सोलन: प्रसिद्ध लेखक सलमान रुश्दी की सोलन में स्थित प्रॉपर्टी अनीस विला लगातार चर्चाओं में हैं. सलमान रुश्दी की प्रॉपर्टी के केयरटेकर गोविंद सामने आए हैं. उन्होंने कहा है कि वो पिछले 25 साल से प्रॉपर्टी की देखभाल कर रहे हैं. वो इस प्रॉपर्टी को असली हकदार को ही देंगे, जबकि कुछ लोग उनसे जबर्दस्ती प्रॉपर्टी खाली करवा रहे हैं. (Salman Rushdie) (Anees Villa Solan)
गोविंद का कहना है कि सलमान रुश्दी और उनके मित्र विजय शंकर ने उनसे प्रॉपर्टी की देखभाल के लिए सैलरी और अन्य खर्चा देने की बात कही थी, 2012 तक सब कुछ ठीक-ठाक चलता रहा लेकिन उसके बाद सैलरी कभी आती थी और कभी नहीं. साल 2018 के बाद उन्हें सैलरी नहीं आई हैं. अब कुछ लोग उन्हें यहां से निकाल रहे हैं. उनका कहना है कि उनका लंबा हिसाब किताब है. वह इस प्रॉपर्टी को सिर्फ असली मालिक सलमान रुश्दी को ही हैंडोवर करेंगे.
ये बोले गोविंद के वकील: वहीं, उनके वकील भी आज मौके पर पहुंचे उनके वकील विक्रांत चौहान ने कहा कि इस मामले में उन्हें कोर्ट से स्टे मिला है लेकिन दूसरा पक्ष इसे मानने को तैयार नहीं है. बीते 8 अक्टूबर को भी कुछ लोग यहां पर आए थे जो यहां के केयर टेकर गोविंद का सामान बाहर फेंकने लगे थे. इस पर कोर्ट में याचिका दायर की गई है. वहीं मामले पर स्टे दिया गया है. उन्होंने कहा कि अब वे लोग कोर्ट के आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं. ऐसे में अब वो कोर्ट की अवहेलना का केस करेंगे.
वहीं, एएसपी सोलन अजय कुमार राणा का कहना है कि अनीस विला जो कि फॉरेस्ट रोड पर सलमान रुश्दी की प्रोपर्टी है. उसमें दो कमरों को लेकर पावर ऑफ अटॉर्नी राजेश त्रिपाठी और केयरटेकर गोविंदराम शर्मा के बीच एक एग्रीमेंट हुआ था, जिसमें उन्हें सिर्फ दो ही कमरे दिए गए थे लेकिन जब वह पिछले वहां आए तो पाया कि गोविंद राम शर्मा ने बाकी कमरों पर भी कब्जा कर लिया है. ऐसे में राजेश त्रिपाठी की तरफ से उन्हें शिकायत मिली है, जिस पर पुलिस ने मामला दर्ज कर आगामी जांच शुरू कर दी है. फिलहाल पुलिस दोनों पक्षों की बातों को सुनकर डाक्यूमेंट्स की जांच कर रही है.
वर्ष 1927 में हुआ था अनीस विला का निर्माण: अनीस विला का (Anees Villa Solan) निर्माण वर्ष 1927 में किया गया था, जिसे बाद में रुश्दी के दादा ने खरीदा. उसके बाद अनीस अहमद के नाम होने के बाद 1953 से 1969 इस संपत्ति को ये कह कर अनाम घोषित कर दिया गया कि इसके मालिक पाकिस्तान चले गए हैं. इसके बाद इस भवन पर कभी हिमाचल प्रदेश के शिक्षा विभाग का तो कभी सरकारी अफसरों का कब्जा रहा. 1992 में सलमान रुश्दी ने इस भवन पर अपना दावा ठोका और साबित किया कि वे उसके असली मालिक हैं.
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