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हिमाचल की 'लाइफ लाइन' 108 एम्बुलेंस की कहानी आंकड़ों की जुबानी - जननी सुरक्षा योजना

हिमाचल में हर मर्ज पर याद की जाने वाली 108 और 102 एंबुलेंस बुधवार से नहीं चलेंगी. 108 और 102 एंबुलेंस का संचालन करने वाली जीवीके ईएमआरआई कंपनी ने अपने करीब 1000 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है. कंपनी ने पैसों की कमी का हवाला देकर कर्मचारियों को टर्मिनेशन लेटर थमा दिया है.

ambulance service in himachal
फोटो.
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Published : Jul 14, 2020, 6:31 PM IST

सोलन: हिमाचल के दूरदराज इलाकों तक पहुंचकर लोगों की जान बचाने वाली 108 एंबुलेंस सेवा आज तक लाखों लोगों के लिए वरदान साबित हुई है, लेकिन आज हिमाचल प्रदेश में स्थिति ऐसी आ गई है कि 108 एम्बुलेंस सेवा के पहिये ठहरने वाले हैं.

108 कंपनी ने फंड की कमी का हवाला देकर सभी कर्मचारियों को टर्मिनेशन लेटर थमा दिए हैं. अब जहां कर्मचारियों पर बेरोजगारी की तलवार लटकी है, वहीं प्रदेश में लोगों को एम्बुलेंस सेवाओं से भी वंचित रहना पड़ सकता है. यहां पर सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि कंपनी टेंडर खत्म होने से पहले ही प्रदेश में सेवाएं देना बंद कर रही है.

बता दें कि हिमाचल प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों खासकर ग्रामीण इलाकों की लाइफलाइन बन चुकी एम्बुलेंस सेवा से अब तक 68,64,602 लोग फायदा उठा चुके हैं. साल 2010 में राज्य में शुरू की गई इस सेवा से स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रान्तिकारी परिवर्तन आया है. इस सेवा के माध्यम से अभी तक 13,80,848 आपातकालीन मामलों को पंजीकृत किया गया है.

हिमाचल प्रदेश जैसे राज्य के विभिन्न भागों में हर चौथे मिनट में 108 एम्बुलेंस की आवश्यकता पड़ती है, हर एक घंटे आपात में फंसी एक जिन्दगी का बचाव इस एम्बुलेंस सेवा के माध्यम से होता है. विशेषकर गर्भवती महिलाओं के लिए यह सेवा वरदान साबित हुई है. यह सेवा शहरी क्षेत्रों में औसतन 12 मिनट, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 35 मिनट के भीतर पहुंचकर मरीज को अस्पताल तक पहुंचाती है.

हिमाचल प्रदेश में 26 दिसंबर 2010 को 108 एंबुलेंस सेवा शुरू की गई थी, तब से लेकर आज तक प्रदेश में करीब 68,64,602 लोगों तक एंबुलेंस सेवा पहुंची है. इसके तहत हिमाचल प्रदेश में आज तक एम्बुलें करीब 55,673 किलोमीटर क्षेत्र में दौड़ चुकी है. आंकड़ों पर गौर किया जाए तो आज तक कुल 13,80,848 आपातकालीन मामलों को एंबुलेंस सेवा के द्वारा निपटाया गया है. जिनमें से पुलिस इमरजेंसी केस 32,005 फायर इमरजेंसी केस 7931 और मेडिकल इमरजेंसी केस 13,40,912 हैं.

  • जननी सुरक्षा योजना के तहत नवंबर 2014 में 102 राष्ट्रीय एम्बुलेंस सेवा की गई थी शुरू

प्रदेश में जननी सुरक्षा योजना के अंतर्गत 102 राष्ट्रीय एम्बुलेंस सेवा शुरू की गई थी. यह सेवा मां व शिशु को अस्पताल से घर तक निःशुल्क पहुंचाती है. वर्तमान में 125 एम्बुलेंस के माध्यम से मातृ-शिशु को सेवा प्रदान की जा रही है. वहीं, करीब 10 सालों में 2,77,490 प्रेग्नेंसी से सम्बंधित मामलो को भी इस सुविधा के द्वारा निपटाया गया है.

