सोलन: रविवार का दिन था कुम्हारहट्टी में आर्मी एरिया होने के कारण जवान शाम के समय अकसर घूमने निकला करते थे, लेकिन 14 जुलाई का वो दिन असम राइफल्स के 13 जवानों के लिए मौत का ग्रास बनकर आया. रोजाना की तरह डगशाई छावनी के जवान टहलने के लिये निकले, लेकिन आज टहलने का मकसद अपनी खुशी मनाना था.
डगशाई के जवान असम रायफल के जवान थे और उस दिन सभी जवान जेसीओ रैंक पर प्रमोट होने की खुशी मनाने के लिए छावनी से बाहर निकले. पहले प्लान बना शिमला जाने का, लेकिन मौसम खराब होता देख सबने सोचा क्यों ना नजदीक ही पार्टी कर लें, सब लोग चल पड़े, फिर उनको ध्यान आया कि सुलतानपुर रोड़ पर एक नया ढाबा खुला है क्यों ना आज वहां जाया जाए. सभी 30 फौजी सहज ढाबे में पहुंचे, समय हुआ था तीन बजकर पैतिंस मिनट और आसमान में काले बादल को देखकर ऐसा लग रहा था कि बस अभी जमीन को चूमने आ जायंगे.
ढाबे में काम करने वाला एक लड़का फौजियों के पास आया उसने खाने का आर्डर लिया और चला गया, समय की रफ्तार पहुंची तीन बजकर 40 मिनट पर उसके बाद कुछ फौजी वॉशरूम गए कुछ बैठे रहे समय ने रफ्तार पकड़ी और वो घड़ी आ पहुंची जब ढाबा के ऊपर बनी बिल्डिंग ताश के पतों की तरह पलक झपकते ढह गई जो जैसा था वैसा ही रह गया, कोई संभल नहीं पाया. जो बिल्डिंग गिरी उसमें भी 12 लोग काम कर रहे थे वो भी उस हादसे का शिकार हो गए.
प्रशासन ने भी मोर्चा संभाला और मौके पर पहुंचा, वहीं सबसे पहले फोरलेन बनाने लगी कम्पनी के लोगों ने वहां आकर लोगों की मदद करना शुरू किया. लोगों में शोर मच गया. आर्मी के जितने भी जवान नजदीकी छावनियों में तैनात थे, सबने घटनास्थल पर डेरा जमा दिया, पंचकूला से एनडीआरएफ की टीम भी आईं. रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हुआ. करीब 5 बजे पहली डेडबॉडी सामने आई जो कि एक आर्मी के जवान की थी, फिर थोड़ी देर बाद एक और डेडबॉडी सामने आई, लेकिन ये एक महिला कि थी, पता करने पर मालूम हुआ कि जो बिल्डिंग गिरी थी ये औरत उस बिल्डिंग की मालकिन थी और बिल्डिंग का काम देखने आई थी.
रेस्क्यू ऑपरेशन सारी रात चलता रहा, आर्मी के जवान, पुलिस प्रशासन, एनडीआरएफ की टीम लगातार सारी रात बिना रुके रेस्क्यू ऑपरेशन चलाते रहे.
दिन 15 जुलाई 2019, समय सुबह के 6 बजकर 15 मिनट
रेस्क्यू टीम को किसी के कराहने की आवाज आई, जवानों ने वहां जाकर देखा तो एक जवान की सांसें चल रही थी, जवानों ने उसे बाहर निकाला और धर्मपुर हेल्थ सेंटर इलाज के लिए भेज दिया. रेस्क्यू ऑपरेशन चलता रहा. मौके पर जिला पुलिस प्रशासन आर्मी के करीब 200 जवान एनडीआरएफ की टीम मीडिया के लोग डॉक्टर एम्बुलेंस कर्मचारियों की भीड़ भी थी.
समय सुबह के करीब आठ बजे
सीएम जयराम घटनास्थल पर पहुंचे मौके का जायजा लिया और प्रशासन को सख्त हिदायत दी कि कोई भी मलबे में दबा नहीं होना चाहिए और बिल्डिंग की जांच के ऑर्डर दिए, घायलों से मिलकर मुख्यमंत्री ने बात की और जाना कि हादसा कैसे हुआ.
