कमेटी)
VISHAVKARMA 6

वी ओ 3 -- वहीँ अगर हम अपने प्राचीन ग्रंथो उपनिषद एवं पुराण आदि का अवलोकन करें तो पायेगें कि आदि काल से ही विश्वकर्मा शिल्पी अपने विशिष्ट ज्ञान एवं विज्ञान के कारण ही न मात्र मानवों अपितु देवगणों द्वारा भी पूजित और वंदित है। भगवान विश्वकर्मा के आविष्कार एवं निर्माण कोर्यों के सन्दर्भ में इन्द्रपुरी, यमपुरी, वरुणपुरी, कुबेरपुरी, पाण्डवपुरी, सुदामापुरी, शिवमण्डलपुरी आदि का निर्माण इनके द्वारा किया गया है। पुष्पक विमान का निर्माण तथा सभी देवों के भवन और उनके दैनिक उपयोगी होनेवाले वस्तुएं भी इनके द्वारा ही बनाया गया है ! कर्ण का कुण्डल, विष्णु भगवान का सुदर्शन चक्र, शंकर भगवान का त्रिशुल और यमराज का कालदण्ड इत्यादि वस्तुओं का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने ही किया है।Conclusion:
Last Updated : Oct 28, 2019, 5:58 PM IST
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