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TB पर जागरूकता पखवाड़े में आंगनबाड़ी-आशा वर्कर्स का स्पेशल रोल, 2019 में अब तक सामने आए 120 मामले

ऊना में क्षय रोग पर जिला स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किया गया. कार्यक्रम में डॉ. प्रवीण चौधरी ने कहा कि क्षय रोग (टीबी) के मरीजों की पहचान करने में ऊना जिला काफी आगे है, लेकिन अभी भी इसमें कुछ सुधार करना बाकी है.

ऊना में TB पर जागरूकता पखवाड़ा
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Published : Mar 28, 2019, 1:34 PM IST

Updated : Mar 28, 2019, 2:44 PM IST

ऊना: क्षय रोग जागरूकता पखवाड़े के अंतर्गत क्षेत्रीय अस्पताल परिसर ऊना में जिला स्तरीय क्षय रोग (टीबी) दिवस का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में टीबी के नए मामले खोजने में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और आशा वर्कर्स ने अहम भूमिका निभाई.

इस अवसर पर जिला कार्यक्रम अधिकारी डॉ. प्रवीण चौधरी ने कहा कि जहां देश को साल 2025 जबकि प्रदेश को साल 2021 तक क्षय रोग मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है. क्षय रोग (टीबी) के मरीजों की पहचान करने में जिला काफी आगे है, लेकिन अभी भी इसमें कुछ सुधार करना बाकी है.

ऊना में TB पर जागरूकता पखवाड़ा

मरीजों की पहचान में आंगनबाड़ी और आशा वर्कर्स की भूमिका को अहम बताते हुए डॉ. प्रवीण चौधरी ने कहा कि बेहतर कार्य करने वालों को प्रोत्साहित करने के लिए सम्मानित भी किया जाएगा. साल 2017 में ऊना में टीबी के 643 मामले सामने आए हैं, जबकि साल 2018 में सबसे ज्यादा 763 मरीजों की पहचान की गई. साल 2019 में अब तक 120 नए मामले सामने आ चुके हैं.

नए मरीजों की पहचान बहुत जरूरी है ताकि उन्हें सही समय पर सही इलाज मिल सके और वे दूसरों को इस बीमारी का शिकार न बना सकें. टीबी को पूरी तरह से खत्म करने के लिए दवाई के साथ-साथ विभिन्न सामाजिक पहलुओं पर भी ध्यान देने की जरूरत है.

TB CAMP
ऊना में TB पर जागरूकता पखवाड़ा

डॉ. प्रवीण चौधरी ने साल 1962 में हुई थी और 2002 में जिला के लिए संशोधित कार्यक्रम शुरू हुआ. तब से 2017 तक सालाना 600-700 मरीजों की पहचान की जाती है. नए मरीजों का पता लगाना इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि इलाज मिलने से पहले वे 10-12 लोगों में इस बीमारी के बैकटीरिया पहुंचा देता है.

टीबी रोग के कारण
दो सप्ताह से अधिक समय तक खांसी, बलगम के साथ खून आना, वजन का कम होना, शाम के समय बुखार आना, रात को पसीना आना इत्यादि के लक्षण पाए जाने पर तुरंत अपने नजदीकी स्वास्थ्य संस्थान में जाकर बलगम की जांच करवानी चाहिए.

ऊना: क्षय रोग जागरूकता पखवाड़े के अंतर्गत क्षेत्रीय अस्पताल परिसर ऊना में जिला स्तरीय क्षय रोग (टीबी) दिवस का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में टीबी के नए मामले खोजने में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और आशा वर्कर्स ने अहम भूमिका निभाई.

इस अवसर पर जिला कार्यक्रम अधिकारी डॉ. प्रवीण चौधरी ने कहा कि जहां देश को साल 2025 जबकि प्रदेश को साल 2021 तक क्षय रोग मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है. क्षय रोग (टीबी) के मरीजों की पहचान करने में जिला काफी आगे है, लेकिन अभी भी इसमें कुछ सुधार करना बाकी है.

ऊना में TB पर जागरूकता पखवाड़ा

मरीजों की पहचान में आंगनबाड़ी और आशा वर्कर्स की भूमिका को अहम बताते हुए डॉ. प्रवीण चौधरी ने कहा कि बेहतर कार्य करने वालों को प्रोत्साहित करने के लिए सम्मानित भी किया जाएगा. साल 2017 में ऊना में टीबी के 643 मामले सामने आए हैं, जबकि साल 2018 में सबसे ज्यादा 763 मरीजों की पहचान की गई. साल 2019 में अब तक 120 नए मामले सामने आ चुके हैं.

