सोलनः कोरोना के चलते दूसरे साल भी सूक्ष्म रूप में राज्यस्तरीय शूलिनी मेला मनाया गया. मेले का आज अंतिम दिन है, लेकिन शनिवार रात को मां शूलिनी ने मेले को कबूल कर सोलनवासियों को सुख समृद्धि का आशीर्वाद दिया है.
माता शूलिनी ने सुख-समृद्धि का दिया आशीर्वाद
शूलिनी मंदिर के पुजारी रामस्वरूप शर्मा के माध्यम से माता ने कहा कि मुझे सूक्ष्म रूप से मनाए जा रहे मेले से कोई भी आपत्ति नहीं है और मैं इसे कबूल करती हूं. गुर के माध्यम से माता ने कहा कि कोरोना काल में सब की रक्षा होगी. इस मौके पर मां शूलिनी ने सुख-समृद्धि का आशीर्वाद भी दिया.
देवभूमि हिमाचल में देवी-देवताओं में जन-जन की आस्था है. प्रदेश सरकार द्वारा स्थापित नियमों के मध्य संतुलन बनाकर मां शूलिनी की शोभा यात्रा को निर्विघ्न संपन्न करवाकर जिला प्रशासन ने अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया है. देवभूमि हिमाचल प्रदेश में मनाए जाने वाले पारंपरिक एवं प्रसिद्ध मेलों में माता शूलिनी का मेला भी प्रमुख स्थान रखता है. बदलते परिवेश के बावजूद यह मेला अपने प्राचीन परंपरा को संजोए हुए हैं.
प्राचीन परंपरा कायम
मेले का इतिहास बघाट रियासत से जुड़ा है. माता शूलिनी बघाट रियासत के शासकों की कुलश्रेष्ठा देवी मानी जाती हैं. वर्तमान में माता शूलिनी का मंदिर सोलन शहर के दक्षिण में विद्यमान हैं. इस मंदिर में माता शूलिनी के अतिरिक्त शिरगुल देवता, माली देवता इत्यादि की प्रतिमाएं भी मौजूद हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार माता शूलिनी सात बहनों में से एक हैं. अन्य बहनें हिंगलाज देवी, जेठी ज्वाला जी, लुगासना देवी, नैना देवी और तारा देवी के नाम से विख्यात हैं.
प्राचीन काल से हो रहा शूलिनी मेले के आयोजन
बता दें कि देवभूमि हिमाचल को अपनी देवी परम्पराओं और देवी-देवताओं में अटूट आस्था है. शूलिनी मेले के आयोजन की परम्परा प्राचीन काल से चली आ रही है. पहले जहां केवल माता की शोभा यात्रा निकाली जाती थी, वहीं अब वर्तमान में यह आयोजन पारम्परिक खेलों व संस्कृति के प्रचार-प्रसार का माध्यम बन गया है. परम्परा के अनुसार इस मेले का आयोजन आषाढ़ मास के द्वितीय रविवार को किया जाता है. परम्परा के अनुरूप मां शूलिनी को शोभा यात्रा के रूप में सोलन के गंज बाजार स्थित प्राचीन दुर्गा माता मंदिर में ले जाया जाता है, जहां वे 3 दिन तक अपनी छोटी बहन के घर निवास करती हैं. वर्षों से यह आयोजन निरंतर होता रहा है.
वर्ष 1919-20 में नहीं निकली थी शोभयात्रा
जानकारी के अनुसार सिर्फ एक बार वर्ष 1919-20 में प्लेग महामारी के कारण नियत समय पर माता की शोभा यात्रा नहीं निकाली गई थी. अब कोरोना के चलते इस साल भी दोबारा वैसी ही परिस्थितियां उत्पन्न हो गई. डीसी सोलन कृतिका कुल्हारी ने यह सुनिश्चित बनाया कि शोभा यात्रा न केवल सूक्ष्म हो अपितु इस आयोजन में कोविड-19 के दृष्टिगत स्थापित विभिन्न नियमों का पूर्ण पालन हो. इसके लिए उन्होंने मां शूलिनी के कल्याणा वर्ग से बातचीत की और मंदिर के पूजारी और कल्याणा वर्ग के चुनिंदा लोगों के साथ केवल प्रशासन और पुलिस के सीमित अधिकारियों को शोभा यात्रा में शामिल होने की अनुमति दी गई.
शोभा यात्रा के कारण 4 घंटे तक लगा लाॅकडाउन
कोरोना महामारी के चलते जिला दंडाधिकारी ने मां की शोभा यात्रा के जाने एवं वापिस आने के दिवस पर मात्र 4 घंटे के लिए शहर के उन क्षेत्रों में लॉकडाउन के आदेश दिए, जहां से सामान्य रूप से माता की शोभा यात्रा निकलती है. सोलन की जनता ने इन आदेशों का पूर्ण पालन किया. इससे न केवल शोभा यात्रा आयोजित हो पाई, अपितु लोगों की अटूट आस्था भी बरकरार रही.
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