ऊनाः हिमाचल के जिला ऊना की शिवालिक खूबसूरत की पहाड़ियों के बीचों बीच भगवान ब्रह्मा का ब्रह्म-आहुति मंदिर वो स्थान है, जहां भगवान ब्रह्मा ने अपने सौ पौत्रों के उद्धार के लिए आहुतियां डाली थी. कहते हैं यहां ब्रह्म कुंड में स्नान करके सच्चे दिल से भगवान ब्रह्मा से मन्नतें मांगें, तो जरूर पूरी होती हैं.
विशेषकर बैसाखी के दिन यहां स्नान का विशेष महत्त्व है. कहते हैं कि इस दिन ब्रह्मा जी की विशेष कृपा होती है. इस बार बैसाखी पर कोरोना के प्रकोप के चलते कुछ चहल पहल देखने को नहीं मिली, लेकिन कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर ने सुबह तड़के मंदिर में पहुंचकर सतलुज नदी में आस्था की डुबकी लगाई और आरती में शिरकत की.
ऊना में है ब्रह्मा जी का मंदिर
पूरे देश में भगवान ब्रह्मा जी के केवल दो ही मंदिर हैं, एक राजस्थान के पुष्कर में और दूसरा हिमाचल के ऊना में. ऊना की खुबसूरत शिवालिक की पहाड़ियों के बीच भगवान ब्रह्मा की नगरी है. इसे ब्रह्माहुति के नाम से जाना जाता है. राजस्थान के पुष्कर के बाद पूरे भारत में भगवान ब्रह्मा यहां वास करते हैं.
माना जाता है कि इस स्थान पर भगवान ब्रह्मा ने अपने पौत्रों के उद्धार के लिए सभी देवी-देवताओं के साथ आहुतियां डाली थी. मंदिर के साथ ही सतलुज नदी बहती है, जो पुराने समय में ब्रह्म गंगा के नाम से प्रसिद्ध थी. इसी नदी के मुहाने पर मंदिर के साथ एक कुंड है, जिसे ब्रह्म-कुंड कहते हैं. ऐसा माना जाता है कि इस कुंड में स्नान कर सच्चे मन से ब्रह्मा जी से जो भी मन्नत जरूर पूरी होती है और पाप धुल जाते हैं.
बैसाखी में शुभ माना जाता है स्नान
विशेष रूप से बैसाखी के दिन स्नान करना बेहद शुभ माना जाता है. बैसाखी के दिन इस स्थान पर भगवान ब्रह्मा जी श्रद्धालुओं पर विशेष कृपा करते हैं. इस बैसाखी कोरोना महामारी के चलते मंदिर में इक्का दुक्का श्रद्धालु ही पहुंचे थे, जबकि कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर सुबह साढ़े 4 बजे ही मंदिर में पहुंचे सतलुज नदी में स्नान करने के बाद गंगा आरती में हिस्सा लिया.
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