ETV Bharat / state

हिंदी भाषा नहीं भावों की अभिव्यक्ति है, यह मातृभूमि पर मर मिटने की भक्ति है: मदन हिमाचली

हिंदी दिवस के मौके पर साहित्यकार मदन हिमाचली का कहना है कि राजनीतिक मानसिकता के कारण आज तक हिंदी भाषा का विकास नहीं हो पाया है. स्वतंत्रता के बाद सबसे पहला काम था. मदन हिमाचली ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का स्वागत करते हुए कहा कि पहले की शिक्षा प्रणाली आज तक अंग्रेजी भाषा को समर्पित थी, लेकिन नई शिक्षा प्रणाली में हिंदी का वर्चस्व कायम करने के लिए बहुत कुछ है.

madan himachali
madan himachali
author img

By

Published : Sep 14, 2020, 4:11 PM IST

सोलन: हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है. 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा में एक मत से हिंदी को राजभाषा घोषित किया गया था. इस निर्णय के बाद हिंदी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर 1953 से पूरे भारत में 14 सितंबर को हर साल हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा. हिंदी भारत की 24 भाषाओं में से एक है, अधिकतर भारतीय हिंदी को बोलते और समझते हैं.

14 सितंबर 1953 को पहली बार देश में हिंदी दिवस मनाया गया था, हिंदी केवल हमारी मातृभाषा या राष्ट्रभाषा ही नहीं अपितु राष्ट्रीय अस्मिता और गौरव का प्रतीक भी है. भाषा के बिना कोई भी अपनी बात को अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त नहीं कर पाता, भाषा के जरिए ही विभिन्न प्रकार की संस्कृति को जाना जा सकता है. उसमें हिंदी भाषा पूर्ण है, हिंदी में आप सहजता से अपनी बात को समझा सकते हैं.

वीडियो.

देश में सबसे पहले बिहार ने हिंदी को कार्यालय की भाषा बनाया. 1805 में प्रकाशित श्री कृष्ण पर आधारित किताब ''प्रेम सागर'' को हिंदी में लिखी गई पहली किताब माना जाता है, इसे लल्लू लाल ने लिखा था. हिंदी भाषा मॉरिशस, फिजी, सूरीनाम, त्रिनिदाद और टोबैगो में भी बोली जाती है. हिंदी वैसी सात भाषाओं में से एक है, जिसका उपयोग वेब एड्रेस बनाने में किया जा सकता है. हिंदी को बढ़ावा देने के लिए 1975 से विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया गया.

स्वंतत्र होने के बाद पहला कार्य होना चाहिए था हिंदी भाषा का विकास

वहीं, हिंदी दिवस के मौके पर साहित्यकार मदन हिमाचली का कहना है कि राजनीतिक मानसिकता के कारण आज तक हिंदी भाषा का विकास नहीं हो पाया है. स्वतंत्रता के बाद सबसे पहला काम था. हिंदी भाषा का विकास होना, किसी भी स्वतंत्र देश के तीन पहलू होते हैं राष्ट्रध्वज, राष्ट्रभाषा और राष्ट्रगान लेकिन राष्ट्रभाषा को हम अभी तक इतना विकसित नहीं कर पाए हैं. यह वही राष्ट्रभाषा है जिसने कश्मीर से कन्याकुमारी तक पूरे देश को जोड़ा है, स्वतंत्रता का आंदोलन हो या फिर वोटों की राजनीति हिंदी भाषा का अहम रोल इन सब में रहता है, लेकिन जब कभी भी हिंदी भाषा के विकास की बात रही है, तब ना तब कोई ना कोई रोड़ा इसकी राह में आता रहा है.

वीडियो.

हिंदी भाषा के बिना हमारी परम्पराएं अधूरी

स्वतंत्रता के बाद सबसे बड़ा काम हिंदी भाषा का विकास होना चाहिए था, साहित्यकार मदन हिमाचली का कहना है कि संस्कृत भाषा विश्व भाषाओं की जननी है, उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति में जितनी भी परंपराएं हैं, वह हिंदी के बिना अधूरी हैं. उस समय जो है शिक्षा प्रणाली हम पर थोपी गई थी, उसकी वजह से ही आज हिंदी विकसित नहीं हो पाई है क्योंकि लोग अपने बच्चों को इंग्लिश की ओर अग्रसर करते जा रहे हैं, गुरुकुल जैसे शिक्षाएं अब देखने को नहीं मिलती है.

नई शिक्षा नीति में हिंदी का बढ़ेगा वर्चस्व

मदन हिमाचली ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का स्वागत करते हुए कहा कि पहले की शिक्षा प्रणाली आज तक अंग्रेजी भाषा को समर्पित थी, लेकिन नई शिक्षा प्रणाली में हिंदी का वर्चस्व कायम करने के लिए बहुत कुछ है. उन्होंने प्रदेश सरकार को भी बधाई देते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने वाला हिमाचल प्रदेश पहला राज्य बन चुका है. उन्होंने युवाओं से अपील की है कि हिंदी बोलने में शर्म ना करें उन ने कहा कि संस्कार और संस्कृति का संरक्षण करने के लिए हिंदी पर्याप्त है.

अपने ही देश में पिछड़ती जा रही है राजभाषा

हिंदी भले ही भारत की राजभाषा है लेकिन भारत में ही आज हिंदी पिछड़ती जा रही है, हिंदी दुनिया भर में बोली जाने वाली तीसरी सबसे बड़ी भाषा है. हिंदी का अपना बहुत पुराना इतिहास रहा है. भारत में लगभग 4.25 करोड़ लोगों की पहली भाषा हिंदी है. भारत के अलावा और भी कई देश है जहां हिंदी बोली जाती है, नेपाल से हमारे देश की सीमा लगती है. नेपाल में भी काफी बड़ी संख्या में हिंदी समझने और बोलने वाले लोग मिलते हैं. करीब 80 लाख नेपाली लोग हिंदी भाषा बोलते और समझते हैं.

