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73वां स्थापना दिवस: ये कहानी है हिमाचल के निर्माण की...इस भवन में हुआ था नामकरण

हिम का आंचल यानि हिमाचल आज पूरे 72 साल का हो गया है. इसी मौके पर ईटीवी भारत अपने दर्शकों को हिमाचल के इतिहास से जुड़े कुछ खास स्थानों से रुबरू करवाएगा.

special story on himachal foundation day
हिमाचल निर्माण की कहानी
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Published : Apr 15, 2020, 6:00 PM IST

हिम का आंचल यानि हिमाचल आज पूरे 72 साल का हो गया है. इसी उपलक्ष्य पर ईटीवी भारत अपने दर्शकों को हिमाचल के इतिहास से जुड़े कुछ खास स्थानों से रुबरू करवाएगा.

1948 में 28 रियासतों के राजाओं ने प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डॉ. वाईएस परमार की मौजूदगी में अपनी राज गद्दी छोड़ सरकार से हाथ मिला लिया था. हिमाचल के नामकरण के लिए बघाट रिसायसत के राजभवन में कई बैठकों का दौर चला. हिमाचल प्रदेश के नामकरण से जुड़े ऐतिहासिक लम्हों की गवाही सोलन शहर में बघाट रिसायत का भवन आज भी देता है.

शाही रजवाड़ा शैली का बना यह भवन आज भी अपने आप में एक ऐतिहासिक धरोहर होने का एहसास दिलाता है, मशहूर साहित्यकार मदन हिमाचली से जब ईटीवी भारत की टीम ने बात की तब उन्होने इस इमारत के इतिहास से हमे रुबरू करवाया.

वीडियो रिपोर्ट

कहा जाता है कि यह भवन बघाट रियासत के 77वें राजा दुर्गा सिंह का दरबार हुआ करता था, जहां कभी बघाट रियासत के राजा का दरबार सजता था. आज भी इस भवन का द्वार उस दौर के राजशााही ठाठ-बाठ की गवाही देता है. कलाकृतियों से सजे इस मुख्य द्वार के बाहर खड़े दरबान बघाट रियासत के राजाओं का स्वागत किया करते थे.

आज भी मौजूद है दरबारी द्वार और तीन कुर्सियां

दुखद बात ये है कि आजादी के 7 दशक बाद भी इस ऐतिहासिक धरोहर की सुध नहीं ली जा रही है, हांलाकि दरबारी हॉल में आज भी कुछ चीजों में उस समय की झलकियां देखने को मिलती हैं. इतिहास को खुद में समेटे इस इमारत की सुध ना विभाग को है और ना सरकार को, हालत इतनी दयनीय है कि कई हिस्से लोहे के एंगल के सपोर्ट पर खड़े हैं. जो कभी भी हादसे का सबब भी बन सकते हैं. हालांकि, पूर्व की कांग्रेस सरकार के दौरान इस ऐतिहासिक भवन का कायाकल्प करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने घोषणा भी की थी और इसका जीर्णोद्धार कर इसे हेरिटेज बिल्डिंग बनाने की बात भी कही थी, लेकिन सियासत और सरकार को इस इतिहास की शायद फिक्र नहीं है.

हिम का आंचल यानि हिमाचल आज पूरे 72 साल का हो गया है. इसी उपलक्ष्य पर ईटीवी भारत अपने दर्शकों को हिमाचल के इतिहास से जुड़े कुछ खास स्थानों से रुबरू करवाएगा.

1948 में 28 रियासतों के राजाओं ने प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डॉ. वाईएस परमार की मौजूदगी में अपनी राज गद्दी छोड़ सरकार से हाथ मिला लिया था. हिमाचल के नामकरण के लिए बघाट रिसायसत के राजभवन में कई बैठकों का दौर चला. हिमाचल प्रदेश के नामकरण से जुड़े ऐतिहासिक लम्हों की गवाही सोलन शहर में बघाट रिसायत का भवन आज भी देता है.

शाही रजवाड़ा शैली का बना यह भवन आज भी अपने आप में एक ऐतिहासिक धरोहर होने का एहसास दिलाता है, मशहूर साहित्यकार मदन हिमाचली से जब ईटीवी भारत की टीम ने बात की तब उन्होने इस इमारत के इतिहास से हमे रुबरू करवाया.

वीडियो रिपोर्ट

कहा जाता है कि यह भवन बघाट रियासत के 77वें राजा दुर्गा सिंह का दरबार हुआ करता था, जहां कभी बघाट रियासत के राजा का दरबार सजता था. आज भी इस भवन का द्वार उस दौर के राजशााही ठाठ-बाठ की गवाही देता है. कलाकृतियों से सजे इस मुख्य द्वार के बाहर खड़े दरबान बघाट रियासत के राजाओं का स्वागत किया करते थे.

आज भी मौजूद है दरबारी द्वार और तीन कुर्सियां

दुखद बात ये है कि आजादी के 7 दशक बाद भी इस ऐतिहासिक धरोहर की सुध नहीं ली जा रही है, हांलाकि दरबारी हॉल में आज भी कुछ चीजों में उस समय की झलकियां देखने को मिलती हैं. इतिहास को खुद में समेटे इस इमारत की सुध ना विभाग को है और ना सरकार को, हालत इतनी दयनीय है कि कई हिस्से लोहे के एंगल के सपोर्ट पर खड़े हैं. जो कभी भी हादसे का सबब भी बन सकते हैं. हालांकि, पूर्व की कांग्रेस सरकार के दौरान इस ऐतिहासिक भवन का कायाकल्प करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने घोषणा भी की थी और इसका जीर्णोद्धार कर इसे हेरिटेज बिल्डिंग बनाने की बात भी कही थी, लेकिन सियासत और सरकार को इस इतिहास की शायद फिक्र नहीं है.

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