सोलन: देश की आर्थिकी किसानों पर टिकी है, लेकिन आज यही किसान अपनी फसलों को पशुओं को खिलाने के लिए मजबूर हो चुके हैं. हिमाचल प्रदेश में भी सूखे जैसे हालात बन चुके हैं. देश की मशरूम सिटी और रेड गोल्ड ऑफ सिटी के नाम से मशहूर सोलन में इस साल 90% बारिश कम हुई है. एक तरफ जहां सूखे जैसे हालात ने किसानों की कमर तोड़ दी है. तो वहीं, दूसरी तरफ किसान अपनी फसलों के दामों के लिए आज परेशान दिखाई दे रहे हैं. खेतों में पानी नहीं है और सब्जी मंडियों में फसलों का दाम नहीं है.
सब्जी की क्वालिटी ठीक, दान कम- किसान आज अपनी फसलों को पशुओं को खिलाने पर मजबूर हो चुका है. जिला सोलन नगदी फसलों के लिए जाना जाता है, लेकिन आज किसान इन फसलों को बेचने की बजाय पशुओं को खिलाने में ज्यादा इच्छुक दिखाई दे रहे हैं. कारण यह है कि पहाड़ी सब्जियों को इन दिनों सब्जी मंडी में दाम नहीं मिल रहे हैं या यूं कहे कि बाहरी राज्यों की सब्जियों से पहाड़ी राज्यों को टक्कर मिलती हुई दिखाई दे रही है. हालांकि पहाड़ी राज्यों की सब्जियों की क्वालिटी बेहतर है, लेकिन रेट उस तरह से किसानों को नहीं मिल रहा है जिसकी किसान उम्मीद कर रहे हैं.
किसानों को हुआ 19 करोड़ का नुकसान- एक तरफ बारिश ना होने से जहां सूखे जैसे हालात बन चुके हैं, तो इससे अब तक किसानों को करीब 19 करोड़ का नुकसान जिला सोलन में कृषि विभाग द्वारा आंका गया है. हालांकि इसमें 16 करोड़ का नुकसान गेहूं की फसल का है और 3 करोड़ का नुकसान सब्जियों और दूसरी फसलों से है. किसान इस बात को लेकर चिंता में है कि वे खुद क्या खाएगा? बीज महंगा है, दवाइयां महंगी है, लेकिन उनकी फसलें सस्ती होती जा रही हैं. वहीं, दूसरी तरफ किसान दिन रात एक कर के जब अपनी फसलों को खेतों से मंडियों तक पहुंचा रहा है तो दाम किसानों को उनकी सोच से बाहर मिल रहे हैं.
गाड़ी का किराया भी जेब से दे रहे किसान- किसान उम्मीद तो करता है कि दाम बढ़िया मिलेंगे, लेकिन मंडी में जो दाम मिल रहे हैं, उसमें गाड़ी का खर्चा भी पूरा नहीं हो पा रहा है. गाड़ी का किराया भी किसानों को अपनी जेब से देना पड़ रहा है. हालांकि सब्जी मंडी सोलन प्रशासन का दावा है कि आने वाले दिनों में किसानों को पहाड़ी सब्जियों के दाम बेहतर मिलेंगे क्योंकि बाहरी राज्य हरियाणा, अहमदाबाद, नासिक जालंधर से आने वाली सब्जियां सब्जी मंडी में कम पहुंचेंगी, लेकिन जिस तरह से इन दिनों किसानों को दाम मिल रहे हैं, किसान भी परेशान होता दिखाई दे रहा है.
सरकार और प्रशासन के दावे ठंडे बस्ते में- किसान इन दिनों गोभी, टमाटर, शिमला मिर्च, मटर की फसल लगा रहे हैं. सूखे जैसे हालात ने पहले ही किसानों की कमर तोड़ दी है. तो दूसरी तरफ दाम न मिलने से किसान उम्मीद करना ही छोड़ चुके हैं कि उन्हें दाम बेहतर मिलेंग. किसानों का कहना है कि वह हर बार इसी उम्मीद में सीजन लगाते हैं कि उन्हें दाम बेहतर मिलेंगे, लेकिन सरकार और प्रशासन के दावे ठंडे बस्ते में चले जाते हैं. ना तो उनकी तरफ ध्यान दिया जाता है और ना कभी दिया जाएगा. वे इसी तरह फसलों को लगाते रहेंगे और फसलों के दाम की उम्मीद करते रहेंगे.
ये कहतें हैं कृषि विभाग के अधिकारी- कृषि विभाग सोलन के उपनिदेशक डॉ. डीपी गौतम का कहना है कि फरवरी और मार्च में जिस तरह से बारिश नहीं हुई है इससे करीब 146 वर्ष का रिकॉर्ड टूटा है. जिले में किसानों को सूखे की वजह से 19 करोड़ रुपए का नुकसान आंका जा चुका है. जिसमें से 16 करोड़ 14 लाख रुपए गेहूं की फसल का नुकसान किसानों को हुआ है. जिला सोलन में 21300 हेक्टेयर भूमि पर गेहूं किसानों द्वारा लगाई गई थी, लेकिन अबतक 11,555 हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की फसल खराब हो चुकी है. वहीं, दूसरी तरफ अन्य फसलों और सब्जियों मटर, गोभी, लहसुन, शिमला मिर्च में करीब 3 करोड़ का नुकसान किसानों को हो चुका है.
ये कहते है सब्जी मंडी सोलन के अधिकारी- वहीं, सब्जी मंडी सोलन में किसानों को मिलने वाले दामों को लेकर सब्जी मंडी सोलन के सचिव डॉ. रविन्द्र शर्मा ने बताया कि बाहरी राज्यों से जब सब्जियों की आमद कम हो जाती है तो पहाड़ी राज्यों की सब्जियों के दाम अपने आप बढ़ने लगते हैं. ऐसे में धीरे-धीरे किसानों को उनकी फसलों के दाम बेहतर मिलना शुरू होंगे. उन्होंने कहा कि अब पहाड़ी मटर के दाम किसानों को बेहतर मिल रहे हैं, क्योंकि बाहरी राज्यों का मटर अब बंद हो चुका है. धीरे-धीरे गोभी के दाम भी बढ़ना शुरू हो जाएंगे. उन्होंने बताया कि इस तरह से दाम हर साल किसानों को मिलते हैं, लेकिन सूखा इस बार एक अहम कारण दाम के न मिलने का माना जा रहा है.
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