सोलन: फल एवं सब्जी मंडी समिति सोलन ने सेब सीजन (apple season) के लिए कमर कस ली है, ताकि किसान-बागवानों की फसलों को अन्य राज्यों की मंडियों में बेचा जा सके. हालांकि, इस वर्ष भी कोरोना वायरस (corona virus) के चलते मंडी समिति (mandi committee) की ज्यादातर कोशिश ऑनलाइन व्यापार (online business) को बढ़ावा देने की रहेगी. प्रदेश में सेब सीजन 15 जुलाई से शुरू हो चुका है. इसके लिए अन्य राज्यों से करीब व्यापारी और मजदूर भी सब्जी मंडी सोलन पहुंच चुके हैं. करसोग और प्रदेश के निचले हिस्सों में सेब की अर्ली वैरायटी 15 जुलाई से शुरू हो चुकी है.
फल मंडी सोलन और परवाणू में जिला शिमला के कोटखाई, जुब्बल, रोहड़ू, कोटगढ़, चौपाल, रामपुर और कुल्लू के निरमंड, आनी और मंडी के करसोग आदि क्षेत्रों के बागवान फसल बेचने के लिए पहुंचते हैं. सब्जी मंडी सोलन के सचिव रविंद्र शर्मा ने बताया कि सेब सीजन को लेकर सब्जी मंडी में तैयारियां पूरी कर दी गई है. कोरोना की तीसरी लहर को लेकर भी सब्जी मंडी में पूरी एहतियात बरती जा रही है. उन्होंने कहा कि अब तक मंडी में चार से पांच हजार सेब के बॉक्स मंडी में पहुंच चुके हैं.
सब्जी मंडी सोलन के सचिव रविंद्र शर्मा ने बताया कि शुरुआती दिनों में सेब की अर्ली वैरायटी में टाइड मैन (tide man apple variety) और रॉयल किस्म (Royal apple variety) का सेब मंडी में पहुंच रहा है, जिसके बागवानों को अच्छे दाम मिल रहे हैं. उन्होंने बताया कि टाइड मैन के बागवानों को 700 से 1000 रुपये प्रति पेटी के दाम मिल रहे हैं. वहीं, रॉयल सेब किस्म के बागवानों को 2000-2500 रुपये तक दाम मिल रहे हैं. उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष कोरोना वायरस के चलते सब्जी मंडी सोलन में 10 लाख पेटी सेब का कारोबार किया गया था, वहीं इस बार 25 से 30 लाख पेटी आने की उम्मीद है. पिछले वर्ष कोरोना के चलते भी सब्जी मंडी सोलन में सेब का 2 अरब का व्यापार हो पाया था.
रविंद्र शर्मा ने कहा कि सरकार के निर्देशों के बाद सेब सीजन के अंत तक सब्जी मंडी सोलन में हिमाचल प्रदेश की पहली हाईटेक सब्जी मंडी (first hi-tech vegetable market) यहां पर बनकर तैयार होगी जो कि स्टील स्ट्रक्चर (steel structure) से तैयार की जाएगी. जहां पर किसान-बागवानों को हर सुविधाएं दी जाएगी.
रविंद्र शर्मा ने कहा कि किसानों-बागवानों को उनके खाते में ही पैसे मिल रहे हैं और इस साल अब तक 54 करोड़ रुपए किसानों के खाते में सीधे ही जा चुके हैं. उन्होंने कहा कि ई-नाम के माध्यम से किसान बागवानों के साथ होने वाली धोखाधड़ी को रोकने में भी काफी हद तक लगाम लगी है. वहीं, रविंद्र शर्मा ने किसान बागवानों से अपील की है कि वे लोग ई-नाम के माध्यम से ही अपना व्यापार करें.
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