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जिन्होंने देश के लिए दिया बलिदान, उनकी 'सुरक्षा' के लिए एक कमरा उपलब्ध नहीं कर पाया सोलन प्रशासन

फोरलेन निर्माण की भेंट चढ़े चंबाघाट स्थित शहीद पार्क को सोलन प्रशासन अभी तक जमीन उपलब्ध करवाने में सफल नहीं हुआ है. प्रशासन की लेटलतीफी के चलते पार्क से हटाई गई शहीद संजय चौहान और रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमाएं खुले में धुल फांक रही है.

पुलिस लाइन सोलन में कैद रानी लक्ष्मीबाई और कैप्टन संजय चौहान अशोक चक्र की प्रतिमा.
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Published : Jul 23, 2019, 3:52 PM IST

सोलन : जिला प्रशासन पिछले चार महीने में शहीद पार्क के निर्माण के लिए जमीन उपलब्ध करने में विफल रहा है. प्रशासन की लेटलतीफी के चलते रानी लक्ष्मीबाई व शहीद संजय चौहान की प्रतिमा एक बाड़े में कैद है.

दरअसल, चंबाघाट स्थित शहीद पार्क फोरलेन की भेंट चढ़ गया है. पार्क के ऊपर से बन रहे फ्लाई ओवर के निर्माण से यहां स्थापित शहीदों की प्रतिमा व शहीद स्मारक को 19 मार्च को वहां से पुलिस लाइन शिफ्ट किया गया.

प्रशासन देश के सूरमाओं की प्रतिमाओं को सुरक्षित रखने के लिए एक कमरे की व्यवस्था तक नहीं कर सका है. स्थिति यह है कि वहां पर लगातार गिर रही मिट्टी की वजह से शहीद संजय चौहान की प्रतिमा का एक पांव धंस गया है और रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा कई जगह से टूट गई है.

वीडियो.

रानी लक्ष्मीबाई ने देश और अपने राज्य झांसी की स्वतंत्रता के लिए ब्रिटिश राज्य से लोहा ले लिया था. देश की स्वतंत्रता के लिए कई राजाओं ने लड़ाइयां लड़ी और इस कोशिश में हमारे देश की वीर और साहसी स्त्रियों ने भी उनका साथ दिया. इन साहसी महिलाओं की परिभाषा में सबसे पहला ना रानी लक्ष्मीबाई का है. रानी लक्ष्मीबाई ने हमारे देश और अपने राज्य झांसी की स्वतंत्रता के लिए ब्रिटिश राज्य के खिलाफ लड़ी का साहस किया और अंत में वीरगति को प्राप्त हुईं.

ऑपरेशन रक्षक में शहीद हुए संजय चौहान
सोलन के चंबाघाट में शहीद पार्क में कैप्टन संजय चौहान की प्रतिमा स्थापित थी. कैप्टन संजय चौहान अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद भारतीय सेना में भर्ती हुए और 16 राजपूतान राइफल्स में प्रशिक्षण प्राप्त किया. 29 अक्तूबर 1994 में ऑपरेशन रक्षक में वह देश के दुश्मनों से लोहा लेते हुए शहीद हुए थे. इसके लिए उन्हें मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया.

जिला प्रशासन ने शहीद पार्क के निर्माण के लिए आयकर विभाग के कार्यालय के पास न्यू कथेड़ में भूमि चयनित की हुई है, लेकिन भूमि को ट्रांसफर करने की औपचारिकताएं पूरी नहीं हुई है, जिसके चलते इस पार्क का निर्माण कार्य भी शुरू नहीं हुआ है. अभी तक 15 अगस्त व 26 जनवरी के मौके पर शहीद पार्क में शहीदों को नमन के करने के बाद ही शहर के मशहूर ठोडो मैदान में आयोजित कार्यक्रम में झंडा फहराया जाता था, लेकिन हालात ऐसे ही रहे तो यह परंपरा टूट जाएगी.

वहीं, डीसी सोलन केसी चमन का कहना है कि शहीद पार्क के निर्माण के लिए जल्द जमीन फाइनल करने के लिए एसडीएम को निर्देश दिए गए हैं. जमीन फाइनल होते ही प्राथमिकता से इस पार्क का निर्माण कर किया जाएगा.

