सोलन: हिमाचल के छह दवा उद्योगों में निर्मित दवाएं केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की जांच में गुणवत्ता मानकों की कसौटी पर खरा नहीं उतर सकी हैं. जो दवाएं गुणवत्ता के पैमाने पर फेल हुई हैं, उनमें हाई बीपी, संक्रमण, गैस्ट्रिक, अनिंद्रा के उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवाएं व इंजेक्शन शामिल हैं.
इसके अलावा देश के विभिन्न राज्यों के 18 दवा उद्योगों में निर्मित दवाएं भी सीडीएससीओ की जांच में सबस्टैंडर्ड पाई गई हैं. बता दें कि सीडीएससीओ ने जून में देश के अलग-अलग राज्यों से 843 दवाओं के सैंपल जांच को लिए, जिनमें से 817 दवाएं गुणवत्ता मानकों पर खरी उतरी हैं, जबकि 25 दवाएं अधोमानक पाई गई हैं. यह खुलासा सीडीएससीओ द्वारा जारी जुलाई के ड्रग अलर्ट में हुआ है.
इस लिस्ट में प्रदेश के छह दवा उद्योगों में निर्मित दवाएं भी शामिल हैं, जिनका निर्माण पांवटा साहिब, कालाअंब व बद्दी में हुआ है. राज्य दवा नियंत्रक ने ड्रग अलर्ट में शामिल दवा उद्योगों को नोटिस जारी करते हुए संबंधित दवाओं का पूरा बैच बाजार से तत्काल उठाने के निर्देंश जारी किए हैं.
इसके अलावा एनएसक्यू सैल को इन उद्योगों की विस्तृत जांच कर रिपोर्ट सौंपने की भी हिदायतें जारी की हैं. गौर रहे कि देश भर में परीक्षण के दौरान गुणवत्ता मानकों पर खरा न उतरने वाले दवा उत्पादों के इस्तेमाल से आम जनता को रोकने के मकसद से केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन द्वारा हर महीने ड्रग अलर्ट जारी किया जाता है. इसी कड़ी में सीडीएससीओ द्वारा जारी जून के ड्रग अलर्ट में देश के विभिन्न राज्यों के 25 दवा उद्योगों में निर्मित दवाओं के सैंपल जांच में सबस्टैंडर्ड पाए गए हैं.
इस अलर्ट में कालाअंब, पांवटा साहिब, बद्दी, बरोटीवाला स्थित छह दवा उद्योगों के अलावा मध्यप्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, जे एंड के, बिहार, तमिलनायडू व पश्चिम बंगाल के उद्योगों में निर्मित दवाओं के सैंपल फेल होने का खुलासा हुआ है. दवाइयों के यह सैंपल सीडीएससीओ के साउथ जोन गाजियाबाद, कोलकाता, दिल्ली, ड्रग इंस्पेक्टर सिरमौर, झज्जर, गोवा, ड्रग्स कंट्रोल डिपार्टमेंट आसाम, मेघालय, चेन्नई ने लिए थे, जिनकी चेन्नई, गुवाहाटी, कोलकाता व चंडीगढ़ की लैब में जांच करवाई गई.
रिपोर्ट भेजें दवा निरीक्षक
हिमाचल के ड्रग कंट्रोलर नवनीत मारवाहा ने बताया कि प्रदेश में निर्मित जिन दवाओं के सैंपल सबस्टैंडर्ड पाए गए हैं, उन कंपनियों को नोटिस थमाते हुए बाजार से इन दवाओं का पूरा बैच हटाने के आदेश जारी किए गए हैं. इसके अलावा दवा निरीक्षक को उपरोक्त सभी उद्योगों की अलग से विस्तृत जांच कर रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है. उन्होंने दोहराया कि दवा निर्माण में गुणवत्ता से समझौता किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. अगर जांच के दौरान किसी भी तरह की अवहेलना सामने आती है, तो उद्योगों पर नियमानुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
ये दवाइयां सबस्टैंडर्ड
सीडीएससीओ के जून के ड्रग अलर्ट में प्रदेश के दवा उद्योगों में निर्मित पैंटोप्राजोल इंजेक्शन, अल्प्राजोलम 0.5 एमजी टैबलेट, ड्रोटावेराइन, टेल्मिसर्टन, अमोक्सिसिलिन और पोटाशियम कलवीनेट, नियोमाइसिन सल्फेट, पोनीमाईजिन बी सल्फेट और बैक्ट्रासीन जिंक पाउडर शामिल हैं.
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