  • आजतक लाखों लोगों की जान बचा चुकी है 108 सेवा

हिमाचल प्रदेश में जब से 108 एम्बुलेंस सुविधा की शुरुआत हुई है, तब से लेकर जनवरी 2020 तक दूर दराज इलाकों तक पहुंचकर करीब 1,24,857 लोगों की जान बचाई गई है. प्रदेश में गांव-गांव तक गरीब और जरूरतमंद लोगों तक एम्बुलेंस सेवा ने अपनी सेवाएं प्रदान की है.

  • 1135 लोगों के साहस से सड़कों पर दौड़ती है एम्बुलेंस

हिमाचल प्रदेश में करीब 1135 लोग 108 और 102 एंबुलेंस सेवाओं और कॉल सेंटर में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. जिनमें से 464 ईएमटी, 108 एम्बुलेंस के 464 ड्राइवर, 102 एम्बुलेंस के 124 कैप्टन, स्पोर्टिंग स्टाफ 46, इमरजेंसी रिस्पांस ऑफिसर 108 कॉल सेंटर 29 और 102 इमरजेंसी रिस्पांस ऑफिसर 8 हैं. जो दिन रात 24×7 अपनी सेवाएं दे रहे हैं.

  • कोरोना काल में भी जीवनदायिनी बनी एम्बुलेंस सेवा

हिमाचल प्रदेश में कोरोना जैसी महामारी से निपटने के लिए भी एम्बुलेंस सेवा जीवनदायनी साबित हुई है. कोरोनाकाल के दौरान मार्च से लेकर अबतक करीब 47 एम्बुलेंस के माध्यम से 8059 कोरोना सम्बंधित मरीजों को अस्पताल और कोविड केयर सेंटर पहुंचाया गया है. वहीं, कोरोना से सम्बंधित सेम्पल भरने के लिए प्रदेशभर में 19 एम्बुलेंस ( 102 ) के माध्यम से अबतक 36000 सैंपल कलेक्ट किए गए हैं.

प्रदेश की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए बाइक एम्बुलेंस सेवा भी शुरू की गई है. यह सेवा फस्ट रिस्पांडर बाइक के नाम से भी जानी जाती है. हिमाचल प्रदेश उत्तरी भारत का पहला राज्य है जहां इस सेवा को शुरू किया गया है.

ये भी पढ़ें- खबरां पहाड़ां री: बिलासपुर रे स्वारघाट च अनियंत्रित ट्राले कारा जो मारी टक्कर

सोलन: हिमाचल के दूरदराज इलाकों तक पहुंचकर लोगों की जान बचाने वाली 108 एंबुलेंस सेवा आज तक लाखों लोगों के लिए वरदान साबित हुई है, लेकिन आज हिमाचल प्रदेश में स्थिति ऐसी आ गई है कि 108 एम्बुलेंस सेवा के पहिये ठहरने वाले हैं.

108 कंपनी ने फंड की कमी का हवाला देकर सभी कर्मचारियों को टर्मिनेशन लेटर थमा दिए हैं. अब जहां कर्मचारियों पर बेरोजगारी की तलवार लटकी है, वहीं प्रदेश में लोगों को एम्बुलेंस सेवाओं से भी वंचित रहना पड़ सकता है. यहां पर सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि कंपनी टेंडर खत्म होने से पहले ही प्रदेश में सेवाएं देना बंद कर रही है.

बता दें कि हिमाचल प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों खासकर ग्रामीण इलाकों की लाइफलाइन बन चुकी एम्बुलेंस सेवा से अब तक 68,64,602 लोग फायदा उठा चुके हैं. साल 2010 में राज्य में शुरू की गई इस सेवा से स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रान्तिकारी परिवर्तन आया है. इस सेवा के माध्यम से अभी तक 13,80,848 आपातकालीन मामलों को पंजीकृत किया गया है.