नए मरीजों की पहचान बहुत जरूरी है ताकि उन्हें सही समय पर सही इलाज मिल सके और वे दूसरों को इस बीमारी का शिकार न बना सकें. टीबी को पूरी तरह से खत्म करने के लिए दवाई के साथ-साथ विभिन्न सामाजिक पहलुओं पर भी ध्यान देने की जरूरत है.

TB CAMP
ऊना में TB पर जागरूकता पखवाड़ा

डॉ. प्रवीण चौधरी ने साल 1962 में हुई थी और 2002 में जिला के लिए संशोधित कार्यक्रम शुरू हुआ. तब से 2017 तक सालाना 600-700 मरीजों की पहचान की जाती है. नए मरीजों का पता लगाना इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि इलाज मिलने से पहले वे 10-12 लोगों में इस बीमारी के बैकटीरिया पहुंचा देता है.

टीबी रोग के कारण
दो सप्ताह से अधिक समय तक खांसी, बलगम के साथ खून आना, वजन का कम होना, शाम के समय बुखार आना, रात को पसीना आना इत्यादि के लक्षण पाए जाने पर तुरंत अपने नजदीकी स्वास्थ्य संस्थान में जाकर बलगम की जांच करवानी चाहिए.

ऊना
क्षय रोग जागरूकता पखवाड़े के अंतर्गत क्षेत्रीय अस्पताल परिसर ऊना में जिला स्तरीय क्षय रोग (टीबी) दिवस का आयोजन किया गया। जिला कार्यक्रम अधिकारी डॉ. प्रवीण चौधरी ने कहा कि जहां देश को वर्ष 2025 जबकि हिमाचल प्रदेश को वर्ष 2021 तक क्षय रोग मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि क्षय रोग(टीबी) के मरीज़ों की पहचान करने में जिला काफी आगे है लेकिन अभी भी इसमें कुछ सुधार करना बाकी है। 
मरीज़ों की पहचान में आंगनबाड़ी व आशा वर्कर्स की भूमिका को अहम बताते हुए डॉ. प्रवीण चौधरी ने कहा कि बेहतर कार्य करने वालों को प्रोत्साहित करने के लिए सम्मानित भी किया जाएगा। 

डॉ प्रवीण चौधरी ने कहा कि वर्ष 2017 में ऊना जिला में टीबी के 643 मामले सामने आए हैं, जबकि वर्ष 2018 में सबसे ज्यादा 763 मरीज़ों की पहचान की गई। वर्ष 2019 में अब तक 120 नए मामले सामने आ चुके हैं। उन्होंने कहा कि नए मरीज़ों की पहचान अत्यंत आवश्यक है ताकि उन्हें सही समय पर उचित इलाज मिल सके और वह दूसरों को इस बीमारी का शिकार न बना सकें।  टीबी के संपूर्ण उन्मूलन के लिए दवाई के साथ-साथ विभिन्न सामाजिक पहलुओं पर भी ध्यान देने की जरूरत पर बल दिया। 

इस अवसर पर जिला कार्यक्रम अधिकारी डॉ. प्रवीण चौधरी ने वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए कहा कि देश में राष्ट्रीय टीबी नियंत्रण कार्यक्रम की शुरुआत वर्ष 1962 में हुई थी। वर्ष 2002 में जिला के लिए संशोधित कार्यक्रम शुरू हुआ और तब से वर्ष 2017 तक सालाना 600-700 मरीज़ों की पहचान की जाती है। उन्होंने कहा कि नए मरीज़ों की पता लगाना इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि इलाज मिलने से पहले वह 10-12 लोगों में इस बीमारी के बैकटीरिया पहुंचा देता है। 

उन्होंने बताया कि दो सप्ताह से अधिक समय तक खांसी, बलगम के साथ खून आना, वजन का कम होना, शाम के समय बुखार आना, रात को पसीना आना इत्यादि के लक्षण पाए जाने पर तुरंत अपने नजदीकी स्वास्थ्य संस्थान में जाकर बलगम की जांच करवानी चाहिए। 

बाइट-- डॉ प्रवीण चौधरी (जिला कार्यक्रम , अधिकारी)

ने बताया कि  वर्ष 2019 में अब तक 120 नए मामले सामने आ चुके हैं। उन्होंने कहा कि नए मरीज़ों की पहचान अत्यंत आवश्यक है ताकि उन्हें सही समय पर उचित इलाज मिल सके और वह दूसरों को इस बीमारी का शिकार न बना सकें। 


Last Updated : Mar 28, 2019, 2:44 PM IST
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