पढ़ें: हिमाचल गृहिणी सुविधा योजना: 90 वर्षीय परसीनो देवी के घर भी जला गैस चूल्हा

सोलन: हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है. 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा में एक मत से हिंदी को राजभाषा घोषित किया गया था. इस निर्णय के बाद हिंदी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर 1953 से पूरे भारत में 14 सितंबर को हर साल हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा. हिंदी भारत की 24 भाषाओं में से एक है, अधिकतर भारतीय हिंदी को बोलते और समझते हैं.

14 सितंबर 1953 को पहली बार देश में हिंदी दिवस मनाया गया था, हिंदी केवल हमारी मातृभाषा या राष्ट्रभाषा ही नहीं अपितु राष्ट्रीय अस्मिता और गौरव का प्रतीक भी है. भाषा के बिना कोई भी अपनी बात को अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त नहीं कर पाता, भाषा के जरिए ही विभिन्न प्रकार की संस्कृति को जाना जा सकता है. उसमें हिंदी भाषा पूर्ण है, हिंदी में आप सहजता से अपनी बात को समझा सकते हैं.

वीडियो.

देश में सबसे पहले बिहार ने हिंदी को कार्यालय की भाषा बनाया. 1805 में प्रकाशित श्री कृष्ण पर आधारित किताब ''प्रेम सागर'' को हिंदी में लिखी गई पहली किताब माना जाता है, इसे लल्लू लाल ने लिखा था. हिंदी भाषा मॉरिशस, फिजी, सूरीनाम, त्रिनिदाद और टोबैगो में भी बोली जाती है. हिंदी वैसी सात भाषाओं में से एक है, जिसका उपयोग वेब एड्रेस बनाने में किया जा सकता है. हिंदी को बढ़ावा देने के लिए 1975 से विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया गया.

स्वंतत्र होने के बाद पहला कार्य होना चाहिए था हिंदी भाषा का विकास

वहीं, हिंदी दिवस के मौके पर साहित्यकार मदन हिमाचली का कहना है कि राजनीतिक मानसिकता के कारण आज तक हिंदी भाषा का विकास नहीं हो पाया है. स्वतंत्रता के बाद सबसे पहला काम था. हिंदी भाषा का विकास होना, किसी भी स्वतंत्र देश के तीन पहलू होते हैं राष्ट्रध्वज, राष्ट्रभाषा और राष्ट्रगान लेकिन राष्ट्रभाषा को हम अभी तक इतना विकसित नहीं कर पाए हैं. यह वही राष्ट्रभाषा है जिसने कश्मीर से कन्याकुमारी तक पूरे देश को जोड़ा है, स्वतंत्रता का आंदोलन हो या फिर वोटों की राजनीति हिंदी भाषा का अहम रोल इन सब में रहता है, लेकिन जब कभी भी हिंदी भाषा के विकास की बात रही है, तब ना तब कोई ना कोई रोड़ा इसकी राह में आता रहा है.

वीडियो.

हिंदी भाषा के बिना हमारी परम्पराएं अधूरी

स्वतंत्रता के बाद सबसे बड़ा काम हिंदी भाषा का विकास होना चाहिए था, साहित्यकार मदन हिमाचली का कहना है कि संस्कृत भाषा विश्व भाषाओं की जननी है, उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति में जितनी भी परंपराएं हैं, वह हिंदी के बिना अधूरी हैं. उस समय जो है शिक्षा प्रणाली हम पर थोपी गई थी, उसकी वजह से ही आज हिंदी विकसित नहीं हो पाई है क्योंकि लोग अपने बच्चों को इंग्लिश की ओर अग्रसर करते जा रहे हैं, गुरुकुल जैसे शिक्षाएं अब देखने को नहीं मिलती है.

नई शिक्षा नीति में हिंदी का बढ़ेगा वर्चस्व

मदन हिमाचली ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का स्वागत करते हुए कहा कि पहले की शिक्षा प्रणाली आज तक अंग्रेजी भाषा को समर्पित थी, लेकिन नई शिक्षा प्रणाली में हिंदी का वर्चस्व कायम करने के लिए बहुत कुछ है. उन्होंने प्रदेश सरकार को भी बधाई देते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने वाला हिमाचल प्रदेश पहला राज्य बन चुका है. उन्होंने युवाओं से अपील की है कि हिंदी बोलने में शर्म ना करें उन ने कहा कि संस्कार और संस्कृति का संरक्षण करने के लिए हिंदी पर्याप्त है.

अपने ही देश में पिछड़ती जा रही है राजभाषा

हिंदी भले ही भारत की राजभाषा है लेकिन भारत में ही आज हिंदी पिछड़ती जा रही है, हिंदी दुनिया भर में बोली जाने वाली तीसरी सबसे बड़ी भाषा है. हिंदी का अपना बहुत पुराना इतिहास रहा है. भारत में लगभग 4.25 करोड़ लोगों की पहली भाषा हिंदी है. भारत के अलावा और भी कई देश है जहां हिंदी बोली जाती है, नेपाल से हमारे देश की सीमा लगती है. नेपाल में भी काफी बड़ी संख्या में हिंदी समझने और बोलने वाले लोग मिलते हैं. करीब 80 लाख नेपाली लोग हिंदी भाषा बोलते और समझते हैं.

पढ़ें: हिमाचल गृहिणी सुविधा योजना: 90 वर्षीय परसीनो देवी के घर भी जला गैस चूल्हा

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.