दोपहर के 1 बजकर 32 मिनट
आधिकारिक पुष्टि के साथ पता चला कि बिल्डिंग के मलबे में कुल 42 लोग दबे थे, जिसमें 30 आर्मी के जवान और 12 लोग भी थे, जिनमें से एक महिला भी थी. रेस्क्यू ऑपरेशन खत्म होने के बाद पता चला कि इस घटना में 14 की मौत हुई जिनमें से 13 आर्मी के जवान और 1 महिला जो कि बिल्डिंग की मालकिन थी. वहीं, इस घटना में 28 लोग घायल हो गए थे, लेकिन फिर भी रेस्क्यू ऑपेरशन जवानों ने चलाये रखा ताकि कोई मलबे के नीचे ना रह जाये. 4 बजे तक जवानों को जब कुछ नहीं मिला तब जगह को सील कर दिया गया.
छुट्टी का दिन था इसलिए हमने बाहर खाने का बनाया था प्लान
इस घटना में घायल हुए जवान सुरजीत ने बताया कि वह ढाबा में खाना खा रहे थे. उन्होंने बताया कि आचानक धरती हिलने लगी और फिर देखते ही देखते पूरी इमारत ताश के पत्तों की तरह बिखर गई. सुरजीत ने बताया कि सभी जवान डगशाई बटालियन के जवान हैं और उस दिन वीकली ऑफ होने के चलते हम सभी ने लंच बाहर करने का प्लान बनाया था.
मरने वालों के परिजनों को मिले थे 4-4 लाख रुपए
शिमला,कुम्हारहट्टी -नाहन रोड पर 14 जुलाई रविवार शाम को बिल्डिंग गिरने से मारे गए लोगों के परिजनों को सरकार की ओर से आर्थिक सहायता दिए जाने की घोषणा की गई थी ।मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों को 4 - 4 लाख रूपए की सहायता देने की बात कही थी/
कुम्हारहट्टी हादसे में इन लोगों ने गंवाई थी अपनी जान
सोलन के कुम्हारहट्टी में हुये हादसे में सेना के 13 जवान व एक महिला की मौत हो गई. मृतकों में असम राइफल के सूबेदार राजकिशोर, सूबेदार बलविंदर, सूबेदार विनोद, सूबेदार अजित कुमार, सूबेदार प्रदीप चंद भुइया, नायब सूबेदार योगेश, सूबेदार विश्वर सिंह, सूबेदार हेम होमंग, नायब सूबेदार एम नोबिन, सूबेदार कुमार चोराही, सूबेदार सुरजीत शर्मा, सूबेदार राजन बहादुर, सूबेदार लाल संस् व होटल की मालकिन अर्चना शामिल है.
आज भी एक सवाल जहन में उठता है, आखिर कौन जिम्मेदार था कुम्हारहट्टी हादसे का?
कुम्हारहट्टी का हादसा भुलाना इतना आसान नहीं है. कुम्हारहट्टी से नाहन जाने वाले रोड़ से जब भी कोई गुजरता है तो एक पल के सिसकियों की आवाज कानों में जरूर आती है, भले ही वहां आज मिट्टी के अलावा कुछ नहीं है लेकिन वो दर्द में उठी सिसकियां आज भी मौजूद हैं, लेकिन आज तक ये साबित नहीं हो पाया है कि उस हादसे का जिम्मेदार कौन है.
नियमों की ताक पर रखकर बनाई जा रही थी बिल्डिंग
जिस बिल्डिंग में होटल चल रहा था वह नियमों को ताक में रख कर बनाई गई थी. जिसकारण बरसात अधिक होने के कारण बिल्डिंग ज़मींदोज़ हो गई.
मुख्यमंत्री ने भी दिए थे जांच के आदेश
वहीं मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के आदेशों के बाद जिलाधीश सोलन के सी चमन ने मैजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिये थे और होटल मालिक के खिलाफ FIR दर्ज भी की गई थी, लेकिन सवाल उठता है कि इस हादसे का जिम्मेदार कौन है.
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