सोलन : जिला प्रशासन पिछले चार महीने में शहीद पार्क के निर्माण के लिए जमीन उपलब्ध करने में विफल रहा है. प्रशासन की लेटलतीफी के चलते रानी लक्ष्मीबाई व शहीद संजय चौहान की प्रतिमा एक बाड़े में कैद है.

दरअसल, चंबाघाट स्थित शहीद पार्क फोरलेन की भेंट चढ़ गया है. पार्क के ऊपर से बन रहे फ्लाई ओवर के निर्माण से यहां स्थापित शहीदों की प्रतिमा व शहीद स्मारक को 19 मार्च को वहां से पुलिस लाइन शिफ्ट किया गया.

प्रशासन देश के सूरमाओं की प्रतिमाओं को सुरक्षित रखने के लिए एक कमरे की व्यवस्था तक नहीं कर सका है. स्थिति यह है कि वहां पर लगातार गिर रही मिट्टी की वजह से शहीद संजय चौहान की प्रतिमा का एक पांव धंस गया है और रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा कई जगह से टूट गई है.

वीडियो.

रानी लक्ष्मीबाई ने देश और अपने राज्य झांसी की स्वतंत्रता के लिए ब्रिटिश राज्य से लोहा ले लिया था. देश की स्वतंत्रता के लिए कई राजाओं ने लड़ाइयां लड़ी और इस कोशिश में हमारे देश की वीर और साहसी स्त्रियों ने भी उनका साथ दिया. इन साहसी महिलाओं की परिभाषा में सबसे पहला ना रानी लक्ष्मीबाई का है. रानी लक्ष्मीबाई ने हमारे देश और अपने राज्य झांसी की स्वतंत्रता के लिए ब्रिटिश राज्य के खिलाफ लड़ी का साहस किया और अंत में वीरगति को प्राप्त हुईं.

ऑपरेशन रक्षक में शहीद हुए संजय चौहान
सोलन के चंबाघाट में शहीद पार्क में कैप्टन संजय चौहान की प्रतिमा स्थापित थी. कैप्टन संजय चौहान अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद भारतीय सेना में भर्ती हुए और 16 राजपूतान राइफल्स में प्रशिक्षण प्राप्त किया. 29 अक्तूबर 1994 में ऑपरेशन रक्षक में वह देश के दुश्मनों से लोहा लेते हुए शहीद हुए थे. इसके लिए उन्हें मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया.

जिला प्रशासन ने शहीद पार्क के निर्माण के लिए आयकर विभाग के कार्यालय के पास न्यू कथेड़ में भूमि चयनित की हुई है, लेकिन भूमि को ट्रांसफर करने की औपचारिकताएं पूरी नहीं हुई है, जिसके चलते इस पार्क का निर्माण कार्य भी शुरू नहीं हुआ है. अभी तक 15 अगस्त व 26 जनवरी के मौके पर शहीद पार्क में शहीदों को नमन के करने के बाद ही शहर के मशहूर ठोडो मैदान में आयोजित कार्यक्रम में झंडा फहराया जाता था, लेकिन हालात ऐसे ही रहे तो यह परंपरा टूट जाएगी.

वहीं, डीसी सोलन केसी चमन का कहना है कि शहीद पार्क के निर्माण के लिए जल्द जमीन फाइनल करने के लिए एसडीएम को निर्देश दिए गए हैं. जमीन फाइनल होते ही प्राथमिकता से इस पार्क का निर्माण कर किया जाएगा.

Intro:पुलिस लाइन सोलन में कैद में बंद है देश के सूरमाओं की प्रतिमा


:-देश के लिए किया बलिदान उनकी प्रतिमाओं की बेकदरी से प्रशासन अंजान
;- शहीद कैप्टन संजय चौहान की प्रतिमा की बेकदरी ;-रानी लक्ष्मी बाई की प्रतिमा भी जर्जर हालत में
- फोरलेन के चलते चम्बाघाट से हटाई गई थी प्रतिमाएं


