शिमला: प्रदेश सरकार द्वारा स्कूलों में शीतकालीन छुट्टियों की समय सारणी में बड़ा बदलाव किया गया है. इस फेर बदल के तहत ग्रीष्मकालीन स्कूलों में सर्दियों की छुट्टियां बदलकर 3 जनवरी से 8 जनवरी तक कर दी गई है. यह छुट्टियां पहले 26 दिसंबर से 31 दिसंबर (summer schools of Himachal) तक होती थी.
सरकार ने हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड से संबद्ध (Himachal Pradesh Board Of School Education) सरकारी और निजी स्कूलों में शीतकालीन अवकाश की अनुमति देने का निर्णय लिया है. जिसके तहत ग्रीष्मकालीन स्कूलों को 3 जनवरी से 8 जनवरी तक 6 दिन का शीतकालीन अवकाश मिलेगा. वहीं, शीतकालीन स्कूलों को 1 जनवरी से 15 फरवरी तक 46 दिनों का शीतकालीन अवकाश मिलेगा.
प्रदेश शिक्षा सचिव द्वारा जारी अधिसूचना में उच्च शिक्षा निदेशक व प्रारिम्भक शिक्षा निदेशक को सभी स्कूलों को हर घर पाठशाला के तहत शीतकालीन अवकाश (Holidays in schools of Himachal) के दौरान बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई के लिए स्टडी मटेरियल उपलब्ध करवाने के दिशा निर्देश भी जारी किए गए हैं.
बता दें कि मंगलवार को मुख्य सचिव की ओर से यह अधिसूचना जारी की गई है, जिसको लेकर विभिन्न शिक्षक संगठनों से अलग अलग प्रतिक्रियाएं दी हैं. वहीं, सरकार के इस निर्णय का हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ ने विरोध किया है. संघ ने इसे (Himachal Government Teachers Association) आनन फानन में लिया गया फैसला करार दिया और कहा कि इस फैसले से शिक्षक खुश नहीं है और पुराने वाली छुट्टियां ही चाहते हैं.
संघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र चैहान ने कहा कि 12 बजे तक वह सचिवालय में थे और शिक्षा सचिव के कार्यालय में संबंधित अधिकारी से इस संदर्भ में विस्तृत चर्चा हुई और छुट्टियों के शेड्यूल को न बदलने का अपना पक्ष रखा. जिस पर सचिव द्वारा आश्वस्त किया गया कि सरकार का छुट्टियों को (Schedule of Himachal School holidays) बदलने को लेकर किसी तरह का कोई प्रपोजल नहीं है और न ही अभी तक कोई ऐसी फाइल बनाई गई है.
उन्होंने कहा कि सभी शिक्षक छुट्टियों के तय शेड्यूल के अनुसार अपना प्रोग्राम बना चुके हैं, इसलिए हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ सरकार एवं शिक्षा सचिव के इस निर्णय का विरोध करता है और आनन-फानन में लिए गए इस निर्णय की कड़े शब्दों में निंदा करता है.
उन्होंने मांग उठाई कि पुरानी छुट्टियों के शेड्यूल को ही बहाल किया जाए. उन्होंने कहा कि छुट्टियों में 6 दिन की कटौती आनन-फानन में की गई है, जिसको लेकर किसी भी शिक्षक संगठन ने अपने सुझाव नहीं दिए थे और न ही किसी भी शिक्षक संगठन या शिक्षक इसके पक्ष में है, इसलिए सरकार इस निर्णय को तुरंत वापस ले.
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