हिमाचल प्रदेश जैसे राज्य के विभिन्न भागों में हर चौथे मिनट में 108 एम्बुलेंस की आवश्यकता पड़ती है, हर एक घंटे आपात में फंसी एक जिन्दगी का बचाव इस एम्बुलेंस सेवा के माध्यम से होता है. विशेषकर गर्भवती महिलाओं के लिए यह सेवा वरदान साबित हुई है. यह सेवा शहरी क्षेत्रों में औसतन 12 मिनट, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 35 मिनट के भीतर पहुंचकर मरीज को अस्पताल तक पहुंचाती है.

हिमाचल प्रदेश में 26 दिसंबर 2010 को 108 एंबुलेंस सेवा शुरू की गई थी, तब से लेकर आज तक प्रदेश में करीब 68,64,602 लोगों तक एंबुलेंस सेवा पहुंची है. इसके तहत हिमाचल प्रदेश में आज तक एम्बुलें करीब 55,673 किलोमीटर क्षेत्र में दौड़ चुकी है. आंकड़ों पर गौर किया जाए तो आज तक कुल 13,80,848 आपातकालीन मामलों को एंबुलेंस सेवा के द्वारा निपटाया गया है. जिनमें से पुलिस इमरजेंसी केस 32,005 फायर इमरजेंसी केस 7931 और मेडिकल इमरजेंसी केस 13,40,912 हैं.

  • जननी सुरक्षा योजना के तहत नवंबर 2014 में 102 राष्ट्रीय एम्बुलेंस सेवा की गई थी शुरू

प्रदेश में जननी सुरक्षा योजना के अंतर्गत 102 राष्ट्रीय एम्बुलेंस सेवा शुरू की गई थी. यह सेवा मां व शिशु को अस्पताल से घर तक निःशुल्क पहुंचाती है. वर्तमान में 125 एम्बुलेंस के माध्यम से मातृ-शिशु को सेवा प्रदान की जा रही है. वहीं, करीब 10 सालों में 2,77,490 प्रेग्नेंसी से सम्बंधित मामलो को भी इस सुविधा के द्वारा निपटाया गया है.

  • आजतक लाखों लोगों की जान बचा चुकी है 108 सेवा

हिमाचल प्रदेश में जब से 108 एम्बुलेंस सुविधा की शुरुआत हुई है, तब से लेकर जनवरी 2020 तक दूर दराज इलाकों तक पहुंचकर करीब 1,24,857 लोगों की जान बचाई गई है. प्रदेश में गांव-गांव तक गरीब और जरूरतमंद लोगों तक एम्बुलेंस सेवा ने अपनी सेवाएं प्रदान की है.

  • 1135 लोगों के साहस से सड़कों पर दौड़ती है एम्बुलेंस

हिमाचल प्रदेश में करीब 1135 लोग 108 और 102 एंबुलेंस सेवाओं और कॉल सेंटर में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. जिनमें से 464 ईएमटी, 108 एम्बुलेंस के 464 ड्राइवर, 102 एम्बुलेंस के 124 कैप्टन, स्पोर्टिंग स्टाफ 46, इमरजेंसी रिस्पांस ऑफिसर 108 कॉल सेंटर 29 और 102 इमरजेंसी रिस्पांस ऑफिसर 8 हैं. जो दिन रात 24×7 अपनी सेवाएं दे रहे हैं.

  • कोरोना काल में भी जीवनदायिनी बनी एम्बुलेंस सेवा

हिमाचल प्रदेश में कोरोना जैसी महामारी से निपटने के लिए भी एम्बुलेंस सेवा जीवनदायनी साबित हुई है. कोरोनाकाल के दौरान मार्च से लेकर अबतक करीब 47 एम्बुलेंस के माध्यम से 8059 कोरोना सम्बंधित मरीजों को अस्पताल और कोविड केयर सेंटर पहुंचाया गया है. वहीं, कोरोना से सम्बंधित सेम्पल भरने के लिए प्रदेशभर में 19 एम्बुलेंस ( 102 ) के माध्यम से अबतक 36000 सैंपल कलेक्ट किए गए हैं.

प्रदेश की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए बाइक एम्बुलेंस सेवा भी शुरू की गई है. यह सेवा फस्ट रिस्पांडर बाइक के नाम से भी जानी जाती है. हिमाचल प्रदेश उत्तरी भारत का पहला राज्य है जहां इस सेवा को शुरू किया गया है.

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