सोलन : जिला प्रशासन पिछले चार महीने में शहीद पार्क के निर्माण के लिए जमीन तलाश करने में विफल हो गया है। यही कारण है कि रानी लक्ष्मी बाई व शहीद संजय चौहान की प्रतिमा एक बाड़े में कैद है। हैरानी की बात यह है कि प्रशासन इन देश के सूरमाओं की प्रतिमाओं को सुरक्षित रखने के लिए एक कमरे की व्यवस्था तक नहीं कर सका। स्थिति यह है कि वहां पर लगातार गिर रही मिट्टी के कारण शहीद संजय चौहान की प्रतिमा एक पांव दब गया है। रानी लक्ष्मी बाई की प्रतिमा कई जगह से टूट गई है। शहीद पार्क के निर्माण के लिए प्रशासन को जब तक जमीन मिलेगी तब तक यह प्रतिमाएं बाहर रखे रखे ही टूट जाएगी।Body:रानी लक्ष्मीबाई : झांसी की वह तलवार जिसके अंग्रेज भी उतने ही मुरीद थे जितने हम हैं:-

देश और अपने राज्य झाँसी की स्वतंत्रता के लिए ब्रिटिश राज्य के खिलाफ लड़ने का साहस किया
हमारे देश की स्वतंत्रता के लिए अनेक राजाओं ने लड़ाइयाँ लड़ी और इस कोशिश में हमारे देश की वीर तथा साहसी स्त्रियों ने भी उनका साथ दिया।इन वीरांगनाओं में रानी लक्ष्मीबाई, का नाम शामिल हैं।रानी लक्ष्मीबाई ने हमारे देश और अपने राज्य झाँसी की स्वतंत्रता के लिए ब्रिटिश राज्य के खिलाफ लड़ने का साहस किया और अंत में वीरगति को प्राप्त हुई।


आप्रेशन रक्षक में शहीद हुए संजय चौहान:-
शहीद पार्क में कैप्टन संजय चौहान की प्रतिमा स्थापित थी। कैप्टन संजय चौहान ने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद भारतीय सेना में भर्ती हुए और 16 राजपूतान राइफल्स में प्रशिक्षण प्राप्त किया। 29 अक्तूबर 1994 में ओप्रेशन रक्षक में वह देश के दुश्मनों से लोहा लेते हुए शहीद हुए थे।इसके लिए उन्हें मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गयाConclusion:गौर रहे कि चम्बाघाट स्थित शहीद पार्क पार्क अब फोरलेन की भेंट चढ़ गया। पार्क के ऊपर से बन रहे फ्लाई ओवर के निर्माण के इस पार्क में स्थापित की गई शहीदों की प्रतिमा व शहीद स्मारक को 19 मार्च को वहां से पुलिस लाइन शिफ्ट किया गया। जिला प्रशासन ने शहीद पार्क के निर्माण के लिए आयकर विभाग के कार्यालय के समीप न्यू कथेड़ में भूमि चयनित की हुई है लेकिन भूमि को ट्रांसफर करने की औपचारिकताएं पूरी नहीं हुई है, जिसके कारण इस पार्क का निर्माण होना दूर अभी तक निर्माण कार्य भी शुरू नहीं हुआ है।

15 अगस्त तक इसका निर्माण होने की संभावना क्षीण है। अभी तक 15 अगस्त व 26 जनवरी के मौके पर शहीद पार्क में शहीदों को नमन के करने के बाद ही ठोडों मैदान में आयोजित कार्यक्रम में झंडा फहराया जाता था लेकिन यह परमपरा टूट जाएगी।


वहीं डीसी सोलन का के सी चमन का कहना है कि शहीद पार्क के निर्माण के लिए जल्द जमीन फाइनल करने के लिए एस.डी.एम. को निर्देश दिए गए है। जमीन फाइनल होते है, इस पार्क का निर्माण प्राथमिकता पर किया जाएगा।


फोटो कैप्शन;--देश के लिए किया बलिदान उनकी प्रतिमाओं की बेकदरी से प्रशासन अंजान
;- शहीद कैप्टन संजय चौहान की प्रतिमा की बेकदरी ;-रानी लक्ष्मी बाई की प्रतिमा भी जर्जर हालत में

शॉट:-स्पॉट पुलिस लाइन सोलन में कैद रानी लक्ष्मीबाई और कैप्टिन संजय चौहान अशोक चक्र की मूर्ति
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