सोलन: हिमाचल की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार को कार्यभार संभाले हुए 100 दिन पूर्ण हो चुके हैं. प्रदेश में 8 दिसंबर 2022 को चुनावी नतीजे आए थे. हिमाचल की जनता ने पांच साल में सरकार बदलने का रिवाज कायम रखा और कांग्रेस हाईकमान ने सुखविंदर सिंह सुक्खू के सिर पर सत्ता का ताज रख दिया. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी सहित पार्टी मुखिया मल्किार्जुन खड़गे व अन्य नेताओं की मौजूदगी में शिमला में 11 दिसंबर 2022 को सुखविंदर सुक्खू ने मुख्यमंत्री तथा मुकेश अग्निहोत्री ने डिप्टी सीएम के रूप में शपथ ली थी,अब सरकार को 100 दिन हो गए हैं, इस दौरान सुखविंदर सुक्खू के कई फैसलों ने सुर्खियां बटोरी हैं.
सबसे बड़ी चुनौती था सीमेंट विवाद: सत्ता में आते ही सुखविंदर सिंह की 'सुख' की सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती तब आई जब प्रदेश में दो जिलों के बड़े सीमेंट प्लांट बन्द हो गए. हजारों ट्रक ऑपरेटर सड़कों पर आकर धरना प्रदर्शन करने लगे. सड़क किनारे ट्रकों की लाइन देखने को मिली. करीब 69 दिन तक ट्रक ऑपरेटरों का प्रदर्शन जारी रहा. सोलन जिले के दालड़ाघाट में स्थित बाघा सीमेंट प्लांट और बिलासपुर में सीमेंट प्लांट बरमाणा के बाहर ट्रक ऑपरेटरों ने लगातार अपने संघर्ष की लड़ाई लड़ी और प्रदर्शन करते रहे. 16 दिसंबर से ट्रक ऑपरेटरों ने माल भाड़े को लेकर अपना प्रदर्शन शुरू किया था.
विपक्ष ने सीमेंट विवाद पर सरकार को जमकर घेरा: इस दौरान राजनीति ने भी खूब चर्चा बटोरी, विपक्ष में बैठी भाजपा ने नई नवेली सत्ता में बैठी कांग्रेस और सरकार के मुखिया सुखविंदर सिंह सुक्खू को घेरने का हरसंभव प्रयास किया, लेकिन सरकार ने अपने स्तर पर निरंतर अधिकारियों के साथ मिलकर ट्रक ऑपरेटर और प्लांट अधिकारियों से बातचीत का दौर जारी रखा. एक ओर जब ट्रक ऑपरेटर्स अपनी मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे तो भाजपा के लोग सड़क पर उतरकर इस प्रदर्शन में ट्रक ऑपरेटर्स की बाजुओं को मजबूत कर रहे थे. लेकिन सुक्खू सरकार ने यू टर्न लेते हुए ट्रक ऑपरेटर्स और प्लांट अधिकारियों की सभी मांग को माना.
69 दिन बाद आखिर सुलझ गया मामला: 19 फरवरी 2023 को हिमाचल प्रदेश में सीमेंट ढुलाई की दरों को लेकर चल रहा विवाद 69वें दिन सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने सुलझा लिया. सीमेंट ढुलाई की दरें 12 फीसदी तक कम कर दी गईं. नई दरें 10.30 और 9.30 रुपये प्रति किलोमीटर प्रति मीट्रिक टन तय की गई. जिसके बाद ट्रक ऑरेटरों ने सुक्खू सरकार का आभार जताया. वहीं, सरकार ने इस मामले को सुलझाने के बाद राहत की सांस ली.
करोड़ों के जख्म दे गया सीमेंट विवाद: बता दें कि 69 दिन तक चले इस आंदोलन से सरकार को 250 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ. सीमेंट प्लांटों को चलाने के लिए खनिज निकालने से मिलने वाली रायल्टी के रूप में करीब 14 करोड़ रुपये का नुकसान खनन विभाग को हुआ. इसी तरह सीमेंट से मिलने वाले जीएसटी की भी क्षति हुई. इस कारोबार से जुड़े अन्य व्यापारियों से मिलने वाले टैक्स का भी नुकसान हुआ. वहीं, दो महीने से ज्यादा बेरोजगार हुए ट्रक ऑपरेटर्स और इससे जुड़े कई लोगों को भारी नुकसान उठाना पड़ा.
मामला सुलझने के बाद क्या बोले थे सीएम: प्रदेश सरकार की मध्यस्थता के बाद सीमेंट प्लांट प्रबंधन और ट्रक मालिकों के बीच सहमति बनने पर मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा था कि वह प्रदेश की जनता के हितों की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहेंगे. मुख्यमंत्री ने कहा था कि विवाद शुरू होने के बाद से ही वह व्यक्तिगत तौर पर भी इसके समाधान के लिए निरंतर प्रयासरत रहे. कंपनी प्रबंधन और उच्च अधिकारियों से लगातार संवाद बनाए रखा. जिसका नतीजा ये रहा कि आखिरकार सीमेंट विवाद को सुलझाने में सरकार कामयाब रही.
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