ऊना: क्षय रोग जागरूकता पखवाड़े के अंतर्गत क्षेत्रीय अस्पताल परिसर ऊना में जिला स्तरीय क्षय रोग (टीबी) दिवस का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में टीबी के नए मामले खोजने में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और आशा वर्कर्स ने अहम भूमिका निभाई.
इस अवसर पर जिला कार्यक्रम अधिकारी डॉ. प्रवीण चौधरी ने कहा कि जहां देश को साल 2025 जबकि प्रदेश को साल 2021 तक क्षय रोग मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है. क्षय रोग (टीबी) के मरीजों की पहचान करने में जिला काफी आगे है, लेकिन अभी भी इसमें कुछ सुधार करना बाकी है.
मरीजों की पहचान में आंगनबाड़ी और आशा वर्कर्स की भूमिका को अहम बताते हुए डॉ. प्रवीण चौधरी ने कहा कि बेहतर कार्य करने वालों को प्रोत्साहित करने के लिए सम्मानित भी किया जाएगा. साल 2017 में ऊना में टीबी के 643 मामले सामने आए हैं, जबकि साल 2018 में सबसे ज्यादा 763 मरीजों की पहचान की गई. साल 2019 में अब तक 120 नए मामले सामने आ चुके हैं.
नए मरीजों की पहचान बहुत जरूरी है ताकि उन्हें सही समय पर सही इलाज मिल सके और वे दूसरों को इस बीमारी का शिकार न बना सकें. टीबी को पूरी तरह से खत्म करने के लिए दवाई के साथ-साथ विभिन्न सामाजिक पहलुओं पर भी ध्यान देने की जरूरत है.
डॉ. प्रवीण चौधरी ने साल 1962 में हुई थी और 2002 में जिला के लिए संशोधित कार्यक्रम शुरू हुआ. तब से 2017 तक सालाना 600-700 मरीजों की पहचान की जाती है. नए मरीजों का पता लगाना इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि इलाज मिलने से पहले वे 10-12 लोगों में इस बीमारी के बैकटीरिया पहुंचा देता है.
टीबी रोग के कारण
दो सप्ताह से अधिक समय तक खांसी, बलगम के साथ खून आना, वजन का कम होना, शाम के समय बुखार आना, रात को पसीना आना इत्यादि के लक्षण पाए जाने पर तुरंत अपने नजदीकी स्वास्थ्य संस्थान में जाकर बलगम की जांच करवानी चाहिए.